तसब्बुर में रहते हैं हमसे जुदा हैं,
ये एहसास दिल के बड़े बेवफा हैं।
वो कुछ भी नहीं बोलते हैं जुबां से,
खबर है मुझे जान-तन से फ़िदा हैं।
खुले ज़ख्म बहते हैं नासूर बनके,
ना मरहम इलाही ना कोई दवा है।-
बहुत दिन गुजारे हैं सजदे में तेरे,
सुकूं भी ना आये ये कैसी सजा है।
मेरी ज़िन्दगी धूप का आईना है ,
बिखरता हूँ मैं जब भी साया मिला है।
मैं साँसों से तेरी गुजरता हूँ जब भी,
यूँ लगता है तू ताजगी है हवा है।
मुझे ठोकरों ने तराशा है इतना,
ये पत्थर का बुत बन गया देवता है।
अगर हार के बाद ही ज़िन्दगी है,
तो लो हार जाने का अपना मजा है।
भुला कर भी मैं भूल सकता नहीं हूँ,
तेरा नाम दिल धड़कनो पर लिखा है।
उड़ा के किधर किस गली ले गई हैं,
गजब आँधियों से यूँ रिश्ता जुड़ा है।
है मौजों के हाले हवाले ये कश्ती,
ना पतवार हैं ना कोई नाखुदा है।
की 'अनुराग' ने ज़िन्दगी भर इबादत,
मुकद्दर से थोड़ा बड़ा हौंसला है।