पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का राजनीति करण थमने का नाम ही नहीं ले रहा. किसी की मौत पर शोक जताने के बजाय, जिसे देखो अपना उल्लू सीधा कर रहा है. जो इस हत्या से जुड़ा सबसे बड़ा पहलू है, उस पर बोल सब रहे हैं, लेकिन समस्या का निदान किसी के पास नहीं है.
बहुत से बुद्धिजीवियों ने इस हत्या पर अलग-अलग बयान दिये, जिनमें से एक इतिहासकार रामचंद्र गुहा भी थे. गुहा ने कहा था कि 'गौरी के क़ातिल उसी 'संघ परिवार' से हो सकते हैं, जिससे दाबोलकर और पंसारे के क़ातिल थे.'
ये संभावना जताने के बाद बीजेपी ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को लीगल नोटिस भेजा है.
संघ परिवार में कई संस्थायें हैं, आरएसएस इसकी सुप्रीम बॉडी है. ये तो सर्वविदित है कि बीजेपी आरएसएस के ही आदर्शों को मानती है.
नोटिस में ये कहा गया है कि अगर तीन दिनों के अंदर गुहा माफ़ी नहीं मांगते, तो उन पर क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है.
ANI की ख़बर के अनुसार कर्नाटक के बीजेपी युवा मोर्चा के सेक्रेटरी ने गुहा को लीगल नोटिस भेजा है. कर्नाटक सरकार ने गौरी की हत्या की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है.
गौरी की हत्या के बाद राहुल गांधी ने भी कहा था कि जो भी बीजेपी या उसकी विचारधारा के खिलाफ़ आवाज़ उठाता है, उसके साथ या तो मार-पीट की जाती है या फिर उसे मार दिया जाता है. राहुल के इस बयान पर कर्नाटक के बीजेपी चीफ़, बी.एस. येदुरप्पा ने राहुल से इस बात के सुबूत भी मांगे थे.
गौरतलब है कि गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर ही गोली मार दी गई थी. गौरी की हत्या के बाद बहुत सी घटनाएं घटी, पर एक बात तो तय है, इस देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी है, अभिव्यक्त करने वाले की सुरक्षा की गारंटी नहीं.
साभार: ग़ज़बपोस्ट