आइये थोड़ा हँस लिया जाए।
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एक बार की बात है, मैं और मेरी दोस्त कॉलेज जा रहे थे। मैंने उससे कहा कि पीछे बैठ जाइये, जैसे ही वो बैठने लगी मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी, और वो बेचारी मेरी दोस्त सीधे ज़मीन पर जा गिरी। खैर हँसी नहीं आई ना, कोई बात नहीं, अब हर चीज़ हँसाने के लिए होती भी नहीं। हा हा हा हा...अरे माफ़ी! मैंने अपने रीडर्स के लिए, यानि की आपके लिए, कुछ तस्वीरें इकठ्ठा की हैं, परफेक्ट टाइमिंग वाली, देखिएगा ज़रूर।
ख़ैर कहते हैं हर काम का कोई न कोई परफेक्ट टाइमिंग होता है। लेकिन इन तस्वीरों को देखकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे कि परफेक्ट टाइमिंग "एक्सीडेंट्स" का भी हो सकता है क्या?