ज़माने ने जब-जब तराशा हमें,
उड़ाया गया है धुआं सा हमें।
बना ज़िन्दगी भर तमाशा मेरा,
सभी ने जलाया-बुझाया हमें।
पिघलता रहा आंसुओं में जुनूं,
बुरे वक़्त ने यूँ रुलाया हमें।
कई मर्तबा टूटकर जुड़ गया,
मेरे हौंसलों ने बचाया हमें।
अगर मुस्कुराने की कोशिश भी की,
तभी हादसों ने सताया हमें।
भटकता गया आदमीं रास्ते,
सही राह पर कौन लाया हमें।
तुम्हें भूलकर भी भुलाया नहीं,
मगर आपने तो भुलाया हमें।
सलामत रखा अपने ईमान को,
बहुत कोशिशें की गिराया हमें।
हैं'अनुराग'क्यों प्यार में मुश्किलें,
सदा प्यार ने ही हराया हमें।