दीपिका वाजपेयी भारतीय वन सेवा में हैं. वो बंगलुरु में अर्बन डिप्टी कंजरवेटर हैं. 2010 बैच की आईएफएस हैं और मूलत: रहने वाली हरियाणा की हैं. इनके पति भी आईएएस हैं और कर्नाटक पब्लिक सर्विस कमीशन में कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन हैं. दीपिका ने लंबे समय तक अवैध अतिक्रमण में रही जमीनों को कब्जा मुक्त करवाकर उसमें पेड़ लगवा दिए हैं. एक तरफ उनके इस काम की खासी तारीफ हो रही है, वहीं अतिक्रमण करने वाले लोग इसे गलत बता रहे हैं. इसके अलावा भी दीपिका लोगों को जंगलों से जोड़ने और जंगलों की खूबसूरती बचाने की कवायद में लगी हैं.
अतिक्रमण हटवाना है प्राथमिकता
दीपिका बताती हैं कि जंगल की जमीनों पर लोगों ने कई साल से कब्जा जमा रखा है. उन जमीनों को कब्जे से छुड़ाना और उनपर पेड़ लगाना उनकी प्राथमिकता है. अतिक्रमण हटवाने में तो दिक्कतें भी आती होंगी के सवाल पर दीपिका कहती हैं कि बंगलुरु में जमीन बेहद कीमती है. एक-एक एकड़ जमीन की कीमत करोड़ों रुपये है. अतिक्रमण हटवाने के दौरान पॉलिटिकल प्रेशर भी पड़ता है. हम सही वक्त का इंतजार करते हैं और जब प्रेशर थोड़ा कम हो जाता है तो जमीन को खाली करवा लेते हैं.
200 करोड़ की जमीन खाली करवाकर लगवा दिए पेड़
बकौल दीपिका 17 एकड़ जमीन पर लंबे समय से विवाद चल रहा था और मामला कोर्ट में था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वन विभाग के हक में फैसला दिया था, जिसके बाद दीपिका की देखरेख में यह जमीन वन विभाग के पास चली आई. इस जमीन की कीमत 200 करोड़ रुपये बताई जा रही है. दीपिका वाजपेयी ने इस जमीन को विभाग के कब्जे में आने के बाद इसपर पेड़ लगवा दिए और अब यह बेहद ही खूबसूरत जगह हो गई है.
खूब लगवाए हैं पौधे
दीपिका वाजपेयी ने विभाग की मदद से खाली पड़ी जमीन को हरा-भरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है. एक और अतिक्रमण वाली जमीन को दीपिका ने खाली करवाया और उसमें 10 हजार पौधे लगवाए. इसके अलावा भी वो जंगल की खूबसूरती को कायम रखने की लगातार कोशिश कर रहीं हैं. दीपिका बताती हैं कि बंगलुरु के लोग खुद ही अपने शहर को खूबसूरत करना चाहतेत हैं, लेकिन उन्हें सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पा रहा था. दीपिका ने उन्हें सही प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाया और लोगों को जंगल से जोड़ने में कामयाबी पाई. हरियाली बढ़ाने के लिए उन्होंने कई जगहों पर वॉलिंटियर्स की भी मदद ली. इसके अलावा दीपिका ने कई कॉरपोरेट्स को भी जंगलों में पेड़ लगाने का ऑफर दिया. कारपोरेट्स ने उनकी मदद की और सीएसआर (कॉरपोरेट्स सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत जंगलों की खूबसूरती बचाने के लिए फंड दिया, जिससे शहर में हरियाली बढ़ गई.
जंगल में बनवाना चाहती हैं साइकल ट्रैक
दीपिका बताती हैं कि उन्होंने बंगलुरु के पार्कों में पेड़ लगवाए हैं. और भी पेड़ लगवाने के लिए वो लगातार कोशिश कर रहीं हैं. वो चाहती हैं कि जंगलों को लोगों के लिए खोल दिया जाए, जिससे कि लोग जंगलों से खुद का जुड़ाव महसूस कर सकें. दीपिका के मुताबिक जब जंगल लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे, तो लोगों को खुद से ही समझ आएगा कि प्रकृति उनके लिए कितनी जरूरी है और इसे बचाने के लिए लोगों को खुद ही आगे आना होगा. इसके अलावा दीपिका की कोशिश है कि जंगल में आम लोगों के लिए साइकल ट्रैक भी बनाए जाएं, जिससे लोग खुद-ब-खुद जंगल से जुड़ाव महसूस करें.
ट्विटर पर भी दिखता है पेड़ों से प्रेम
दीपिका पेड़ों को लेकर कितनी जागरूक हैं, इसका अंदाजा उनके ट्विटर हैंडल को देखकर लगता है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल@dipika_bajpai का जो कवर फोटो लगाया है, वो चिपको आंदोलन के वक्त का है. 1973 में तब के उत्तर प्रदेश और आज के उत्तराखंड मेें पेड़ों को कटने से बचाने के लिए चिपको आंदोलन शुरू किया गया था. इसमें आदिवासी महिलाओं-पुरुषों ने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए पेड़ों के ईर्द-गिर्द घेरा बना दिया था और पेड़ों को कटने से बचाने की कोशिश की थी. दीपिका ने उसी वक्त के आंदोलन की फोटो अपने ट्विटर हैंडल के कवर पर लगा रखी है.
झीलों को बचाने की कवायद
दीपिका ने बंगलुरु के येलाहांका में बनी पुट्टेनहाली झील के जीर्णोद्धार और उसके विकास का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया था, पुट्टेनहाली झील बंगलुरु का अकेला पक्षी विहार है. इस प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिल गई है, जिसपर काम शुरू हो गया है.
कचरे से मुक्ति
दीपिका बताती हैं कि जंगल के किनारे का इलाका कूड़े से पटा हुआ था. उन्होंने अपने स्टाफ की मदद से लगातार कोशिश करके वहां पेड़ लगवाए. अब वो पेड़ बड़े हो गए हैं और जहां कूड़ा दिखता था, वहां अब हरियाली है.
विधायक ने कहा था, थप्पड़ मार दूंगा
पिछली साल 30 जुलाई को जब शहर में मूसलाधार बारिश हुई तो शहर में पानी भर गया. बोमनहाली और कोडीचिक्कानहाली में पानी लगभग 4 फुट तक भरा हुआ था. इसे देखने के लिए कांग्रेस के विधायक सतीश रेड्डी और वृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के कमिश्नर मंजूनाथ प्रसाद पहुंचे थे. जब दीपिका वाजपेयी वहां पहुंचीं तो विधायक ने उनसे कहा था, ‘क्या आपको शर्म नहीं आती है? थप्पड़ मार के दांत तोड़ दूंगा.’ विधायक की इस बात का दीपिका ने तुरंत जवाब दिया था और उन्हें जुबान संभालकर बात करने की हिदायत दी थी.
साभार:द लल्लनटॉप