कभी-कभी परिस्थितियां हमें अपने हिसाब से नचाती रहती है और हम नाचते रहते हैं। उस समय हमें वही सही लगता है जो परिस्थिति हमसे करवाना चाहती है इसीलिए तो मनुष्य को परिस्थितियों का दास कहा जाता है कुछ अनूठे और विरले लोग ही होते हैं जो अपनी परिस्थितियों को बदल देते हैं लेकिन ज्यादातर मामले में जो नियति ने तय किया होता है उसी के अनुरूप हमारी परिस्थितियां बनती चली जाती है और हम उसी के अनुरूप कार्य करते चले जाते हैं नहीं तो हो सकता था राजीव उन लोगों के साथ जाता ही ना कई दिनों ठीक से खाना ना खाने के कारण कमजोर शरीर था बिस्तर से उठता ही ना दरवाजा ही खोलता किंतु सारी परिस्थितियां उसके अनुरूप ऐसी ही बनी जिस कारण वह उन्हें रोक नहीं पाया, मयंक ने पुलिस स्टेशन पर जाकर अपनी complain तो लिखा दी थी लेकिन उसने भी खुलकर ठाकुर साहब का नाम नहीं लिया क्योंकि अगर कायदे से देखा जाए तो अंवनी की मौत के बाद हर कोई यही सोचेगा कि अब हवेली वालों का राजीव से क्या लेना देना क्योंकि वो बेचारे तो खुद ही संकट झेल रहे थे । इंस्पेक्टर ने भी अपनी फॉर्मेलिटी में राजीव के गायब होने की कंप्लेंट दर्ज कर ली उसके बाद दूसरे दिन दरोगा मयंक के रूम पर आते हैं और थोड़ी देर मयंक से पूछताछ करने के बाद आसपास के लड़कों से भी कुछ प्रश्न पूछते हैं और उसके बाद अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर वापस थाने चले जाते हैं। मयंक के तो दिमाग ने तो जैसे काम करना बंद कर दिया था, कि आखिर अब वह क्या करें कैसे ढूंढे राजीव को कहां ढूंढे किससे पूछें एक अंतिम आसरा नीलम थी उससे भी उसे कोई मदद नहीं मिली ,अब मयंक हर समय सोचता रहता है कि मैं राजीव को न्याय कैसे दिलाऊं मैं तो चाह कर भी राजीव को न्याय नहीं दिला सकता क्योंकि राजीव अगर खुद से कहीं गया होता तो मुझे जरूर बताता माना कि उसकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन इतनी खराब भी नहीं थी कि वह चुपचाप बिना किसी को बताए ऐसे गायब हो जाए यह सब सोचकर वह दुखी मन से बैठा रहता है।
इधर हवेली में अवनी की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ और हवन का आयोजन किया जाता है उसके बाद ठाकुर साहब और ठकुराइन रोज बैठकर गरुड़ पुराण का पाठ सुनते कुछ गांव वाले भी एकत्र होते और ठाकुर साहब को ढांढस बंधा कर चले जाते उनकी नजर में ठाकुर साहब इस समय गांव के सबसे दीन हीन नीरीह प्राणी थे, गांव वाले उनके दुख में शामिल रहते उनका और उनके परिवार का बराबर ध्यान रखते ठाकुर साहब अपने मन में सारी चीजों को सही सही समझ रहे थे उन्हें यह कहीं से भी पछतावा नहीं था कि उन्होंने कुछ गलत किया हां लेकिन इसका दुख था कि अपनी सबसे प्यारी संतान खो दी ,ठकुराइन बिचारी को तो यह पता ही नहीं था कि उनकी बेटी के साथ क्या हुआ अगर पता होता तो शायद वह ठाकुर साहब से यह जरूर पूछती कि आप होते कौन हैं न्याय करने वाले जब मैंने अपने कोख में नौ महीने रखा तो न्याय करने का अधिकार आपको किसने दिया, राजीव तथा अवनी का इस तरह से मिलन हवेलियों में ही संभव है वहीं पर मिलन की एक नई परंपरा चलती है जिसमें मिलन तो होता है किंतु मरने के बाद आत्माओं का आज अखंड प्रताप को यह पता चलता है कि राजीव अपने रूम से दो दिन से गायब हो गया है मयंक यह सारी बातें नीलम को बताता है नीलम फोन करके अखंड प्रताप को सारी बातें बताती है अखंड प्रताप यह समझ नहीं पाते कि आखिर राजीव कैसे गायब हो सकता है माना उसे अवनी नहीं मिली तो वह अवनी की यादों में ही रहता अचानक उस का गायब होना सबके लिए एक रहस्य बन जाता है जिसे ना पुलिस समझ पाती है ना हवेली ना खुद उसकी मां ना मयंक ही उसको न्याय दिला पाता है हालांकि मयंक न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाता है किंतु जब बात बड़ी साखो की होती है तब सिर्फ ठोकरों की ही जरूरत नहीं होती बल्कि साथ में कोई मजबूत हाथ भी होना जरूरी होता है जो मयंक के पास था ही नहीं वह किसके सहारे राजीव का केस लड़ता और वह भी उस व्यक्ति के खिलाफ जो इतना मजबूत था कि उसकी साख को हिलाना मयंक जैसे के बस की बात ही नहीं थी ,
भले ही कलावती को किसी ने बताया ना हो लेकिन कहीं ना कहीं उसे शक जरूर हो जाता है की अवनी के साथ कुछ तो गलत हुआ है इधर कई दिनों से सबके बदले व्यवहार उसे शक करने पर मजबूर कर रहे थे और कहीं ना कहीं उसका शक पूर्णता सही भी था भले ही किसी को कुछ ना पता हो लेकिन फिर भी कुछ ना कुछ सही गलत तो सबको ज्ञात था,
धीरे-धीरे समय बीतता गया और अवनी अब हवेली में स्मृतियों में ही शेष रही लोग धीरे-धीरे भूलने लगे की ठाकुर साहब की संतानों में एक संतान उनकी पुत्री भी थी जब बहुत समय हवेली में कोई औलाद नहीं हुई तो ठाकुर साहब को चिंता होने लगी उन्होंने अपने कुल पुरोहित से कहा कि अगर किसी घर के सदस्य की जानबूझकर हत्या कर दी जाए तो क्या उसका पाप हवेली के सभी सदस्यों पर पड़ता है या फिर जिसने किया है उसी पर पड़ता है कुल पुरोहित ने बताया ठाकुर साहब उसकी छाया उस पूरी हवेली पर पड़ती है क्योंकि उसका पूरा लगाव उस हवेली और उसमें रहने वाले सभी सदस्यों से रहता है और हो सकता है उसकी कोई ऐसी इच्छा रही हूं जो मृत्यु के समय पूरी ना हो पाई हो तो ऐसे में हवेली में कोई नई संतान कैसे हो सकती है इसी कारण से वर्षों की पूजा पाठ और तीर्थ यात्रा के पश्चात ही हवेली में किलकारियां गूंजी थी शायद वह अवनी का श्राप ही था की बहुत वर्षों तक अखंड प्रताप और रुद्र प्रताप की कोई संतान नहीं थी और ठाकुर साहब बहुत वर्षों तक संतान के लिए प्रार्थनाएं करते रहे, इसी कारण से जब कलावती को पुत्री प्राप्त होती है तो जितना वह खुश नहीं होती उससे कहीं ज्यादा वह अंदर ही अंदर डर जाती है भले ही वह अवनी का पूरा सच ना जानती हो लेकिन ऐसा नहीं था कि वह किसी सच से अनजान रही हो क्योंकि हवेली में किसी की भी बात धीरे-धीरे सभी सदस्यों को पता चल ही जाती है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ🙏 क्रमशः'