महान कवि पाश ने एक कविता लिखी थी-
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
हमारे सपनों का मर जाना…ऐसे ही और भी लाइनें थीं. शायद पाश आज होते तो एक लाइन और जोड़ देते-
सबसे खतरनाक होता है
एक बच्चे को मारा जाना…
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल में 8 सितंबर को जो हुआ, सच में इससे खतरनाक कुछ नहीं हो सकता है. एक 7 साल के बच्चे की नृशंस हत्या के बारे में जो भी सुनेगा, उसे धक्का लगेगा. यह झकझोर देने वाला है. मैं खुद परेशान हूं. कुछ देर के लिए एकदम सन्नाटा सा छा गया. मैं क्या आज इस देश का हर शख्स परेशान होगा. वो भी जिसके बच्चे हैं और वो भी जो मेरी तरह अभी गृहस्थ नहीं हैं. पर हम सबका दुख उस मां-बाप की पीड़ा के आगे कुछ भी नहीं है. लोग कहते हैं कल्पना कीजिए उनके दुख की. नहीं, मैं नहीं कर सकता उस मां-बाप की तकलीफ़ की कल्पना. कोई नहीं कर सकता.
प्रद्युम्न की मां.
चाइल्ड एब्यूज़ डरावनी तेजी से बढ़ रहा
चाइल्ड एब्यूज यानी बच्चों के शोषण के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं. नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की माने तो देश में 53% बच्चे चाइल्ड एब्यूज का शिकार होते हैं. ये शोषण घर, स्कूल, अनाथालय, सड़क पर या जेल में कहीं भी हो सकता है. देखा जाता है ऐसी घटनाएं छोटे बच्चों के साथ ज्यादा होती हैं. जिनका उनके ऊपर बहुत गहरा असर पड़ता है. ऐसे में लोगों को अपने बच्चों के लिए काफी सतर्कता बरतनी चाहिए. यूनिसेफ ने भारत में चाइल्ड एब्यूज के लिए कुछ डराने वाली बातें बताई हैं-
5 से 11 साल के बच्चों पर ख़तरा ज्यादा
बच्चों के साथ कोई क्या करेगा. ये सोचना लोगों को छोड़ना पड़ेगा. क्योंकि इसी बात का कुछ लोग गलत फायदा उठाते हैं. बच्चों की मासूमियत को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं. 5 से 11 साल के बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा रहता है. फिर बच्चों और पैरेंट्स में इतना कम्युनिकेशन गैप होता है कि बच्चे कुछ होने पर बता भी नहीं पाते. इसलिए बच्चों को उनके शारीरिक अंगों से जुड़ी सावधानियों के बारे में ज़रूर बताना चाहिए.
लड़कियों के बराबर ही लड़कों को भी खतरा
माना जाता है कि चाइल्ड एब्यूज की घटनाएं लड़कियों के साथ ज्यादा होती हैं. इसीलिए लड़कों पर नॉर्मली लोग ध्यान नहीं देते. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. वो भी लड़कियों के बराबर ही दरिंदों के निशाने पर हैं. यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार जिन बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले सामने आए, उनमें से 54.68 % पीड़ित लड़के थे. वहीं मानसिक शोषण के मामले भी ऐसे ही थे.
भरोसेमंद या जान पहचान वाले ही दे रहे धोखा
हालांकि रेयान इंटरनेशनल के केस में कंडक्टर की बच्चे से जान-पहचान नहीं थी क्योंकि बच्चा स्कूल बस से नहीं आता था. मगर हमारे यहां तो लंबी चौड़ी रिश्तेदारियां होती हैं. सभी को लोग परिवार की तरह मानते हुए भरोसा करते हैं. इन्हीं में तमाम लोग इस भरोसे का फायदा उठाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि घर पर हुए शारीरिक शोषण के मामलों में 88% बच्चे रिश्तेदारों के ही शिकार हुए थे. इसी तरह हम लोग स्कूल वैन, ट्यूशन मास्टर, बाबाओं पर भी भरोसा कर उन्हें अपने बच्चे सौंप देते हैं. जबकि इसमें काफी सतर्कता बरतने की ज़रूरत है.
बच्चों की हिचक और डर दूर करें, उनसे खुलकर बात करें
बच्चों से चाइल्ड एब्यूज या सेक्सुअल असॉल्ट के ज्यादातर मामले तो सामने ही नहीं आते. कारण बच्चों के मन में बैठा डर. अपने साथ कुछ गलत व्यवहार होने पर ज्यादातर बच्चे अपने पैरेंट्स को बता ही नहीं पाते. छोटे तो छोटे, बड़े बच्चों के साथ भी ऐसा होता है. उनके मन में परिवार की बदनामी का डर बैठा होता है. इसका मेन कारण है बच्चों और पैरेंट्स के बीच कम्युनिकेशन गैप. आपको अपने बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बात करनी होगी. बच्चों को बेसिक सेक्सुअल जानकारियां भी देनी चाहिए. ऐसा माहौल बनाकर रखना चाहिए कि कुछ भी बुरा या गलत होने पर वो आपको खुलकर बता सकें.
कुछ डराने वाले आंकड़े-
# 94.8% रेप के मामलों में दोषी वही निकले, जिन्हें बच्चे जानते थे.
# 35.8% रेप के मामलों में पड़ोसियों को जुर्म करते पाया गया.
# 3078 मामले सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हुए 2015 में POSCO के तहत.
# 8904 चाइल्ड एब्यूज के मामलों से बढ़कर 14913 मामले हो गए 2014 से 2015 के बीच.
वकीलों ने मना किया, नहीं लड़ेंगे इस दरिंदे का केस
रेयान इंटरनेशनल स्कूल में बच्चे की मौत के बाद आरोपी कंडक्टर अशोक को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है. स्कूल के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया है. वहीं, सोहना के बार असोसिएशन ने साफ कर दिया है कि आरोपित का केस कोई नहीं लड़ेगा. मृत बच्चे की मां ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. उनका कहना है कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं. असली गुनहगार को बचाने के लिए कंडक्टर को मोहरा बनाया जा रहा है. स्कूल पर गुस्साए अभिभावकों ने हंगामा भी कर रखा है. उनकी मांग है कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
स्कूल के बाहर चल रहा बवाल
#Gurugram: Protest continues outside #RyanInternationalSchoolafter body of a 7-year-old student was found in school premises yesterday
समझना होगा, स्कूल एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है
अपने जिगर के टुकड़े को माता-पिता दिन के 6-8 घंटे के लिए आपको सौंप देते हैं. अपने बच्चों का भविष्य वो आपको सौंप देते हैं. कितना भरोसा होगा उन्हें. प्लीज ये भरोसा बना रहने दीजिए. ये खत्म हो गया तो सब खत्म हो जाएगा. स्कूल एक बहुत बड़ी नेशन बिल्डिंग संस्था है. इसके जिम्मेदारों और इस संस्था से जुड़े हर जिम्मेदार को ये समझना होगा कि वो कितना बड़ा काम कर रहे हैं. बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. उन्हें कुछ भी करके इसकी विश्वसनीयता बनाए रखनी होगी. बच्चों को अच्छी पढ़ाई के साथ उनकी सुरक्षा का भी पूरा खयाल रखना होगा. स्कूल से जुड़े हर शख्स- टीचर से चपरासी तक को बहुत जांच-परख के रखना होगा. सबको अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी. तभी ये भरोसा बना रह पाएगा.