हमारे भारत देश के ऋषि- महऋषियों की देन है योग | (जिसमें की अपनी अहम भूमिका निभाई है महृषि पतंजलि ने | पहले ऋषि-महृषि कई -कई वर्षों तक तपस्या कर लेते थे एक पांव पर खड़े होकर या अपने शरीर को अग्नि में तपाकर के या किसी भी और तरीके से अपने शरीर को कष्ट देकर के प्रभु को प्राप्त करने की तो प्रक्रिया होती थी वो केवल योग से ही संभव थी |
जब योग से आप आपने शरीर को किसी भी रुप में साधकर के कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है |
तो इंसान का रोग तो कुछ भी नही हैं | "इंसान के मन मस्तिष्क को जो एकाग्र कर के इन्सान को अपने लक्ष्य तक पहुंचा देने की जो शक्ति प्राप्त कराता है वह केवल योग ही है|
"योग से मनुष्य न केवल रोग मुक्त हो सकता है अपितु: इंसान चाहे तो कैसी भी व कुछ भी सिद्धि प्राप्त कर सकता हैं |
"इंसान के सातों चक्रों को खोलने की शक्ति केवल और केवल योग में ही है|"
ऐसी रहस्मय शक्ति है योग की इसलिये योग को अपने दैनिक जीवन-चर्या में जरुर सम्मिलित करे और खुशहाल जीवन का आनंद पाये |