कोटि-कोटि आभार तुम्हारा अभिनन्दन,
हम चलो करें शत् वार सैनिकों का वंदन।
तुम श्रेष्ठ राष्ट्र के परमवीर हो पुरुषार्थी;
तुमसा निश्चल,निर्भय ना दूजा परमार्थी।
शौर्य देश के विजय मुकुट के दिव्यरतन हो;
अति गर्वसुशोभित देशकाल के शुभचिंतन॥
कोटि-कोटि आभार तुम्हारा अभिनन्दन,
हम चलो करें शत् वार सैनिकों का वंदन।
बनकर प्रहरी जन-मानस को भय मुक्त कराते,
विषम विकट परिवेशों में रक्षा करते ना घबराते।
सर्वोत्तम हो संकल्वान,पुरुषोत्तम और समर्पित,
कर गये सुगन्धित मात्रभूमि बन करके चन्दन॥
कोटि-कोटि आभार तुम्हारा अभिनन्दन,
हम चलो करें शत् वार सैनिकों का वंदन।
वर्दी पहनी तो भुला दिए अपने सतरंगी सपने,
देश की खातिर छोड़ दिए साथी-संगी अपने।
होली,राखी,दिवाली सब कर दिए समर्पित,
घर बुला रहा लौट आओ विजयी रघुनन्दन॥
कोटि-कोटि आभार तुम्हारा अभिनन्दन,
हम चलो करें शत् वार सैनिकों का वंदन।
कर्तव्य पन्थ पर डटे रहे वो लडे लहू की गर्मीं तक,
दुश्मन की क्रूर गोलिओं में विस्फोटों की हठधर्मीं तक।
ना झुका-रुका संगीन उठा विकराल काल सा,
पर दिया तिरंगा गाड़,नवायें शीश वीर का अभिनंदन॥
कोटि-कोटि आभार तुम्हारा अभिनन्दन,
हम चलो करें शत् वार सैनिकों का वंदन।