अँधेरा भी होगा उजाला भी होगा,
कदम लड़खड़ाए संभाला भी होगा।
निकल जायेंगे आप हम उलझनों से,
अगर भूख है तो निबाला भी होगा।
मेरे सब्र का इम्तहां लेने वालों,
कभी अपना ईमां उछाला भी होगा।
महज एक क़तरा नहीं मैं लहर हूँ,
जहाँ दिल में तूफ़ान पाला भी होगा।
नहीं बदले फितरत जो फूलों में रहकर,
वो काँटों का अपना हवाला भी होगा।
यकीं मानिये वो दुआएं हैं ख़ंजर,
अगर रोते-रोते निकाला भी होगा।
अजी उंगलियां थामकर छोड़ दी क्यों,
सुना चाहतों का हलाला भी होगा।
मुहब्बत में हर सांस तुम पर लुटा दी,
फ़क़त नब्ज बांकी है ताला भी होगा।
चलो तोड़ दें सारी कसमें वफ़ा की,
मेरे दिल के ज़ख़्मों पे छाला भी होगा।