यूपी सरकार ने आदेश जारी किया था कि 15 अगस्त को सूबे के सभी मदरसों में तिरंगा फहराया जाएगा और राष्ट्रगान गाया जाएगा. साथ में ये शर्त भी रखी गई कि इस पूरे आयोजन की वीडियोग्राफी कराई जाएगी. इस पर भसड़ हुई. होनी ही थी. खैर, 15 अगस्त आया और चला गया. 16 अगस्त को एक रिपोर्टर साहब पहुंच गए अल जामियातुल इस्लामिया अशरफुल मदारिस नाम के मदरसे के मौलाना साहब के पास. उनसे पूछा कि आपके मदरसे में झंडा तो फहराया गया, लेकिन राष्ट्रगान नहीं गाया गया, ऐसा क्यों?
इस पर मौलाना साहब ने जो तकरीर रखी, वो सुनने लायक है. सोशल मीडिया पर तो झमक के शेयर हो रही है, हमने सोचा कि आप तक भी पहुंचा दिया जाए. ऐसा इसलिए, क्योंकि मौलाना साहब जो कह रहे हैं, वो सही-गलत से ऊपर बत्तीसी निकलवा देने वाला है. तो हमारी बात छोड़िए, आप मौलाना साहब की बात पढ़िए. पढ़ने की इच्छा न हो, तो स्क्रॉल करके सीधे नीचे चले जाइए. वहां वीडियो लगा हुआ है. माशल्लाह क्या तेवर हैं…
देखिए राष्ट्रगान राष्ट्रगीत जो है, सारे जहां से हिंदोस्तां हमारा… ये कौमी तराना ही है. हमने जब अपने तराने में ये कह दिया कि पूरी दुनिया में कोई मुल्क हिंदुस्तान से अच्छा नहीं है, तो इससे बड़ा क्या तराना हो सकता है? इससे बड़ा करके दिखाइए. मैंने राष्ट्रीय गीत पर बहुत गौर किया, उसमें एक लफ्ज़ है, ‘पंजाब सिंध गुजरात मराठा’. अब आप लोग से मैं सवाल करता हूं कि सिंध है कहां? इंडिया में है कि पाकिस्तान में है? आप मुझे बताइए. हमें बेवकूफ बनाया जा रहा है. वो पाकिस्तान जो अपनी फौज और दहशतगर्दों के जरिए हमारे मुल्क के नौजवानों और मिलिट्री के लोगों को शहीद करवा रहा है. आप उस पाकिस्तान के सिंध की तारीफ हमसे करवा रहे हैं कि आप इसकी तारीफ कीजिए.
(तालियां गूंजती हैं. आसपास के लोग कहते हैं, ‘बहुत बढ़िया’.)
पहले इसको बदला जाए. मेरी पार्लियामेंट से गुजारिश है कि पहले सिंध का लफ्ज़ हटा दिया जाए. एक चीज और है कि इस तराने के अंदर मुश्किल से छ: सूबों का नाम मिलता है. तो आंध्रा कहां चला गया? हैदराबाद कहां चला गया? कश्मीर कहां चला गया? हमारा वतन नहीं है, हम छोड़ देंगे उसको? कश्मीर में कौन सी खूबी नहीं है. कश्मीर के लिए लोग आंखें दिखा रहे हैं. हम अपनी जानें दे देंगे, मगर कश्मीर छोड़ने को तैयार नहीं होंगे. आज उस कश्मीर का ज़िक्र नहीं आया है उस तराने में.
(एक बार फिर करतल ध्वनि…)
मैं अपील करता हूं अपनी सरकार और संसद में बैठे जिम्मेदारों से कि इसमें जितने सूबे हिंदुस्तान में, 29-30 सूबे हिंदुस्तान के अंदर हैं, सारे सूबों का जिक्र शामिल किया जाए और सिंध को हटा दिया जाए. एक बार नहीं, मैं रोजाना इस तराने को मदरसे में पढ़ूंगा.
(तालियां रुकती नहीं हैं…)
वंदे मातरम कयामत नहीं पढ़ूंगा, क्योंकि हम मुसलमान हैं और हम अल्लाह के सिवा किसी की पूजा नहीं कर सकते. हमारा सिर सिर्फ अल्लाह के सामने झुकेगा. आप देखिए हमारे सरकार ने फरमाया, ‘अपनी मिट्टी की हिफाज़त करो, इसलिए कि तुम्हारी मां है. तो इस मिट्टी की हम हिफाज़त करेंगे, इबादत नहीं कर सकते. इबादत हम सिर्फ एक खुदा की करते हैं.
(फिर हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं.)
ये तकरीर देने के बाद लाल दाढ़ी वाले मौलाना साहब ने पान चबाते हुए जो एक्सप्रेशन दिए हैं न, कसम से बड़े कातिल हैं. इनके मदरसे के बारे में इतना जान लीजिए कि ये 32 साल पुराना है, जिसकी नींव खुद इन मौलाना साहब ने फावड़ा मारकर रखी थी. इनके मुताबिक यहां दीनी और दुनियावी, दोनों तालीमें दी जाती हैं. ये लखनऊ बोर्ड से संबद्ध है, जहां बोर्ड के इम्तिहान भी होते हैं.