साल 1995 में एक फिल्म आई थी ‘रंगीला’. डायरेक्टर हिंदी फिल्मों के लिए नया था. दो-एक साउथ इंडियन फ़िल्में बनाई थीं. कुछ राम गोपाल वर्मा नाम था. फिल्म में दो हीरो थे, जिसमें एक जैकी श्रॉफ जैसा हिट नाम था और दूसरा था एक जवान लड़का जिसे आगे चलकर ‘आमिर खान’ बनना था. मतलब इतनी भूमिका इसलिए बांधी जा रही है क्योंकि वो फिल्म आज ही रिलीज़ हुई थी 22 साल पहले. ये फिल्म इसलिए भी बहुत ख़ास है क्योंकि ये लीजेंड्री म्यूज़िक डायरेक्टर अल्लाह रक्खा रहमान की पहली ओरिजिनल हिंदी फिल्म थी.
इस फिल्म की सबसे ख़ास बात थी कि इसमें काम करने वाले कास्ट से लेकर क्रू तक सब आगे चलकर स्टार बन गए. चाहे वो फिल्म की हीरोइन उर्मिला मातोंडकर हों, कोरियोग्राफर अहमद खान हों या कॉस्टयूम डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा हों. फिल्म आज के रामू के मिजाज़ के ठीक उलट एक लव ट्रायंगल थी. खासी बड़ी हिट रही थी. फ़िल्में बनती हैं, हिट हो जाती हैं और हमें काम मिल जाता है किस्सागोई का. फिल्म ‘रंगीला’ के रंगीन किस्से जान लीजिए:
#. इस फिल्म से बॉलीवुड के तीनों खान जुड़े हुए थे
साल 1995 में ही राकेश रोशन की शाहरुख़-सलमान स्टारर ‘करन-अर्जुन’ रिलीज़ हुई थी. फिल्म सुपरहिट थी. उसी साल ‘रंगीला’ भी प्लैन हुई और सेम कास्ट के साथ बनाने की बात तय हुई. फिल्म में जो किरदार आमिर ने निभाया था उसके लिए पहले शाहरुख़ तय हुए थे लेकिन तब तक शाहरुख़ ‘बाज़ीगर’, ‘कभी हां कभी ना’, ‘डर’, और ‘करन-अर्जुन’ जैसी फ़िल्में देकर स्टार बन चुके थे. तो फिल्म को ये कहकर मना कर दिया कि वो ऐसे रोल नहीं करेंगे. वहीं जैकी वाला रोल सलमान के लिए था लेकिन जब शाहरुख़ ने न कर दिया तो डायरेक्टर ने फिल्म से सलमान को कास्ट करने का ख्याल भी छोड़ दिया. फिल्म में शाहरुख़-सलमान के साथ श्रीदेवी की जोड़ी रखी जानी थी, लेकिन शाहरुख़ की एक ‘न’ ने पूरी फिल्म का इक्वेशन बदल दिया. बाद में ये फिल्म आमिर, जैकी और उर्मिला के साथ बनी.
#. अपने किरदार के लिए आमिर को कपड़े उधार मांगने पड़े
आमिर खान का किरदार इस फिल्म में एक टपोरी टाइप लड़के का था. उन्होंने ऐसा रोल करने का चैलेंज स्वीकार तो कर लिया लेकिन किरदार के स्किन में आने के लिए उनको बड़ी मशक्कत करनी पड़ी. पहले तो आमिर एक अच्छे परिवार से आते थे तो उनको इस तरह की बोली-बानी का कोई ज्ञान नहीं था, बस बंबई के लौंडों को बोलते सुना था. कपड़े भी बिल्कुल गुंडों टाइप चाहिए थे. जालीदार बनियान, गिरह बांधकर प्रिंटेड शर्ट और टोपी. आमिर ने तय किया कि वो ऐसे ही कपड़े पहनेंगे और अपने ही पहनेंगे. उन्होंने अपने सारे पुराने कपड़े निकाले लेकिन सब कुछ ज़्यादा ही ‘ढंग’ के थे. फिर उन्होंने इसके लिए अपने आस-पड़ोस और दोस्तों से उनके पुराने कपड़े मांगने शुरू किए. जब काम भर कपड़ों का इंतजाम हो गया, तब शुरू की शूटिंग.
#. इस फिल्म के बाद से आमिर ने अवॉर्ड फंक्शन में जाना बंद कर दिया
आमिर को जब राम गोपाल वर्मा ने ये किरदार सुनाया तो उन्हें बहुत पसंद आया और उन्होंने फिल्म के लिए हां कर दी. इस फिल्म में आमिर अपने काम से गदगद थे. उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बार के फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड उन्हें ही मिलेगा. लेकिन ऐसा हुआ कि अवॉर्ड तो छोड़िए उन्हें उस केटेगरी में नॉमिनेशन तक नहीं मिला. साल 1995 का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड शाहरुख़ को फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के लिए दे दिया गया. इससे पहले भी आमिर को ‘क़यामत से क़यामत तक’ के लिए कोई अवॉर्ड नहीं मिला था जबकि फिल्म में उनकी अदाकारी बहुत सराही गई थी. इसके बाद आमिर ने डिसाइड कर लिया कि वो अब किसी अवॉर्ड फंक्शन में झांकने भी नहीं जाएंगे. अपना बनाया हुआ ये रूल आमिर अब तक फॉलो करते हैं.
#. बॉलीवुड में उस वक़्त स्पीलबर्ग का बहुत जोर था
स्टीवन स्पीलबर्ग हॉलीवुड के बहुत मशहूर डायरेक्टर हैं. तब तक स्टीवन ‘यंग शरलॉक होम्स’, ‘इंडियाना जोंस एंड द लास्ट क्रूसेड’, ‘जुरासिक पार्क’, ‘हुक’ और ‘कैस्पर’ जैसी फ़िल्में बना चुके थे. इंडिया में उनकी बहुत जबर फॉलोविंग थी. बॉलीवुड वाले उनके बहुत दीवाने थे. इंडिया में लोग शेखर कपूर को स्पीलबर्ग मानते थे. मतलब उनकी भी बहुत इज़्ज़त थी. उन लोगों की उसी फॉलोविंग को व्यंगात्मक रूप से दिखाने के लिए फिल्म में गुलशन ग्रोवर के किरदार का नाम ‘स्टीवन शेखर’ रखा गया था. जो डायरेक्टर था और हॉलीवुड जाना चाहता था.
फिल्म के एक और सीन में बॉलीवुड में डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स की फेकैती पर कमेंट किया गया है. फिल्म में प्रोड्यूसर पीसी के किरदार में अवतार गिल कहते हैं कि ‘हम आपके हैं कौन!’ की स्क्रिप्ट उन्होंने ही तो सूरज बड़जात्या को दी थी. ‘हम आपके हैं कौन!’ सुपर हिट फिल्म रही थी. उस दौर के डायरेक्टर्स बहुत सारी झूठ-मूठ की अफवाहें फैलाते थे और खुद को दूसरों से बड़ा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे.
#. ‘रंगीला’ को इंडिया से ज़्यादा नेपाल में पसंद किया गया था
इंडिया में तो ‘रंगीला’ चली ही थी लेकिन नेपाल में लोग इसके लिए पगला गए थे. जब ये फिल्म नेपाल में रिलीज़ हुई तो सारे थिएटर्स हाउसफुल हो गए और लगातार होते रहे. जब एक टाइम के बाद फिल्म को थिएटरर्स से उतारा जाने लगा तो वहां के लोगों ने हंगामा कर दिया. काठमांडू में लोगों ने इसे उतरने ही नहीं दिया. जबकि थिएटर वाले कोई और फिल्म चलाना चाहते थे.
#. ‘तन्हा-तन्हा’ और ‘रंगीला रे’ चार्टबस्टर्स हो गए थे
फिल्म में ए आर रहमान ने म्यूज़िक दिया था. ये उनका पहला ओरिजिनल बॉलीवुड एल्बम था. इसके पहले उनके एलबम्स हिंदी में डब किए जाते थे. जैसे फिल्म ‘रोजा’ में हुआ था. रंगीला का म्यूज़िक बहुत ही कमाल था. खासकर इसके दो गाने ‘तन्हा तन्हा’ और ‘रंगीला रे’. ‘रंगीला रे’ में जहां उर्मिला के कॉस्टयूम और डांस स्टेप्स की तारीफ हो रही थी वहीं ‘तन्हा-तन्हा’ में लोगों को सबकुछ जंचे जा रहा था.
‘रंगीला रे’ देखिये:
मेरे ऑफिस की एक मैडम बताती हैं कि उन दिनों में ये गाना इतना पॉपुलर था कि सब यही गुनगुना रहे थे. अब तो स्मार्ट फ़ोन हैं, लूप पर लगा के छोड़ दिया तो बजे जा रहा है. लेकिन तब के समय में सिर्फ रेडियो, टीवी और टेप ही जुगाड़े मिलते थे. कैसेट भरवाओ, फिर उसमें पेन घुसेड़कर बार-बार रिवाइंड करो. उसमें भी टेप सबके पास नहीं होता था. उन्होंने बताया कि एक बार वो किसी पार्टी में जा रही थीं और तभी ये गाना टीवी पर आ गया. उस गाने को सुनने के लिए वो बैठ गईं और इसी चक्कर में घर वाले चले गए. बेचारी को अकेले जाना पड़ा.
‘तन्हा तन्हा’ देखिये:
#. अवॉर्ड बरस रहे थे
फिल्म इतनी ग़दर थी कि इसे सात फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे. तक़रीबन हर मेज़र केटेगरी में अवॉर्ड मिला था. इस फिल्म के लिए जैकी श्रॉफ को बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल का अवॉर्ड मिला. गानों को अपने जबरदस्त मूव्स से सुंदर बनाने वाले अहमद खान को बेस्ट कोरियोग्राफर के लिए अवार्ड मिला. फिल्म में उर्मिला बहुत प्यारी लगी थीं और इसके लिए उनके कपड़ों को क्रेडिट दिया ही जाना चाहिए. फिल्म में मनीष मल्होत्रा ने कॉस्टयूम डिज़ाइन किया था जिसके लिए उन्हें बेस्ट कॉस्टयूम डिज़ाइनर का अवॉर्ड मिला. फिल्म में गानों के बोल लिखने वाले महमूद को आर डी बर्मन अवॉर्ड से नवाज़ा गया. फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग करना बंद कर चुकीं आशा भोंसले को ‘तन्हा-तन्हा’ के लिए स्पेशल ज्यूरी सम्मान दिया गया था.
#. फिल्म को हॉलीवुड ने भी रीमेक किया
इस फिल्म को दर्शक से लेकर समीक्षकों तक सभी ने पसंद किया था. इसे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया के मेनस्ट्रीम फिल्म सेक्शन में प्रदर्शित किया गया था. इसके अलावा कई इंटरनेशनल अवॉर्ड दिए गए. पॉपुलैरिटी इतनी बढ़ गई कि इसकी धमक हॉलीवुड तक पहुंच गई. इसे बाद में हॉलीवुड में ‘विन अ डेट विथ टैड हैमिलटन’ नाम से बनाया गया.