14 सितंबर. बोले तो हिंदी दिवस. सरकार भी यही कह रही है. हिंदी बोलो. अब जिन्हें हिंदी आती है, उन्हें तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन जिन्हें नहीं आती है, वो ट्विटर पर दंगा काटे पड़े हैं. हर बार हिंदी दिवस के मौके पर ट्विटर पर ये हैशटैग ट्रेंड करने लगता है. #GOIMakeMyLanguageOfficial यानी हे भारत सरकार, मेरी भाषा ऑफीशियल बनाओ. इस हैशटैग का सबसे ज्यादा यूज साउथ इंडिया वाले कर रहे हैं. उनकी भाषा ऑफीशियल बनाने से मतलब है कि तमिल, मलयाली और कन्नड़ जैसी भाषाओं को भी हिंदी जितना प्रमोशन मिले.
भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भारतीय भाषाएं शामिल की गई हैं. यानी ये सारी भाषाएं भारत की हैं और भारत में मान्य है. नियम-कानून के हिसाब से केंद्र सरकार किसी भी राज्य सरकार से दो भाषाओं में बात करती है. हिंदी और अंग्रेजी. राज्य सरकार को अपने राज्य में अपनी स्थानीय भाषा इस्तेमाल करने की इजाजत होती है. मतलब ये कि अगर केंद्र सरकार को तमिलनाडु सरकार से बात करनी होगी तो वो हिंदी या अंग्रेजी में करेगी और तमिलनाडु सरकार अपने राज्य में तमिल यूज कर सकती है. यूज करने से मतलब सरकारी कामों से है. लोग यही डिमांड कर रहे हैं कि केंद्र सरकार हिंदी के बजाय उनकी स्थानीय भाषा को प्रमोट करे.
कुछ लोगों ने ये डिमांड बड़े फनी तरीके से रखी है तो कुछ इसे लेकर बहुतै सीरियस हैं. कहि रहे हैं कि पासबुक से हिंदी हटाओ, सिलेंडर पर कन्नड़ और तमिल लिखो. यूपी, बिहार जैसे राज्यों में कन्नड़ और मलयाली वाले साइन बोर्ड लगाओ. और भी बहुत कुछ. लेकिन एक बात नहीं समझ आ रही है. दूसरी भाषाओं का प्रमोशन करना और हिंदी का डिमोशन करना अलग-अलग बातें हैं. लेकिन ट्विटर और फेसबुक पर हर चीज माठा कर दी जाती है. देखिए लोगों ने क्या-क्या लिखा है.
लोग कह रहे हैं कि जब हिंदी और अंग्रेजी आती ही नहीं है तो बैंक में उनकी भाषा क्यों नहीं है.
इसकी वजह से LIC को बहुत गालियां पड़ रही हैं.
यार गांधी जी भी उदास दिख रहे हैं. अब तो बात पहुंचानी पड़ेगी ऊपर तक.
यार लेकिन ये चुटकुला दूसरी भाषाओं पर भी तो लागू होता है.
हो सकता है ये आंध्रा बैंक का साइड बिजनस हो.
ये भी एक ऑप्शन है.
‘हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से दस हजार मांगते.’
इस लड़के ने पते की बात की है.
इस पोस्ट से मुझे राजनीति की बू आ रही है.
वैलिड पॉइंट, लेकिन ये लड़का उन सबसे गाली खाएगा, जिन्हें ‘BIMARU’ का मतलब नहीं पता है.