हार का जश्न खुलकर मनाते हैं हम,
पर कई मर्तबा टूट जाते हैं हम,
हम रुकेगे नहीं हम थकेगे नहीं,
जीत के गीत यूँ गुनगुनाते हैं हम।
मंजिले अब हमारा जुनूं बन गईं,
रास्तों को बनाते मिटाते हैं हम ।
जिंदगी से गिला कोई शिकवा नहीं,
सिर्फ उम्मीद को थपथपाते है हम।
तुम गुजरते हो जब भी मेरे जहन से,
एक पुल की तरह थरथराते हैं हम।
ठोकरें तो हमें तोड़ पायीं नहीं,
प्यार में बे वजह टूट जाते हैं हम।
देखो तूफान फिर मेहरबां हो गया,
इसकी लहरों को जी भर छकाते नहीं।
रूठ जाती हो तुम ज़िन्दगी की तरह,
टूट कर हर दफा ही मनाते हैं हम।
प्यार जां से भी ज्यादा किया है तुम्हें,
इसलिए गलतियां भी भुलाते हैं हम।
एक सरहद हो तुम वानगी इश्क़ की,
आइनों की तरह पेश आते हैं हम।
हमको हासिल नहीं ये जहाँ दोस्तों,
तुम कहो तो सही लौट जाते हैं हम ।
है बला सी कशिश तेरे स्पर्श में,
सांस रुक जाती है ठहर जाते हैं हम।
मत तमाशा बना मेरे ईमान का,
तेरे सजदे में सर को झुकाते हैं हम।
रौशनाई बिखर के फ़ना हो गई,
नाम लिख-लिख के तेरा मिटाते हैं हम।