लोग जो आंसू बहाने आ गये,
दरअसल वो मुस्कुराने आ गये।
आँख खोली थी अँधेरा हो गया,
रहनुमां सूरज छुपाने आ गये।
मोती चुन-चुन कर निकाले ले गये,
सीपियाँ वापस सिराने आ गये।
मैं अगर कमजोर हूँ तो क्या हुआ,
हौंसला तुम तो बढाने आ गये।
लौट भी आओ खुदा का वास्ता,
भूले-भटके सब ठिकाने आ गये।
ये मेरी खामोशियों का शोर है,
आप तो आँखें दिखाने आ गये।
सोना तपकर आग में कुंदन बना,
फिर से क्यों पीतल बनाने आ गये।
तोहमते पहले लगाईं आपने ,
आज हमदर्दी जताने आ गये।
फासले दीवार अब गहराइयाँ,
थोडी-थोड़ी सब बढ़ाने आ गये।
सर से लेकर पाँव तक जो झूठ है,
ऐब वो मुझमें गिनाने आ गये ।
आइना 'अनुराग'था जिनके लिए,
आइना हमको दिखाने आ गये।