वक़्त भी मेहरबां आपभी मेहरबां,
आसमां मेहरबां है ज़मीं मेहरबां ।
फिर भी तन्हा हूँ दौरे हरम में कहीं,
इश्क़ भी मेहरबां हुस्न भी मेहरबां।
ज़िन्दगी ढूंढती फिर रही ज़िन्दगी,
उम्र भी मेहरबां साँस भी मेहरबां।
रौशनी पर फ़िदा हो गईंआंधियां,
तीरगी मेहरबां नूर भी मेहरबां।
रुत जवां है नरम धूप भी मखमली,
रात पर हो गई चाँदनी मेहरबां।
पर हवाओं से लेकर परिंदे उड़े,
और ऊंचाइयां हो गईं मेहरबां।
जाने किस मोड़ पर फिर मुलाक़ात हो,
हैं जुदाई के दिन बेखुदी मेहरबां ।
ख्वाब देखे थे जो भी फ़ना हो गए,
ज़िन्दगी कर रही दिल्लगी मेहरबां ।
बेवजह झुकना हमको गवारा नहीं,
हैं अंधेरों पे भी रौशनी मेहरबां ।