अक्सर आपने बुजुर्गों को यह बात कहते सुना होगा कि स्वास्थ्य ही हमारी संपत्ति है। यही हमारा सबसे बड़ा धन है। वाकई हमारा शरीर एक ऐसी मशीन की तरह काम करता है जो स्वास्थ्यवर्धक चीजों काे ग्रहण कर हमें फायदा पहुँचाती है। वहीं वे चीजें जिससे शरीर को नुकसान होगा उसके प्रति शरीर एक प्रतिरोधी तंत्र की तरह काम करता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि जब हमें बहुत ज्यादा ठंड लगती है या फिर हम अधिक देर तक पानी में रहते हैं तो हमारी उँगलियों की त्वचा सिकुड़ने लगती है या जब भी हम इमोशनल होते हैं तो हमारी आँखों में आंसू आने लगते हैं। ये सारी चीजें कभी ना कभी हमेशा हमारे साथ हुई है लेकिन हमने कभी इन बातों पर गौर नहीं किया होगा।
लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? तो चलिए हम आपको बताते हैं।
रोंगटे खड़े होना
जब भी हमें बहुत ठंड लग रही होती है तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसके अलावा यदि किसी चीज के डर के हमारे रोंगटे खड़े होने की संभावना रहती है। ठंड से बचाव के लिए हमारी त्वचा, बालों को खड़ाकर स्किन को गर्म रखने का काम करती है।
एड्रेनालाईन हार्मोन
रोंगटे खड़े होने की मुख्य वजह एड्रेनालाईन हार्मोन होता है। इस हार्मोन की वजह से हमारी त्वचा में खिंचाव पैदा होता है। जिससे त्वचा में मौजूद रोमछिद्रों में उभार आ जाता है।
चमड़ी का सिकुड़ना
बचपन में जब आप पानी में खेल ते होंगे या फिर देर तक पानी में काम करने पर आपकी हाथों और पैरों की उंगलियां सिकुड़ जाती होगी।
चिकनाहट है वजह
दरअसल पानी में रहने से आपकी हाथों और पैरों की उंगलियों में चिकनाहट आ जाती है, इसलिए पानी के अंदर चीजों पर पकड़ मजबूत करने के लिए आपकी उंगलियों में सिकुड़न आ जाती है।
आंसू का आना
जब भी हम दुखी होते हैं तो हमारी आँखें आंसुओं से भर जाती है। ठीक उसी तरह जब किसी मौके पर हम इमोशनल हुए तब भी हमारी आँखों में पानी आ जाता है।
सफाई का नेचुरल तरीका
लेकिन असल वजह तो ये है कि आंसू का आना एक नेचुरल प्रोसेस है। इससे आँखों में नमी बनी रहती है, जिससे देखने में परेशानी महसूस नहीं होती।
छींक आना
ऐसा नहीं है कि केवल सर्दी या जुकाम होने पर ही हमें छींक आती है। इसके अलावा भी कई बार हमें जोरदार छींक का सामना करना पड़ता है।
वेस्ट को करती है बाहर
जो भी धूल, मिट्टी, कचरा, जीवाणु सांस के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। छींक एक फिल्टर की तरह उन्हें प्रवेश करने से रोकती है और उन्हें बाहर निकाल फेंकती है।
जम्हाई का आना
सामान्य तौर पर ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति बोर हो जाता है या फिर जब उसे बहुत गहरी नींद आ रही होती है तब वह जम्हाई लेता है।
दिमाग का टेम्प्रेचर
2014 में हुई स्टडी के मुताबिक, जब बॉडी को दिमाग का टेम्प्रेचर कम करना होता है तो शरीर जम्हाई लेने लगता है।तो देखा आपने हमारा शरीर वाकई अद्भुद है वो बदलावों के अनुरूप किस तरह खुद को ढाल लेता है।