हमारे तुम्हारे सवालों के घेरे,
उजालों के घेरे अंधेरों के घेरे।
ख़ुशी और गम इक अहम संविदा है,
रहेंगे हमेशा निबालों के घेरे।
चमन महकते हैं बदलते हैं मौसम,
कली फूल खुशबू बहारों के घेरे।
मुकम्मल नहीं तो अधूरे नहीं हैं,
नदी बह रही है किनारों के घेरे।
कदम बहक जाएंगे उस दिन हमारे,
पके होंगे पैरों में हैं छालों के घेरे।
कहीं ना कहीं तो कभी ना कभी हम,
लगे होंगे मन में भी तालों के घेरे।
मेरी कशमकश को समझते नहीं हैं,
चुभाते हैं नश्तर विवादों के घेरे।
बदल जायेंगे ख्वाब कल में हमारे,
नहीं रोक पाए हिसाबों के घेरे।
ये संकल्प की योजना से जुड़े हैं,
इरादों के तेवर दुआओं के घेरे।