उठो रौशनी के ख़यालों से बोलो,
अभी भूख है तुम निबालों से बोलो।
टपकता लहू है ज़ख्म से बराबर,
गरीबों के पैरों के छालों से बोलो।
मेरे आंसुओं की तो गिनती नहीं है,
अंधेरों में हैं दिन उजालों से बोलो।
तुम्हें तो खबर है मेरे हाले दिल की,
उन्हीं चाहतों के हवालों से बोलो।
लगे थक गए आप भी चलते-चलते,
कोई हल तो होगा सवालों से बोलो।
नहीं लौट कर आएगा जानेवाला,
बुझी जा रहीं हैं मशालों से बोलो।
सुना मुठ्ठियों में है तक़दीर सबकी,
मुक्क़द्दर के इन बंद तालों से बोलो।
उठा लाये हैं चन्द लम्हें ख़ुशी के,
अगर आप दिल से संभालो तो बोलो।
निकालोगे क्या मेरे पैरों का कांटा,
मुझे मुश्किलों से बचालो तो बोलो।
नहीं भूल सकता तुम्हें ज़िन्दगी भर,
मेरे नाज़-नखरे उठालो तो बोलो।
ये बुझ जायेंगे देखना जलते-जलते,
चिरागों को फिर से जलालो तो बोलो।
भले आजमालो मगर रास्ता दो,
हूँ 'अनुराग'दिल में छुपालो तो बोलो।