गौरी लंकेश की हत्या में पहली जिम्मेदारी तो कांग्रेस की है, उसे किसने दी क्लीन चिट?
9 सितम्बर 2017
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गौरी लंकेश की हत्या को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह की कयासबाजियां हो रही हैं...
मंत्री के पावन पद की यह शान, नहीं दिखता दोष कहीं शासन में भूतपूर्व मंत्री की यह पहचान, कहता है, सरकार बहुत पापी है
दिनकर ने क्या खूब लिखा था. नेता सरकार में अलग होते हैं. सरकार से बाहर अलग. पूरा एटिट्यूड बदल जाता है. सरकार में हर जिम्मेदारी से जान छुड़ाते हैं. विपक्ष में रहकर हरदम सरकार पर उंगली उठाते हैं. कर्नाटक का भी ये ही हाल है. कर्नाटक का नहीं. कांग्रेस का. जिसकी वहां सरकार है. लेकिन जिम्मेदारी औरों पर थोपती है. कुछ अच्छा हुआ तो क्रेडिट के लिए सबको पटखनी दे देंगे. बुरा हो तो दिल्ली दूर जाकर बलि का बकरा खोजेंगे. यूं तो कई मामले हैं. मौजूदा मामला गौरी लंकेश मर्डर का. हत्या की जिम्मेदारी तय करने का.
एक बड़े धड़े में गौरी लंकेश की हत्या को लेकर काफी नाराजगी है…
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, पहली जिम्मेदारी उसकी हुई जो भी दुखी हैं, हिंदू कट्टरपंथियों को गरिया रहे हैं. जाहिर है. वही हैं, जो सबसे ज्यादा खुश हैं. खुशी में मौन भी नहीं. काफी मुखर हैं. खुलकर गाली-गलौज कर रहे हैं. लेकिन क्या जिम्मेदारी बस उनकी ही है? ये लेकिन मामूली नहीं. बड़ा सवाल है. क्योंकि इस लेकिन के पीछे कांग्रेस है. इस हत्या की सबसे बड़ी जिम्मेदार.
गौरी लंकेश की हत्या के मामले में कार्रवाई तो सिद्दारमैया सरकार को ही सुनिश्चित करनी होगी
किस नैतिकता से कांग्रेस अपना गला छुड़ाने की कोशिश कर रही है? हत्या हुई कर्नाटक में. कर्नाटक में है कांग्रेस राज. सबसे पहली उंगली तो कांग्रेस पर उठनी चाहिए. सरकार उसकी. पुलिस उसकी. प्रशासन उसका. फिर लोगों की जान-माल की हिफाजत का जिम्मा BJP पर कैसे? अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे. कांग्रेस फिर वोट मांगने पहुंचेगी. क्या कहकर? कि हम कुछ करने के लायक नहीं! लोग मारे जाएंगे. हम पानी पी-पीकर BJP को गरियाएंगे. एक जांच बिठा देंगे. लेकिन उस जांच से कुछ होगा नहीं.
राज्य की कानून-व्यवस्था की पहली जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होती है, राहुल गांधी को ये याद रखना चाहिए
राहुल जी, विपक्षी मोड में आने की भी कुछ शर्तें होती हैं राहुल गांधी को शायद याद नहीं. कर्नाटक में कांग्रेस की ही सरकार है. हमेशा विपक्षी मोड में रहना ठीक नहीं. इससे गलत मैसेज जाएगा. जनता सोचेगी कांग्रेस हर जगह विपक्ष में ही है. जहां सत्ता में है, वहां भी विपक्षी ही है. हमेशा विपक्ष वाले तेवर. गोरखपुर अस्पताल में बच्चे मरे. हमने योगी और मोदी से सवाल किया. कांग्रेस पर उंगली उठाई क्या? जिसकी सरकार, उसकी सीधी जिम्मेदारी. महाराष्ट्र में शासन-व्यवस्था से जुड़ा मामला होगा, तो क्या तृणमूल कांग्रेस को दोषी ठहराएंगे? सरकार की जिम्मेदारी क्या है फिर?
गौरी लंकेश की हत्या के मामले में ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने खुद ही खुद को क्लीन चिट दे दी है…
सब पता है तो कार्रवाई क्यों नहीं करते, किसने हाथ पकड़ा है? जो गलत कर रहा है, उसे धर दबोचो. पकड़ो. कार्रवाई करो. अगर मालूम है कि दक्षिणपंथी संगठन उत्पात कर रहे हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं करते? किसने हाथ पकड़ा है? कांग्रेस को क्या बस बोलने के लिए वोट दिया है वहां के लोगों ने? देखेंगे. कहेंगे – सब समझते हैं. कुछ हुआ तो इल्जाम भी लगाएंगे. बस कार्रवाई नहीं करेंगे. हां, बेशक देश में असहिष्णुता बढ़ी है. बहुत सारे लोग उन्मादी हो गए हैं. कभी धर्म. कभी जाति. कभी गाय. कभी तिरंगा. कभी भारत माता. किसी भी बात पर हत्या हो जा रही है. दिन-दहाड़े.
राज्य सरकार का क्या काम है? ऐसा न होने देना. लोगों की हिफाजत करना. बाइक पर आकर लोग घर के बाहर गोली मार दे रहे हैं. मारकर भाग जा रहे हैं, पकड़े भी नहीं जा रहे. कर्नाटक पुलिस गई-गुजरी हुई न. इसकी जिम्मेदारी तो कांग्रेस पर है. केजरीवाल दिल्ली के CM हैं. लेकिन पुलिस उनके बस में नहीं. इसीलिए पहली उंगली गृह मंत्रालय पर उठती है. कानून-व्यवस्था भी नहीं संभालोगे, तो सरकार में क्यों हो? इस्तीफा दे दो.
अगस्त 2015 में कलबुर्गी की हत्या हुई थी. उसे अंजाम देने वाले अपराधी अब तक क्यों नहीं पकड़े जा सके…
कलबुर्गी की हत्या के समय भी कांग्रेस की ही सरकार थी, उस जांच का क्या हुआ? 30 अगस्त, 2015. कर्नाटक के धारवाड़ में हुई थी कलबुर्गी की हत्या. गोली मारी थी. उनके घर पर. 2 साल हुए. अब तक हत्यारों को नहीं खोज पाई पुलिस. कोई गिरफ्तार नहीं हुआ. हमको अब कोई उम्मीद भी नहीं. न ही कलबुर्गी के परिवार को है. सरकार की काबिलियत देखने के लिए 2 साल काफी हैं. बोलते वक्त खूब बोलते हैं. कि कट्टर हिंदुत्व विचारधारा ने ले ली जान. संघ और फलां-फलां. जांच में क्यों सांप सूंघ जाता है? 2 साल में कुछ नहीं कर सके. अब गौरी लंकेश वाले में क्या अनोखा कर लेंगे? जान तो बराबर है सबकी. कलबुर्गी के लिए क्या कम संवेदनशील थी सरकार? जो अब गौरी लंकेश के लिए बहुत दुख है! कांग्रेस नेताओं को कलबुर्गी, पानसरे, दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्याओं में एक लिंक नजर आता है. हो सकता है कि हो. लेकिन कर्नाटक सरकार का काम बस बयान देना नहीं है. लीड है तो कार्रवाई करो.
मुख्यमंत्री को बताना होगा कि उनकी सरकार के रहते अपराधियों का हौसला इतना कैसे बढ़ गया…
खाली बकैती, रिजल्ट कुछ नहीं मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने भरोसा दिया है. बोले, सुरक्षा का माहौल बनाने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे. करेंगे से क्या मतलब है? अब तक नहीं कर रहे थे क्या? मालूम है कि वो क्या कहते हैं? कि पत्रकारों और विचारकों की लगातार हो रही हत्याओं से डर का माहौल है. कि एक खास विचारधारा हावी हो रही है. असुरक्षा का माहौल है. CM साब, हमको ये सब पता है. हालात देखकर हम निराश हैं. सिर पीटने का मन करता है. इस कट्टरता से दम घुटता है हमारा. लेकिन हमारे पास सत्ता नहीं है. आपके पास है. ताकत है. आप क्यों हथियार डाल रहे हैं. काम कीजिए. बकैती नहीं. रिजल्ट दीजिए. आप सरकार हैं. विपक्ष में नहीं हैं. समझिए.
मोदी जी ट्विटर पर किन्हें फॉलो करते हैं, इस पर काफी दिनों से सवाल उठते आ रहे हैं…
BJP को क्लीन चिट नहीं कांग्रेस पर उंगली उठाना सही है. लेकिन BJP को क्लीन चिट नहीं दी जा रही. दी भी नहीं जा सकती. BJP के कुछ नेता गौरी लंकेश की हत्या की निंदा करते हैं. लेकिन कब? दबाव बनने पर. PM मोदी पर भी उंगलियां उठ रही हैं. ट्विटर पर कैसे-कैसे लोगों को फॉलो करते हैं. जो मर चुकी महिला के लिए घटिया भाषा का इस्तेमाल करता है. BJP ने सफाई भी दी है इसकी. लेकिन उसमें कोई दम नहीं. सोचिए. कोई घटिया और अश्लील ट्वीट करे. और उसके परिचय में PM का नाम शामिल हो. कि मोदी जी उसको ट्विटर पर फॉलो करते हैं. कितनी शर्मनाक बात है. और ये पहली बार नहीं हुआ. BJP के कई नेता ऐसे लोगों को फॉलो करते हैं. BJP की ये बात बहुत परेशान करती है. वो ऐसी कट्टरता से खुद को अलग करने की कोशिश भी नहीं कर रही. जाहिरी तौर पर भी नहीं. लेकिन ये अलग मसला है. बहुत गंभीर मसला है. जिम्मेदारी BJP की भी है. लेकिन कांग्रेस अपने आप ही खुद को क्लीन चिट नहीं दे सकती. अपनी पीठ खुद नहीं थपथपा सकती. अपनी नाकामियों को छुपा नहीं सकती.
किसी का ज्यादा, तो किसी का कम होता है ये सियासत है, यहां सबका हिस्सा होता है
कौन सी विचारधारा दोषी हो, इस पर बहस होनी चाहिए. लेकिन प्रदेश सरकार की जिम्मेदारियां भी तय होनी चाहिए…
भावुक होना सही है, लेकिन आलोचना एकपक्षीय नहीं होनी चाहिए लोगों को भी समझना होगा. भावुक होने की बात है. भावुक होइए. लेकिन आलोचना एकतरफा नहीं होनी चाहिए. मुद्दों पर ध्यान होना चाहिए. पक्षपात पर नहीं. आलोचना संतुलित हो. जनता एकपक्षीय नहीं होती. जो गलती करे, उसके कान उमेठें. तभी तो नेता इन आलोचनाओं को गंभीरता से लेंगे. वरना तो गुट बन जाएंगे. एक गुट दूसरे पर चिल्लाएगा. दूसरा पहले को गरियाएगा. इस चक्कर में नेता तो बचकर निकल जाएंगे. लेकिन हमारा-आपका कट जाएगा. दिनकर बाबा लिख गए हैं:
प्रजातंत्र का वह जन असली मीत, सदा टोकता रहता जो शासन को जनसत्ता का वह गाली संगीत, जो विरोधियों के मुख से झरती है
हमें भी ध्यान रखना होगा कि आलोचना अगर एकपक्षीय हो तो उसकी गंभीरता खत्म हो जाती है…साभार: द लल्लनटॉप
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