
मेहरबानी ही सही करदो जरा,
ज़ख़्म हैं गहरे इन्हें भरतो ज़रा।
मुद्दतों तन्हाईयाँ थीं हमसफर ,
थामकर अब उँगलियाँ चलतो ज़रा।
खोल दो दिल की गिरह सब बोल दो,
आएगी ताज़ा लहर ठहरो जरा।
आज सब एहसास मुझको हो गया,
आप को भी हो गया कहदो जरा।
मन्नतों में औ दुआओं में रखूं ,
खाली झोली है मेरी भरदो जरा।
ज़िद नहीं मुझमें जुनूँ है जोश है,
होश में आने भी दो हमको जरा।
नब्ज है बेशक मगर ये ज़िन्दगी,
थम गई क्यों सोचकर बोलो जरा।
बोझ कन्धों पर उठाये आदमीं,
जीने को मजबूर है बोलो जरा।
टूटकर ऐसे गिरे फिर ना जुड़े,
हाशिये तुम आज मत छोडो जरा।
मत वसीयत में जगह देना मुझे,
बेरुखी से हाथ ना छोड़ो जरा।
तुम हवाओं से घुटन को सोख लो,
वक़्त का रुख इस तरफ मोड़ो जरा।