तू नहीं तो मैं नहीं तेरा मेरा रह जायेगा,
पीर दिल की शोर मन का अनसुना रह जायेगा।
कोई तो होगा जो कल तारीख बनकर आएगा,
जिसके आने से हमारा हौंसला रह जायेगा।
बह गए आंसूं पिघलकर ख्वाब भी बुझने लगे,
आंसुओं की धार का इक सिलसिला रह जायेगा।
तुम बुलाओगे अगर दिल से हमें तो देखना,
दौड़ आऊंगा अकेला कारवां रह जाएगा।
पर हवाओं के लगाकर चूम लेगा आसमां,
सोचना मत अब परिंदा बेजुबां रह जायेगा।
अब कलम की धार को तलवार वर्गी मोड़ दो ,
इल्म औ अल्फाज वरना काँपता रह जायेगा।
और कितनी देर सूरज को ढकोगे देखना,
ताप पिघलेगा तेरा तनमन जला रह जायेगा।
मैं नहीं तो वक़्त तुमको रास्ते पर लायेगा,
मंजिले के बीच जब-जब फासला रह जयेगा।
रूठकर साहिल से दरिया बह नहीं सकता मगर,
पुल बना लेंगे नहीं जब हौंसला रह जायेगा।