अखिलेश यादव के हाथों रसूलन बीबी की जगह किसी और का सम्मान
अखिलेश यादव के हाथों रसूलन बीबी की जगह किसी और का सम्मान
समाजवादी पार्टी के कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी के स्थान पर किसी अन्य शहीद के परिवार को सम्मानित करा दिया।
समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में पार्टी के कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं ने इतनी बड़ी गलती करा दी कि जिससे पार्टी की किरकिरी हो रही है। एक गंभीर चूक ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में कार्यक्रम पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।
शहीदों के परिजनों को सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी को आमंत्रित न करने के बाद भी उनके नाम की विधिवत घोषणा की गई। इतना ही नहीं, किसी दूसरी बुजुर्ग महिला को रसूलन बीबी के नाम पर सम्मानित भी कर दिया गया। रसूलन बीबी के नाती जमील ने आमंत्रण मिलने से इन्कार करते हुए बताया कि उक्त कार्यक्रम में भाग लेने उनके यहां से कोई गया ही नहीं था। सगड़ी तहसील के नत्थूपुर गांव में शहीद रामसमुझ यादव की मूर्ति का अनावरण समारोह था।
इसमें भाग लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी पहुंचे थे। मंच पर कई शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया जाना था। इसी दौरान मंच पर जब 70 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला पहुंचीं तो उपस्थित लोगों को बताया गया कि अब आपके सामने रसूलन बीबी को सम्मानित करेंगे अखिलेश यादव। देर शाम और दूसरे दिन गुरुवार को इस चर्चा को पर लग गए कि रसूलन बीबी की जगह किसी दूसरे का सम्मान कर दिया गया है। गंभीर चूक की तह तक जाने के लिए जब पड़ताल की गई तब स्पष्ट हुआ कि रसूलन बीबी को बुलाया ही नहीं गया था।
बूढऩपुर के मदियापार निवासी भगवती सिंह की पत्नी ललिता सिंह भी रसूलन बीबी जैसी ही दिख रही थीं लिहाजा उन्हें ही रसूलन बीबी मानते हुए उनका सम्मान कर दिया गया। आजमगढ़ निवासी ललिता सिंह लगभग 70 वर्ष की हैं, जबकि गाजीपुर निवासी रसूलन बीबी लगभग 95 वर्ष की। शहीद रामसमुझ यादव के भाई प्रमोद यादव का कहना है कि उन्होंने रसूलन बीबी को न्योता भेजवाया था। बहरहाल, इस संपूर्ण प्रकरण के दूसरी वजहों से चर्चा में आने पर आयोजकों ने रसूलन बीबी से खेद जताया है।
आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को शहीदों के परिवार के लोगों को सम्मानित किया था, ऐसे में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी का भी सम्मान होना था, लेकिन वह आजमगढ़ में नहीं थीं। उनके स्थान पर किसी अन्य शहीद के परिवार को सम्मानित करा दिया गया। मंच से कार्यक्रम का संचालन कर रहे शख्स ने इस महिला को वीर अब्दुल हमीद की पत्नी बताया गया। जैसे ही वीर अब्दुल हमीद के परिवार के संरक्षक को इस बात की सूचना मिली तो वह लोग हैरान रह गए।अब पार्टी के लोग संचालनकर्ता की गलती बता रहे हैं।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को आजमगढ़ में शहीद रामसमुझ यादव की प्रतिमा का अनावरण किया था। नत्थूपुर में उन्होंने शहीद रामसमुझ यादव की मूर्ति का अनावरण किया। इस अवसर पर शहीद मेला कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री ने शहीद जवानों की पत्नियों को मंच पर सम्मानित भी किया था। इस कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी किसी कारण नहीं पहुंच सकीं। वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी का नाम मंच पर लिया जा रहा था। बाकायदा ये घोषणा की जा रही थी। मंच पर एक बुजुर्ग महिला के आते ही तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच महिला को सम्मानित किया गया।
आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रभारी एसके सत्येन ने बताया कि सारा भ्रम मंच पर इस कार्यक्रम का संचालन करने वाले शख्स के कारण हो गया। इतनी भीड़ थी कि वह वहां पर गैर हाजिर रसूलन बीबी को नहीं देख सका। शहीदों के परिवार को क्रम से बुलाया जा रहा था। इसी क्रम में वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी का भी नाम था। वहां पर उनके बाद के क्रम वाली महिला ने पार्टी अध्यक्ष के हाथों सम्मान लिया।
अब्दुल हमीद के परिवार के लोग नाराज
उधर वीर अब्दुल हमीद के परिवार के संरक्षक गौरव सिंह ने कहा कि इस प्रकार के किसी भी सम्मान समारोह का निमंत्रण नहीं मिला था। शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी उस दिन गाजीपुर में थीं, यह सम्मान समारोह आजमगढ़ में आयोजित किया था। रसूलन बीबी के नाती जमील ने बताया कि आजमगढ़ में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए रसूलन बीबी को कोई न्योता नहीं मिला था। जाहिर है कि किसी के वहां जाने का सवाल ही नहीं उठता। गुरुवार को आयोजकों का फोन जरूर आया था जो इस हेतु खेद व्यक्त कर रहे थे।
गौरव सिंह ने कहा कि शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी तो वहां मौजूद भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि कोई कैसे रसूलम बीबी के नाम की घोषणा कर सकता है जब वो वहां थी ही नहीं। गौरव सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि अब शहीद के परिवार को सम्मानित करने में भी राजनीति हो रही है।
उन्होंने बताया कि वो पूरे मामले में कानूनी कार्रवाई की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 10 सितम्बर के दिन गाजीपुर में वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। इस कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आएंगे।
साभार: दैनिक जागरण