फिर हुयी आहट ,हमारा ख्वाब टूटा,
फिर हुयी आहट ,हमारा ख्वाब टूटा,लग ना जाये फिर,कोई इल्जाम झूठा ।देखो सहम कर ,छुप गए तारे ,नज़ारे ,वक़्त बदला है ,या हमसे वक्त रूठा ।तिलमिला कर रह गये ,मजबूरीयां थीं ,पहले किया बदनाम,फिर सम्मान लूटा।चाह थी घुल-मिल गया,आबो-हवा में,बुझ गए अरमां मचलकर .आग पीता ।आग,पानी और हवा का सम्मिलन ,संघर्ष था,ज्वाल