ब्रह्मा, विष्णु और महेश। ये त्रिदेव इस सृष्टि को चलाने वाली तीन परम शक्तियां हैं। महादेव आदि भी हैं और अंत भी। भगवान शिव इस ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति हैं। शिव बुराई का अंत करने वाले हैं। भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य का कल्याण होता है।
यही कारण है कि जब कभी भी हम भगवान गणेश या माँ दुर्गा की पूजा करते हैं तो उनके मूर्ति स्वरूप की करते हैं। मगर जब बात भोलेनाथ की आराधना की आती है तो 'शिवलिंग' की अर्चना की जाती है। 'शिवलिंग' भगवान शिव का प्रतीकात्मक रूप हैं। भगवान शिव का कोई स्वरूप नहीं है, उन्हें निराकार माना जाता है। 'लिंग' के रूप में उनके इसी निराकार रूप की आराधना की जाती है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लिंग का आकार इसी तरह होता है? आपको बता दें कि शिवलिंग के ऐसा होने के पीछे कई कारण हैं। कई तरह के मत भी है। आज बात उन्हीं कुछ मतों की।
तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
अंडे की तरह आकार
कुछ मतों के अनुसार शिवलिंग के ऊपरी हिस्से का आकार अंडे की तरह होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंडे की भांति ही शिव भी इस ब्रह्मांड के निर्माण की जड़ हैं। शिव वो बीज है, जिससे इस संसार का निर्माण हुआ है।
'लिंगम' का अर्थ
लिंगम' शब्द 'लिया' और 'गम्य' से मिलकर बना है। जिनका अर्थ 'शुरुआत' और 'अंत' होता है। चूंकि यह माना जाता है कि शिव से ही ब्रह्मांड प्रकट हुआ है और यह उन्हीं में मिल जाएगा। अतः शिवलिंग उनके इसी रूप को परिभाषित करता है।
शिवलिंग के तीन भाग
शिवलिंग में तीन हिस्से होते हैं। पहला इसका तल जो जमीन में धंसा होता है। दूसरा बैठक की तरह बना हुआ भाग और तीसरा इसका शीर्ष, जिसकी पूजा की जाती है।
इसमें समाए त्रिदेव
इस लिंगम का निचला हिस्सा ब्रह्मा जी (सृष्टि के रचयिता), मध्य भाग विष्णु (सृष्टि के पालनहार) और ऊपरी भाग शिव जी (सृष्टि के विनाशक) हैं। इसका अर्थ हुआ शिवलिंग के जरिए त्रिदेव की आराधना हो जाती है।
शिव-शक्ति साथ
एक अन्य मत के अनुसार लिंगम का निचला हिस्सा स्त्री व ऊपरी हिस्सा पुरुष का प्रतीक होता है। इसका अर्थ हुआ इसमें शिव और शक्ति साथ में वास करते हैं।
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कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि शिव कौन है? तभी उनके सामने आग का एक स्तंभ आकर खड़ा हो गया। ब्रह्मा इसकी शुरुआत तो विष्णु इसका अंत ढूंढने चले। लेकिन बहुत ढूंढने के बाद भी उन्हें वो मिला नहीं।
कौन हो आप?
बहुत प्रयास करने के बाद भी जब इन दो देवों को कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने इस आग के स्तम्भ से विनती की कि वो उन्हें अपनी पहचान बताए। तब भोलेनाथ अपने असली रूप में आए और उन्हें अपनी पहचान बताई। शिव के इस रूप को लिंगोद्भव मूर्ति कहा जाता है।
बिग बैंग थ्योरी कनेक्शन
बिग बैंग थ्योरी के अनुसार इस बड़े से ब्रह्मांड का निर्माण अंडे के आकार के छोटे से कण हुआ था। शिवलिंग के आकार को इससे भी जोड़कर देखा जाता है।
तीन रूपों की पूजा
ईश्वर की रूप, अरूप और रुपारूप तीन रूपों की पूजा की जाती हैं। शिवलिंग रुपारूप में आता है, क्योंकि इसका रूप है भी और नहीं भी।
शिवलिंग और जल
शिवलिंग को जल चढ़ाने की परंपरा से तो आप अच्छी तरह वाकिफ होंगे। इसके पीछे भी एक कहानी है। समुद्र मंथन के दौरान हलाहल (विष) से भरा पात्र भी निकला था। सभी को बचाने के लिए शिवजी ने इस विष को ग्रहण कर लिया था। इसी वजह से उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। विष पीने के कुछ देर बाद भोलेनाथ के शरीर में गर्मी बढ़ गई। इसे कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। यही परंपरा आज भी चली आ रही हैं।
यही थे शिवलिंग से जुड़े कुछ खास तथ्य, जो हम आपके साथ शेयर करना चाहते थे।
साभार: विट्टीफीड .कॉम