सुबह उठकर जो काम हम आज सूसू टट्टी करने से पहले करते हैं वो है मोबाइल चेक करना. सबसे पहले भटसप’व्हाट्सऐप’. उसके हरे वाले आइकन पर उंगली छूते ही आप जिम्मेदारी से भर उठते हैं. भले जब गले तक मूत भर आता हो तो साइंस को कोसते हों. कि अब तक वै ज्ञान िकों ने मूत बंद करने की तकनीक क्यों न विकसित की. साला बार बार बिस्तर से उठना पड़ता है. ऐसे लोग जिस तेजी से टाइप करते हुए, कर को kr, हां को h, ओके को k लिखते हुए रिप्लाई करते हैं. वो दिखाता है कि सारे जहां का दर्द उनके जिगर में है.
जिल्लेइलाही ये तो हुई जिम्मेदारी. लेकिन ये रोग जीका वायरस से भी तेज स्पीड में फैल गया है. और ये बढ़कर एड्स बन जाता है जब कॉन्टैक्ट्स ग्रुप में ढलकर आ जाते हैं. तब भाईसाब जो भसड़ मचती है. उसे ही महाभारत में महाभारत कहा गया है.
हिंदी मीडियम के समाजशास्त्र वाले गुरुजी की भाषा में आज हम ऐसे ही भटसप ग्रुप्स के प्रकार, सिर्फ नुकसानों और उनसे बढ़ने वाली सिरदर्दी की समीक्षा करेंगे.
रिश्तेदारों वाले ग्रुप: अगर आप भी रिश्तेदारों वाले ग्रुप में ऐड हैं तो ‘वेलकम टू द हेल.’ भाईसाब नरक बेहतर होता है इससे. एक बार इसमें फंसकर निकलने के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं. आप ऑफिस से थककर घर पहुंचे थे पिछली रात. सोते सोते 12 बज गए. घड़ी के भी और देह के भी. सुबह 4 बजे ही आपका उस ग्रुप में जुड़ा कोई न कोई रिश्तेदार जाग जाता है. वो नाचते हुए सफेद मोर या गणेश जी की तस्वीर के ऊपर लाल बोल्ड लेटर्स में गुड मॉर्निंग या सुप्रभात लिखा आता है. आप पूरा लालकिला बेच कर सो रहे हैं. इसलिए देख नहीं सकते. दो मिनट के अंदर एक सूक्ष्म, महीन, अति बारीक मिसकॉल आती है. आप ऊंघ कर फिर सो जाते हैं. अगली मिसकॉल लंबी होती है. आप झल्लाकर फोन उठाते हैं तो उधर उन्नाव वाले मामा हैं. पालागन के बाद बताते हैं “मैसेज का जवाब नहीं दिए तुम. सो रहे थे क्या.” गाली नहीं दे सकते इसका इतना अफसोस कभी न हुआ था.
अगर खानदान में किसी दूर के भाई बहन का बड्डे है तो दिन भर ग्रुप में ही केक, और पानी के बतासे बंटते हैं. ग्रुप का नाम ‘कौशिक फैमीली’ से बदलकर ‘haPp brthday PINKY’ हो जाता है. प्रोफाइल में पिंकी की फोटो लग जाती है. आप उस ग्रुप को छोड़ नहीं सकते. ये तकनीकी का श्राप है. लेना ही पड़ेगा.
स्कूल- कॉलेज के साथियों का ग्रुप: ‘CMS Rockerss’ और ‘सपना महाविद्यालय के हीरो’ नाम से होते हैं. लड़कियों के अलग, लड़कों के अलग. लड़कों के ग्रुप का हम ज्यादा जानते हैं तो बताए देते हैं. प्रचुर मात्रा में नॉनवेज जोक्स पाए जाते हैं. पढ़ाई से इतर हर चीज उसमें होती है. बंदर को कंटाप मारने वाली, सांप से बच्चा खेल ने वाली, साइकिल के पीछे कुत्ता भगाने वाली वीडियो भी खूब आती हैं.
गांव के ग्रुप: ‘जुम्मनखेड़ा गैंग्स्टर्स’ और ‘भजनपुरा गैंग’ नाम के ये ग्रुप हर दीवार सरहद के पार होते हैं. इनमें सुबह उठते ही वीणावादिनी देवी सरस्वती की तस्वीर विद्या का दान मांगते हुए आती है. उसके जस्ट तीन मिनट पीछे प्रिया अंजली राय की नंगी फोटो वाला कैलेंडर आता है. वैलेंटाइन्स डे को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने के लिए लंबा मैसेज आता है. 10 मिनट बाद पार्क में बनी ‘हिडेन कैम क्लिप’ आ जाती है. तो इन पर किस टाइप के मैसेज का क्लेम करना है, ये वैज्ञानिक अभी पता लगा रहे हैं.
कंपनी कुलीग्स के ग्रुप: इस ग्रुप में तीन कैटेगरी होती हैं. क्रमशः
1- जिनमें बॉस भी ऐड रहता है. ‘pureit’ जैसे नाम वाले इन ग्रुप्स में सिर्फ ऑफिस की मीटिंग्स, एंप्लॉई की पेलाई और आगे की स्ट्रैटजी तय की जाती है. अगर सेल्स कंपनी है तो जिन जिन लोगों को कॉल करके जिंदगी मुहाल करनी है उनके नंबर भी एक्सचेंज किए जाते हैं.
2- जिनमें ऑफिस की महिलाएं भी ऐड रहती हैं. हालांकि बॉस नहीं होता इसमें. ‘pureit friends’ नाम के इस ग्रुप में बड़े सलीके से बातचीत होती है. हर बंदा-बंदी किसी न किसी पर लाइन मार रहा होता/होती है. लेकिन सब किसी के बारे में कुछ न जानने का नाटक करते हैं. हर नाम के आखिर में ‘जी’ लगाने का चलन होता है. बॉस की बुराई इस ग्रुप का स्थाई भाव है.
3- जिनमें बॉस और महिलाएं कोई न हो. वो ग्रुप मन्नू कबाड़ी की दुकान होता है. रिश्तेदारों वाले ग्रुप से लेकर जितने आगे बताए जाने वाले हैं उन सबके मैसेज फॉरवर्ड होकर यहीं डम्प होते हैं.
धर्म वाले ग्रुप: हिंदुओं के लिए ‘विराट हिंदू’ और ‘विश्वगुरु जम्बूद्वीप’ जैसे नाम. मुसलमानों के लिए ‘इस्लामिक ग्रुप’ जैसे नाम. इनकी खासियत है कि ये इतिहास से बुरी तरह जुड़े होते हैं. इस्लामिक वाले अपने मजहब की शुरुआत से शुरू करते हैं. फिर आज इस्लाम की बिगड़ी हालत पर रोते हैं. फिर कैसे खुद को पाक़ करें. वुज़ू करने के कायदे, नमाज़ पढ़ने, रोज़े रखने का सही तरीका, असदुद्दीन ओवैसी और जाकिर नाइक के लॉजिकल स्पीचेज के वीडियो आते हैं.
हिंदू ग्रुप्स में भाईसाब कोई मैसेज एक किलोमीटर से कम लंबा आता है तो खुद पर शर्म आ जाती है. कभी कभी हनुमान चालीसा, 1001 बार राम या ओम नमः शिवाय भी लिखकर आते हैं. ज्यादातर में हिंदुस्तान में बिगड़ती हिंदुओं की हालत. और उसके जिम्मेदार ‘शेखुलरों’ को सबक सिखाने के मंसूबे होते हैं. हमारे गौरवशाली इतिहास की झलकियां जब हमने ऑक्सीजन से पहले ‘हवाई प्लेन’ बना लिया था. इन मैसेजेस की शुरुआत होती है “वो सच जो दलाल मीडिया आपको नहीं दिखाएगा.” और अंत में तीन चार तीन कोने वाले भगवा झंडे होते हैं.
जाति वाले ग्रुप: इनकी तो कोई गिनती ही नहीं है. भाईसाब जब जातियां अनगिनत हैं यहां तो ग्रुप्स की गिनती कैसे पॉसिबल होगी. लेकिन फिर भी कुछ ‘कोर जातियों’ के ग्रुप्स की खासियत बता देते हैं. ‘अगरौता ब्राह्मण संघ’ वाले ग्रुप में मैसेज आते हैं
‘ब्राह्मण भूखा तो सुदामा
रूठा तो परशुराम
पढ़ आया तो चाणक्य
ललचाया तो विजय माल्या’
टाइप मैसेज आते हैं. अंत में लिखा होता है ‘जय परशुराम.’
इसी तरह ‘बांका के यदुवंशी’ ‘जय भीम मकरौना’ ‘मलकमबाड़ी कायस्थ महासभा’ ‘रजमन बाजार के राजपूत’ जैसे नाम रखे हुए हज्जारों की तादाद में ग्रुप होते हैं. जिनका रात दिन अथक परिश्रम चलता है अपनी जाति को कुएं का मेढक बनाने के लिए. इन ग्रुप्स पर मैसेज करने वाले कभी नहीं चाहते कि हमारी जाति आगे बढ़ पाए. नहीं तो कौन साला यहां रिप्लाई करने आएगा. इसलिए आगे बढ़ने वाले ग्रुप मेंबर को बेइज्जत कर करके बार बार ग्रुप में वापस लाया जाता है.
इनमें से ज्यादातर ग्रुप्स की कॉमन बातें भी हैं. जानवरों को मारने काटने वाले वीडियो, सड़क और ट्रेन हादसों के वीडियो, किसी भी तरह की ब्रूटलिटी लगभग सब ग्रुप्स में शेयर की जाती है.
इनके अलावा कुछ कीवर्ड्स हैं ‘सारे मैसेज का बाप’, ‘मार्केट में नया है’, ‘अकेले न हंसो फॉरवर्ड करो’, ‘इतना शेयर करो कि हर सच्चे हिंदू/मुसलमान तक पहुंच जाए.’
अब हम इत्ता तगड़ा लिख मारे हैं. इसको इत्ता शेयर करो कि हर भटसप वाले तक पहुंच जाए.
साभार: द लल्लनटॉप