कई मर्तबा उनके अंदाज़ देखे,
समय ने पिघलते हुए ताज देखे।
जिसे ज़िन्दगी मानकर चल रहे हो,
मिले तो मगर बहुत नाराज़ देखे।
कभी आसमां नाप लेते थे कहकर,
कटे पंख वो हमने परवाज़ देखे।
जिन्हें आजतक झुकते देखा नहीं था,
हैं घुटनो के बल उनके अंदाज़ देखे ।
मुनासिब नहीं वक़्त को मात देना,
बिखरते हुये लाखो आगाज़ देखे।
तेरे ख्वाब आँखों में चुभने लगे हैं,
दबे तेरे दिल में कई राज देखे।
मिटा दीजिये आज ये फासले भी,
बहुत छटपटाते हुए साज़ देखे ।
निगाहों में जुगनू लवों पर तरन्नुम,
मगर थरथराते बे-आवाज़ देखे ।
चलो मांग लें आज 'अनुराग'रब से,
मुक़द्दर का है कौन हमराज देखे।