मुंबई की एक महिला ने अपने पति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वजह घरेलू हिंसा, दहेज की मांग या कुछ और नहीं है. वजह है पॉर्न देखने की लत. आप सोच रहे होंगे पॉर्न देखने में बुराई क्या है! ये पर्सनल चॉइस है. जिसे जो अच्छा लगे देख सकता है. लेकिन जब आपकी आदतों से किसी की लाइफ में फर्क पड़ने लगे तो ये बुरा है.
मुंबई की इस महिला ने कोर्ट में याचिका डाली है और पॉर्न साइटों को बैन करने की मांग की है. महिला ने याचिका में कहा है कि उनके पति जो कि 55 साल के हैं, पॉर्न देखने की लत के आगे मजबूर हो गए हैं, तो नौजवानों की क्या स्थिति क्या होगी! महिला एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. 30 साल से इनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही थी. लेकिन जब से इनके पति ने पॉर्न देखना शुरु किया है, तब से इनकी जिंदगी खराब हो गई है. इसका असर उनके बच्चों पर भी पड़ रहा है.
इससे पहले देश में बढ़ते हुए अपराध को देखते हुए सरकार ने 2015 में 857 पॉर्न साइट्स पर बैन लगा दी थी. इस फैसले का देशभर में लोगों ने खूब विरोध किया था. ट्विटर पर 2 दिन तक ये मुद्दा ट्रेंड करता रहा. विरोध को देखते हुए सरकार ने फैसला वापस ले लिया. हालांकि इसके कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पॉर्न साइट्स पर बैन लगाने से मना कर दिया था. ये कहते हुए कि यह राइट टू पर्सनल लिबर्टी का हनन होगा. कोई भी कोर्ट में खड़ा होकर ये कह सकता है कि मैं 18 साल से ज्यादा हूं और आप मुझे मेरे घर में पॉर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट की यह बात सही भी है. पॉर्न देखना कोई बुरी बात या क्राइम नहीं है. ये एकदम से निजी मामला होता है. जैसे आप डिसाइ़ड करते हैं कि आपको क्या खाना है, क्या पहनना है. वैसा ही कुछ पॉर्न के साथ भी है. कोई भी ऐसा काम जो करके आपको खुशी मिले वो आपको बिल्कुल करना चाहिए. और पॉर्न देखकर आपको वो खुशी, रोमांच सब फील होता है.
तो बुरा क्या है?
जैसे हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, ठीक वैसा ही पॉर्न के साथ भी है. पॉर्न देखना और पॉर्न एडिक्टेड होने में बहुत फर्क होता है. कुछ स्टडीज के मुताबिक ज्यादा पॉर्न देखने से आप रियालिटी से दूर हो जाते हैं और एक आर्टिफिशियल दुनिया में जीने लगते हैं. आप जो फिल्मों में देखते हैं, उसे निजी जीवन में भी अपने पार्टनर के साथ करने की कोशिश करने लगते है और अगर न कर पाये तो डिप्रेशन में चले जाते हैं. लोगों से कटे-कटे रहने लगते हैं.
स्टडीज ये भी कहती है कि किसी भी चीज का एडिक्शन दिमाग के साइकिल को ब्रेक करता है. चाहे वो शराब हो, ड्रग्स हो या पॉर्न. एडिक्शन आपके विल पॉवर को कमजोर करता है. पॉर्न एडिक्टड लोग धीरे-धीरे सेल्फिश हो जाते हैं. पार्टनर के साथ सेक्स के दौरान आप प्यार तलाशना बंद कर देते हैं. और सिर्फ अपनी पसंद और नापसंद का ख्याल रखते हैैं. जब आप रियल लाइफ में आप ऐसा नहीं कर पाते फिर आप में गुस्सा और फ्रस्ट्रेशन आ जाता है जिसका शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं होती हैं. पॉर्न में महिलाओं को हमेशा वायलेंस एंजॉय करते दिखाया जाता है. देखने के बाद लोगों को लगता है कि महिलाएं इस टाइप का सेक्स ही एंजॉय करती हैं. इनके हिसाब से महिलाएं रेप को भी एंजॉय करती हैं. जो कि सच नहीं होता है.
आप जैसा सोचते हैं, वैसी नहीं होती पॉर्न स्टार्स की दुनिया
आप जब भी पॉर्न देखते होंगे आपको लगता हो कि इनकी लाइफ कितनी खूबसूरत है, आपकी फैंटेंसी वर्ल्ड की तरह. पॉर्न स्टार दुनिया में सबसे खुशकिस्मत होते होंगे. लेकिन ये सच नहीं होता. पॉर्न देखकर आपको अपनी दुनिया जितनी एक्साइटेड लगती है, इन पॉर्न स्टार की दुनिया उतनी ही बुरी या कह लें मुश्किलों से भरी होती है. ये डेली लाइफ की सेक्स की तरह नहीं होता कि जब सेक्स करने का मन किया, कर लिया. आपके लिए ये 15-20 मिनट की रोमांच से भर देने वाली फिल्म होती है लेकिन पॉर्न स्टार्स के लिए 2 घंटे या 2 दिन तक चलने वाला एक्ट होता है. जिसमें प्यार तो छोड़ो ढंग का सेक्स भी नहीं होता है. जहां हर तरफ कैमरे लगे होते हैं और सेट पर कई लोग होते हैं जो इस एक्ट को देखते हैं. आपकी लाइफ में सेक्स के दौरान कट या कौन सी पोजीशन सही है या गलत, इसकी जगह नहीं होती. लेकिन यहां हर एक सीन के बाद कट होता है.
सेक्स करने का मूड न हो तब भी सेक्स के लिए रेडी रहना, दवाएं खाकर बॉडी को इरेक्ट रखना, फीमेल एक्टर है तो पीरियड्स में भी शूट करना. ऐसी होती है इनके कैमरे के पीछे की जिंदगी. जिसमें न तो कोई रोमांच होता और न कोई रोमांस.
रैन गैवरिएली, जो कि एक सोशल वर्कर और स्पीकर हैं, सेक्स और जेंडर जैसे टॉपिक पर लोगों को जानकारी देते हैं. 2013 में टेड एक्स पर रैन ने लोगों को बताया कि उन्होंने पॉर्न देखना क्यों बंद किया. जिसे यूट्यूब पर अब तक करोड़ लोग देखे चुके हैं. टेड एक्स एक ग्लोबल प्लैटफॉर्म है. जहां लोग अलग-अलग टॉपिक पर अपनी जानकारी शेयर करते हैं.
रैन कहते हैं कि पॉर्न देखना बंद करने के उनके पास 2 रीज़न हैं:
पहला ये कि पॉर्न देखकर उनके अंदर बहुत गुस्सा आता है और हिंसा भर जाती है. ऐसा वॉयलेंस और गुस्सा जो पहले नहीं था. कोई औरत रोए तो मजा आ रहा है या सेक्स रफ हो तो बेहतर है. ऐसा परसेप्शन ज़बरदस्ती भरा रहता है. दूसरा कि पॉर्न देखने के बाद उन्हें वेश्याओं की जरुरत होती है. जिससे वेश्यावृत्ति को बढ़ावा मिलता है. महिलाओं के खिलाफ जबरदस्ती करने की सोच बनती है. सारे पॉर्न मेल डॉमिनेंस को दिखाते हैं. पॉर्न का मतलब सिर्फ पेनीट्रेशन से होता है.
पॉर्न देखकर देखकर आप जितना आनंद ले रहे होते हैं, ठीक उसके विपरीत पॉर्न स्टार्स की लाइफ होती है. आप अगर सोचते हैं कि उनकी दुनिया अच्छी होगी, या वो सारी चीज जो पॉर्न में दिखाई जाती है वो सच होता है, तो आप गलत हैं. आप उसे अपनी जिंदगी में कॉपी करने की कोशिश करते हैं. पार्टनर की मर्ज़ी के बिना.
जब आप किसी की मर्ज़ी के बिना कुछ करते हैं तो बात आपकी निजता से लेकर किसी और के अधिकारों के हनन तक पहुंच जाती है. किसी भी चीज की अति लाइफ के लिए खराब ही होती है. इस महिला ने कोर्ट से इस अति के खिलाफ़ ही गुहार लगाई है.