ना जाने कौन सा एहसास है छूकर गुजरता है,
निगाहों से दिलो में और फिर रूह में उतरता है।
सिहर जाता हूँ सर से पाँव तक यूँ तो मुहब्बत में,
महक उठता हूँ मैं ताज़ा हवा बनकर निखरता हूँ।
खुली हों बंद हों पलकें नजर आते हो तुम ही तुम,
तुम्ही रग-रग में बहते हो मैं खुशबू सा बिखरता हूँ।
नहीं वो रास आती है मगर वो खास लगती है,
लगे है ज़िन्दगी कमबख्त जीने से मुकरता हूँ।
ज़माने की रजामंदी से कुछ लेना नहीं देना,
हुनर रखता हूँ तैराकी समन्दर में उतरता हूँ ।
कभी उम्मीद का दामन छुड़ाकर रूठ जाओगे,
अकेला टूट जाऊँगा मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
हमें कल वक़्त ही ऊँगली पकड़ के रास्ता देगा,
बदल डालूँगा तकदीरें यूँ जीता हूँ यूँ मरता हूँ।
तुम्हारे मुस्कुराने से है रुख बदला फ़िजाओं का,
कि दिन अच्छे ही आएंगे यही ऐलान करता हूँ।
पलट कर आ नहीं सकता समय को मत गंवाना तुम,
वफादारी निभा'अनुराग'तू काहे को डरता है।