जटिलताएं सारी सरल कीजिये,
नई नीतियों की पहल कीजिये।
हैं मंजूर सब फैसले आपके,
मगर मुश्किलों को तरल कीजिये।
दिलों जां से हम हैं फ़िदा आप पर,
मेरी झोपड़ी भी महल कीजिये।
गजब का दिखा आप में हौसला,
चलो अपनी ज़िद पर अमल कीजिये।
सुधर जाएंगी मुल्क़ की सेहतें,
इलाजे इलाही असल कीजिये।
सुलगने लगी है हवा घर-गली,
महकने लगे ऐसा हल किजिये।
बहुत हो गया हर क़दम इम्तहां,
नया कुछ करो मत नक़ल कीजिये।
दुआ दो ना दो बद्द-दुआ तो ना दो,
नहीं कर सको तो टहल कीजिये।