
उगते सूरज को चिरागों का शरारा,
रहमते हैं या क़यामत का इशारा।
किस्मतों को दोस्तों यूँ मत संवारो,
सीखले जो तैरना उसका किनारा।
हम चिरागों को कभी बुझने न देंगे,
पास रख्खेंगे हवाओं का पिटारा।
आंधियां तो आएँगी डरना नहीं है,
डगमगाना भी नहीं उनका गवारा।
वक़्त की तासीर को पहचानिएगा ,
वक़्त बनता है यहाँ सबका सहारा।
मील के पत्थर बनो या ठोकरें में,
अब नहीं मंजूर औरों का उतारा।
मुश्किलें होंगी तो हासिल आएगा,
ढूंढना पड़ता है हर मुंह का निबाला।
माँगना दिल से फैलाकर झोलियां तुम,
लेना-देना काम है उसका निराला।
खूबसूरत घर बनाना ठीक होगा,
याद रखना यार तिनकों का सहारा।
गर्दिशे हालात की ज़ंजीर को भी,
रास्तों में ढाल दे रब का इशारा।
ये बहुत गंभीर सी बीमारियाँ हैं,
या इलाही कीजिये इनका निबारा।
फितरतन 'अनुराग'कुछ तो बोलिए,
है बुलंदी पे बता किसका सितारा।