3 साल की बच्ची. और उसके साथ रेप. सुनकर ही शरीर में खौफनाक सनसनाहट दौड़ जाती है. दिमाग झन्ना जाता है. बच्ची का रेप किया गया और उसके बाद उसे मार दिया गया. ऐसे में जो रेपिस्ट को सज़ा दी जाए कम है. लेकिन वो भी खौफनाक है जब किसी की मौत को तमाशा बना दिया जाए. बच्ची के रेप और मर्डर का इल्ज़ाम 41 साल के मुहम्मद अल मगरिबी पर था. जिसे यमन की राजधानी सना में बीच सड़क पर लोगों के सामने गोलियों से भून दिया गया. और ऐसा जज के आदेश पर हुआ.
3 साल की बच्ची. और उसके साथ रेप. सुनकर ही शरीर में खौफनाक सनसनाहट दौड़ जाती है. दिमाग झन्ना जाता है. बच्ची का रेप किया गया और उसके बाद उसे मार दिया गया. ऐसे में जो रेपिस्ट को सज़ा दी जाए कम है. लेकिन वो भी खौफनाक है जब किसी की मौत को तमाशा बना दिया जाए. बच्ची के रेप और मर्डर का इल्ज़ाम 41 साल के मुहम्मद अल मगरिबी पर था. जिसे यमन की राजधानी सना में बीच सड़क पर लोगों के सामने गोलियों से भून दिया गया. और ऐसा जज के आदेश पर हुआ.
मुहम्मद अल मगरिबी को जेल की वैन में एग्जीक्यूशन स्क्वायर (फांसी देने वाली जगह) तक लाया गया. बीच सड़क पर चादर बिछाकर उसे पेट के बल लिटा दिया गया. और हाथों को उसकी पीठ पर बांध दिया गया. ये सब देखने के लिए सैकड़ों लोग मौजूद थे.
लोगों की भीड़ इस मौत को अपनी कैमरों और मोबाइल में कैद कर रही थी. इतना ही नहीं इस मौत की कवरेज के लिए स्क्वायर पर ढेरों टीवी चैनल्स के कैमरे भी लगे हुए थे, मौत को लाइव ब्रॉडकास्ट किया जा रहा था.
एक जवान मुहम्मद अल मगरिबी को अपनी टांगों के बीच में लेकर खड़ा हुआ, जिसके हाथ में राइफल थी. वहीं फैसला सुनाने वाले जज भी खड़े थे.
रेपिस्ट की पीठ में जवान ने धायं-धायं पांच गोलियां ठूस दीं. यूएस के स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, यमन में शरिया लॉ के तहत ये सजा दी गई. शरिया लॉ में मर्डर के दोषी के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. इसे बदलने का अधिकार सिर्फ मरने वाले के परिवार के पास होता है. अगर मरने वाले के घर वाले माफ़ करें तो दोषी की जान को बख्शा जा सकता है.
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक मरने वाली 3 साल की बच्ची के पिता का कहना है,
‘ये मेरे लिए दोबारा जिंदा होने वाला दिन है. रेपिस्ट के मरने के बाद मुझे राहत मिली है.’
जब रेपिस्ट को मारा जा रहा था तो भीड़ इतनी थी कि लोग छतों पर ही नहीं बल्कि पोल पर भी चढ़ गए थे. वो रेपिस्ट को मरते हुए देखना चाहते थे. इस भीड़ में बच्चे भी थे. जो मुहम्मद अल मगरिबी को मरते हुए देखने के लिए आये थे.
भीड़ तीन साल की बच्ची का बदला लेने के लिए दोषी पर हमला न कर दे, इससे बचने के लिए अलग से सुरक्षा बल तैनात किया गया था.