प्रोग्रेसिव बनने के चक्कर में आज लोग कई पुरानी परम्पराओं को नकारते नज़र आते हैं. खैर, रूढ़िवादी परम्पराओं को नकारने में कोई बुराई भी नहीं है. लेकिन पुराने समय की सभी परम्पराओं के पीछे रूढ़ीवाद है, ऐसा नहीं है. कुछ परम्पराएं ऐसी भी हैं, जुनके पीछे साइंस है और बेहतर होगा कि हम इन परम्पराओं को साथ लेकर ही आगे बढ़ें.
ये हैं वो परम्पराएं जो महज़ अन्धविश्वास नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे है वै ज्ञान िक कारण:
1. मांग भरना
सिन्दूर, हल्दी, चूना और Mercury मिला कर बनाया जाता है. Mercury रक्त-चाप नियंत्रित करता है, ये यौन इच्छा को भी बढ़ाता है. यही कारण है कि विधवाओं को सिन्दूर नहीं लगाने दिया जाता है. ये तनाव को कम करने में भी मदद करता है.
2. कई धर्मों में मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन आदि खाने की मनाही होती है
मदिरा सेवन से काम-वासना बढ़ती है और इंसान में संकोच कम हो जाता है. वहीं प्याज़, लहसुन खाने से क्रोध बढ़ता है. ये सभी पदार्थ तामसिक गुणों को बढ़ाते हैं.
3. दही खाना
इससे पाचन-शक्ति बेहतर होती है. इसलिए सफ़र या किसी शुभ काम के लिए जाने से पहले दही खाने को कहा जाता है.
4. पैर में बिछुआ पहनना
पैरों में बिछुआ पहनना शादीशुदा महिलाओं की निशानी ही नहीं, बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है. पैर की दूसरी उंगली नर्व के माध्यम से यूटरस औऱ दिल से जुड़ी होती है. बिछुआ पहनने से प्रेशर के द्वारा यूटरस मज़बूत बनता है और पीरियड्स के दौरान होने वाले ब्लड सर्कुलेशन को सही तरीके से चलाने में मददगार होता है. चांदी एक अच्छा कंडक्टर है, इसलिये चांदी की अंगूठी पहनना ज़्यादा फायदेमंद साबित होता है.
5. नदी में सिक्के फ़ेंकना
यूं तो नदी में सिक्के फ़ेंकने को गुडलक माना जाता है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक सच छिपा है. वर्तमान समय में जिस तरह से स्टील के सिक्के बनते हैं. प्राचीन काल में कॉपर के सिक्के बना करते थे. कॉपर हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक धातु है, जो पानी में घुल कर हमारे शरीर में प्रवेश करता है.
6.मंदिर में घंटी बजाना
शास्त्रों के अनुसार, मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने से सभी बुरी शक्तियां दूर होती हैं. लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण ये है कि इससे हमें पूजा करने में एकाग्रता मिलती है और इसकी आवाज़ से हमारे शरीर के हीलिंग सेंटर एक्टीवेट होते हैं.
7. हाथ-पैर मे मेंहदी लगाना
मेंहदी में औषधीय गुण होते हैं, इसे लगाने से हमारा शरीर ठंडा रहता है और शादी के समय इसे लगाने से वर-वधु तनाव-मुक्त रहते हैं.
8. सोते वक़्त उत्तर दिशा की तरफ़ सिर न करना
इसके पीछे यह मान्यता है कि उत्तर की ओर मरे हुए लोगों को लिटाया जाता है. लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी में बहुत बड़ा मैग्नेटिक फ़ील्ड है. मानव में भी एक मैग्नेटिक फ़ील्ड होता है. अगर हम उत्तर की तरफ़ सोयेंगे तो हमारा शरीर और पृथ्वी एक दूसरे के अट्रैक्शन सेन्टर में होंगे. जिससे ब्लड प्रेशर सम्बंधित परेशानियां और सिरदर्द होने की संभावना अधिक होती है.
9.पैर छूना
हिंदू धर्म में इसे आस्था और संस्कार के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है. पैर छूने से दो शरीरों के बीच पैर व हाथ के माध्यम से एक सर्किट बनता है, जिससे शरीर में कॉस्मिक एनर्जी का आदान-प्रदान होता है.
10. तुलसी के पौधे की पूजा करना
हिंदू धर्म में तुलसी को मां कहा जाता है, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं कि तुलसी एक महत्वपूर्ण मेडिसिनल प्लांट है. ये हमारे इम्यून सिस्टम, कोलेस्ट्रोल, आदि को नियंत्रित करने के साथ कीड़े-मकौड़ों को भी दूर भगाता है.
11. टीका लगाना
तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में इज़ाफ़ा होता है. ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है. लोग शांति व सुकून का अनुभव करते हैं. ये कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है.
12. कलावा बांधना
शरीर के प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुज़रती हैं. जब कलाई पर कलावा बांधा जाता है, तो इससे इन नसों की क्रिया नियंत्रित होती है. इससे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ़) को काबू किया जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से काफ़ी हद तक बचाव होता है.
13. तुलसी को निगलना चाहिए, चबाना नहीं चाहिए
हालांकि, तुलसी की पत्ती स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, लेकिन इनमें कुछ मात्रा में आर्सेनिक पाया जाता है. आर्सेनिक को चबाने से दांत पीले हो सकते हैं, इसलिए इसे निगलने की सलाह दी जाती है.
14. कुछ ख़ास दिनों पर मीट न खाना
इंसानी शरीर को पोषक तत्वों की पूर्ती के लिए बहुत कम मात्रा में मीट चाहिए होता है. अगर इसे ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में खाया जाये, तो पाइल्स, किडनी स्टोन और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
15. पीरियड के दौरान कुछ काम करने की मनाही
जब सेनेटरी पैड्स और पेनकिलर नहीं हुआ करते थे, तब औरतों के लिए इन दिनों में काम करना बेहद मुश्किल हुआ करता था. इसलिए उन्हें कई काम करने को मना किया जाता था.
16. ग्रहण के समय बाहर न निकलना
ग्रहण के वक़्त बाहर निकलने से आंखों और त्वचा पर बुरा असर पड़ सकता है. इसलिए ग्रहण के वक़्त बाहर निकलने से मना किया जाता था.
इसीलिए कहते हैं बड़े-बुज़ुर्गों की मान माननी चाहिए, क्योंकि उनका कहा कुछ भी बेमतलब नहीं होता. हां, ये ज़रूर हो सकता है कि आपको उसके पीछे का कारण न पता हो.