रायन इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस (RIGI) की ग्रोथ के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा रेवेन्यू या फायदा नहीं है, बल्कि देश के मिडिल क्लास से आने वाले अधिकतम बच्चों को वैल्यू-बेस्ड एजुकेशन मुहैया कराना है. हम एक्सपेंशन फायदे के लिए नहीं, बल्कि ज्यादा बच्चों तक पहुंचने के लिए करते हैं.
– रायन पिंटो, RIGI के CEO और MD ग्रेस पिंटो के बेटे
लंदन के कास बिजनेस स्कूल से बिजनेस और एंटरप्रेन्योरशिप में मास्टर्स
ये उन सज्जन का बयान है, जिनके स्कूल की गुड़गांव वाली ब्रांच में 8 सितंबर को सात साल के बच्चे प्रद्युम्न की हत्या कर दी गई. जिस देश में 65% बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं, वहां इस संस्थान में प्री-स्कूल के स्टूडेंट की सालाना फीस एक लाख रुपए से ज्यादा है. फिर भी, बच्चा सुरक्षित नहीं है. प्रद्युम्न चला गया, लेकिन उसके केस के चार गंभीर सवालों के जवाब नदारद हैं.
1. आरोपी की शर्ट पर खून का मामला
पुलिस रिपोर्ट कहती है कि प्रद्युम्न की टॉइलेट में कथित तौर पर रेप की कोशिश के बाद गला रेतकर हत्या की गई. वो खून से सना हुआ मिला. आरोपी बस कंडक्टर अशोक ने ही उसे गाड़ी में रखा था, क्योंकि स्कूल स्टाफ का कोई भी सदस्य उसकी बॉडी उठाने आगे नहीं आया था. सवाल उठता है कि क्या स्कूल स्टाफ में से किसी ने ये ध्यान नहीं दिया कि अशोक की शर्ट पर खून के दाग हैं या नहीं. अगर थे, तो उसे बॉडी उठाने के लिए क्यों कहा गया था. अशोक पर हत्या का आरोप है, लेकिन उसकी बस का ड्राइवर राघव कह रहा है कि प्रद्युम्न की मौत के बाद जब अशोक उसे मिला, तो एकदम शांत था. उसके कपड़ों पर खून के दाग थे, लेकिन कोई घबराहट या गुस्सा नहीं था. राघव के मुताबिक अशोक को फंसाया जा रहा है. उसके पास और भी तर्क हैं.
2. टॉइलेट, बच्चे का सामान और हत्या का हथियार साफ क्यों
जब पुलिस स्कूल के टॉइलेट में पहुंची, तो वहां सब कुछ साफ था. फर्श पर खून नहीं था. प्रद्युम्न की बोतल वगैरह सब साफ थीं और हत्या में जो चाकू इस्तेमाल हुआ, वो भी साफ था. क्यों? क्या सबूत मिटाने की कोशिश की गई? फॉरेंसिक टीम के सबूत इकट्ठा करने से पहले ऐसा हो भी कैसे सकता है? किसने इजाज़त दी?
3. क्या प्रद्युम्न की आवाज किसी ने नहीं सुनी?
पुलिस की थ्योरी है कि जब अशोक टॉइलेट में घुसा, तो वहां तीन बच्चे और थे. जब वो चले गए, तब उसने प्रद्युम्न का रेप करने की कोशिश की और फिर हत्या कर दी. हत्या सुबह आठ से सवा आठ के बीच हुई. उस समय तो स्टाफ, स्टूडेंट और टीचर्स वगैरह कैंपस में मौजूद थे. असेंबली की तैयारी हो रही थी. क्या किसी को कुछ नहीं सुनाई दिया? घरवाले तो सीधा आरोप लगा रहे हैं कि स्कूल असल चीज छिपा रहा है.
4. ड्राइवर राघव को थर्ड डिग्री का डर दिखाकर गलत बयान लिया गया?
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक जिस चाकू से प्रद्युम्न की हत्या हुई, उसे अशोक बस के टूल बॉक्स से लाया था. वहीं ड्राइवर राघव ने बताया कि स्कूल प्रशासन और पुलिस ने उसे डरा-धमकाकर ये बयान दिलवाया कि चाकू टूल बॉक्स में था. राघव के मुताबिक टूल बॉक्स में चाकू रहता ही नहीं है और एक दिन पहले उसने खुद टूल बॉक्स चेक किया था. उसमें कोई चाकू नहीं था.
पर रायन स्कूल में किसी बच्चे की मौत पहली बार नहीं हुई है
जनवरी 2016 का मामला है. रायन स्कूल की वसंत कुंज ब्रांच में पहली क्लास के बच्चे देवांश ककरोरा की लाश पानी के टैंक में मिली थी. इस साल मई में प्रिंसिपल समेत छ: लोगों पर केस दर्ज किया गया, लेकिन सबको बेल मिल गई. दिल्ली सरकार की जांच में ये भी मिला कि स्कूल स्टाफ ने बच्चे की लाश को टैंक से निकालने से मना कर दिया था, जिसके बाद 11वीं के एक स्टूडेंट ने देवांश को बाहर निकाला.
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी
संदिग्ध सिर्फ प्रद्युम्न और देवांश की मौत ही नहीं है. रेयान स्कूल और इसके मालिकानों से जुड़ा और भी बहुत कुछ है, जिसके जवाब मिलने बाकी हैं. जैसे-
स्कूल में बीजेपी के लिए सदस्यता अभियान चलाया गया
मार्च 2015 में रायन स्कूल की देशभर की सभी ब्रांच में बीजेपी के लिए सदस्यता अभियान चलाया गया. बच्चों से लेकर टीचर्स, सपोर्टिंग स्टाफ, यहां तक कि पेरेंट्स को भी बीजेपी की सदस्यता लेने को कहा गया. कुछ टीचर्स ने दावा किया कि ऐसा न करने पर उनकी सैलरी रोक दी गई. बाकायदा हाइटेक सिस्टम था. जिस नंबर पर कॉल करके बीजेपी का सदस्य बना जा सकता था, वो नंबर पेरेंट्स को वॉट्सऐप पर भी भेजा गया. मयूर विहार, वसंत कुंज और रोहिणी ब्रांच के लोगों ने फर्स्टपोस्ट के सामने खुला स्वीकार भी किया. तहलका की रिपोर्ट के मुताबिक पिंटो की निगाह ईसाई अल्पसंख्यक कोटे से राज्यसभा सीट पर है. हालांकि, पिंटो सदस्यता की बात को निराधार आरोप बताती हैं.
मैडम पिंटो. कौन?
मैडम पिंटो यानी ग्रेस पिंटो. रायन स्कूल की नींव रखने वाले ऑगस्टीन पिंटो की पत्नी और रायन स्कूल की एमडी. इन्हीं के स्कूल के लोग बताते हैं कि यूपीए की सरकार के समय ये सोनिया गांधी के नज़दीक जाने की कोशिश कर रही थीं.
अपने लिए पद्मश्री और पति के लिए अल्पसंख्यक आयोग में सीट के लिए बहुत दिनों तक लॉबिंग की. वहां भाव नहीं मिला, तो सरकार बदलने पर बीजेपी के करीब आ गईं. ग्रेस अभी बीजेपी के महिला मोर्चा की नेशनल सेक्रेटरी हैं.
हालांकि, फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष कमलजीत सहरावत का कहना है, ‘मैं पार्टी की महिला सेल की दिल्ली यूनिट की मुखिया हूं और मेरी टीम में ग्रेस पिंटो नाम का कोई नहीं है.’ पिंटो अभी राज्यसभा सीट का ख्वाब पाले हुए हैं. बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ इनकी तस्वीरें हैं. लगता है अच्छा उठना-बैठना है. हर पार्टी को साधकर रखती हैं. इंडो-यूएई बिजनेस समिट में वर्ल्ड ग्रेटेस्ट लीडर्स अवॉर्ड 2015 और महाराष्ट्र में प्राइड ऑफ इंडिया जैसे अवॉर्ड से सम्मानित हैं.
SEBI ने भी तो डंडा चलाया था
ये भी मार्च 2015 का ही मामला है. 18 हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के मामले में सेबी ने अंतरिम आदेश जारी किया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 137 नामों वाले उस आदेश में ग्रेस पिंटो और उनके पति ऑगस्टीन फ्रांसिस पिंटो का भी नाम था.
और बिल्डिंग… उस पर तो दिल्ली सरकार का बयान है
पिंटो के खिलाफ चल रही जांच के दौरान दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बयान दिया था, ‘ये लोग कथित तौर पर सिविक अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट लिए बिना स्कूल चला रहे हैं. ये सर्टिफिकेट बिल्डिंग के लिए लेना था. हमने पाया कि स्कूल में बच्चों के लिहाज से जो खतरनाक जगहें थीं, वहां कोई नोटिस भी नहीं लगा हुआ था.’
1976 में मुंबई के बोरिवली से सेंट जेवियर्स हाई स्कूल के नाम से शुरू हुआ ये इंस्टीट्यूट आज देश की सबसे बड़ी एजुकेशन चेन है. देशभर में 130 से ज्यादा ब्रांच हैं, जिनमें 2,70,000 स्टूडेंट पढ़ते हैं. हर साल 30 हजार स्टूडेंट ग्रेजुएट होते हैं. 18 हजार कर्मचारी और फैकल्टी मेंबर हैं. ग्रेटर मुंबई की 27 ब्रांच ईसाई संतों के नाम पर हैं और दिल्ली-NCR की 10 ब्रांच रायन इंटरनेशनल स्कूल के नाम से हैं. खाड़ी देशों में पांच ब्रांच हैं. हर साल चार-पांच नई ब्रांच खुलती हैं. सारी ब्रांच CBSE, ICSE, ISC, SSC, HSC, IB और IGCSC यानी करीब-करीब सभी बोर्ड से एफिलिएटेड हैं.
साभार: द लल्लनटॉप