आतंकवाद सम्पूर्ण विश्व की सबसे बडी समस्या है, इससे निपटने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश प्रयासरत है और इसको जड से खत्म करने के लिए दिनों दिन प्रयास करते रहते है । इस आतंकवाद का विरोध करने के लिए ‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ (Anti-Terrorism Day) मनाया जाता है, तो आइये जानते है ’आतंकवाद विरोधी दिवस’ (Anti-Terrorism Day) के बारे में - -
‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ ( Anti-Terrorism Day) : ‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ मनाने की शुरूआत उस समय से की गई जब हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गॉधीजी वर्ष 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरूबुंदुर में चुनाव प्रचार के लिए गये थे और वहॉ आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी तभी से पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गॉधी के वलिदान दिवस को तथा उन्हे श्रद्वान्जली देने के उद्देश्य से ‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । यह दिवस प्रतिवर्ष 21 मई को मनाया जाता है और सर्वप्रथम इसे वर्ष 1991 में मनाया गया । इस दिवस के दिन प्रत्येक व्यक्ति आतंकवाद का विरोध करता है तथा प्रत्येक व्यक्ति को आतंकवाद का विरोध करने के लिए प्रेरित करता है । क्योंकि आतंकवाद प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक ऐसी बिमारी है जिसका इलाज करता असम्भव है लेकिन फिर भी आतंकवाद से निपटने के लिए तमाम तरह के कदम उठाये जा रहे है ।.
उद्देश्य : आतंकवाद विरोधी दिवस मनाए जाने के पीछे मुख्य उद्देश्य आम लोगों की पीड़ा को उजागर करते हुए और राष्ट्रहित में इसके दुष्प्रभाव को दर्शाते हुए आतंकवाद और हिंसा के पंथ से लोगों को दूर करना है । सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य आतंकवाद के प्रति जन-जन को जागरूक करना है, जिससे कि आगे इस प्रकार की होने वाली घटनाओं को रोका जा सके और आतंकवाद से होने वाली जन हानि और धन हानि को समाप्त किया जा सके । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, संगोष्ठी, सेमीनार और व्याख्यान आदि का आयोजन स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में किया जाता है । साथ ही आतंकवाद और हिंसा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक निर्धारित और सतत अभियान चलाया जाता है ।
आतंकवाद और धर्म : आतंकवाद आज दुनिया के सामने एक बड़े खतरे के रूप में मौजूद है । हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी चीन के दौरे पर गए और वहां भी आतंकवाद के विरोध में दोनों देशों के सर्वोच्च नेताओं ने बयान दिया है । आज आतंकवाद से जूझना हर देश की बड़ी प्राथमिकता है । हमारे देश में आतंकवादी सोच के शिकार कई नेता हो चुके हैं ।
आजादी के पहले के दौर में गणेश शंकर विद्यार्थी आतंकवादी सोच के कारण ही शहीद हुए थे । महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी आतंकवादी राजनीति के कारण मारे गए । ऐसी हालत में ‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ को तरीके से मनाये जाने के पीछे राष्ट्रहित का तर्क फिट बैठता है । आजकल पूरी दुनिया में आतंकवाद को इस्लाम से जोडक़र देखने का फैशन है । यूरोप के बहुत ही लिबरल देशों में भी इस्लाम के मानने वालों पर खास नज़र रखी जा रही है; लेकिन सच्चाई यह है कि आतंक का कोई मजहब नहीं होता । भारत ने जिस तरह के आतंकवाद को झेला है उसमें तरह-तरह के धर्मों का पालन करने वाले रहे हैं । जिन धर्मों के आतंकवादियों ने भारत का नुकसान किया, उसमें हिन्दू, मुसलमान, सिख सभी रहे हैं । इसलिए आतंक के नाम पर केवल पाकिस्तान और केवल मुसलमानों को निशाने पर लेने का कोई विशेष मतलब नहीं है । क्योंकि आतंकवादी वास्तव में अपने धर्म की मूल भावना से हटा हुआ व्यक्ति होता है, वह धार्मिक नहीं होता । यह अलग बात है कि ज़्यादातर आतंकवादी अपने धर्म के हवाले से ही वारदात करते हैं । कुछ देशों में तो सत्ता का मालिक ही आतंक को सरकारी हथियार या पड़ोसी देश में अस्थिरता फैलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं । हालांकि यह भी सत्या है कि, अधिकतर आतंकवादियों की संख्या मुस्लिम धर्म को मनाने वालों की रही है ।
भारत में आतंक फैलाने के लिए राह भटके लोगों का इस्तेमाल होता रहा है । पंजाब में दस साल तक आतंक का जो राज चला उसके पीछे पाकिस्तानी जनरल और तानाशाह जिया उल हक का मुख्य हाथ था । लेकिन भारत के पंजाब में खून की होली खेल रहे लोग ज्यादातर सिख थे । दिल्ली में एक माओवादी नेता को बाद को पकड़ा गया था । आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में चल रहे आतंकवादी कारनामों को चलाने वाले संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) की सबसे महत्वपूर्ण नीति निर्धारक संस्था, पोलित ब्यूरो के सदस्य कोबाद गांधी का धर्म पारसी है । मालेगांव में विस्फोट करने वाले संगठन के लोग प्रज्ञा ठाकुर और रमेश पुरोहित हिंदू हैं । अयोध्या की बाबरी मस्जिद को विध्वंस करने पर आमादा भीड़ में लगभग सभी हिंदू थे । हर आतंकवादी आतंक के जरिए अपनी बात मनवा लेने के लिए हिंसा का सहारा लेता है और उसको विचारधारा के रूप में प्रचारित करता है । कश्मीर में आतंक फैलाने वाले और पाकिस्तान की आई.एस.आई. की मदद से तबाही करने वाले लोग मुसलमान हैं । भारतीय संसद पर हमला करने वाले लोग ज्यादातर मुसलमान थे । गुजरात 2002 के नरसंहार को अंजाम देने वाले लोग भी हिंदू ही बताए गए हैं जबकि जिन लोगों ने गोधरा में ट्रेन में आग लगाई उनके धर्म के बारे में बहस है । इस तरह हम देखते हैं कि आतंकवाद के जरिए अपना लक्ष्य हासिल करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य राजनीतिक होता है जिसको पूरा करने के लिए वह उन लोगों का इस्तेमाल करता है जो पूरी बात को समझ नहीं पाते । पंजाब में भी आतंकवाद शुरू तो हुआ पाकिस्तान की शह पर लेकिन अपने आखिरी दिनों में पंजाब का आतंकवाद शुद्घ कारोबार बन गया था । ऐसी स्थिति में आतंकवाद को किसी भी मजहब से जोडऩा बहुत बड़ी गलती होगी ।
आतंकवाद और राजनीति : आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और आतंकवाद को राजनीतिक हथियार बनाने वाले व्यक्ति का उद्देश्य हमेशा राजनीतिक होता है और वह भोले भाले लोगों को अपने जाल में फंसाता है । इसलिए आतंकवाद की मुखालिफत करना तो सभ्य समाज का कर्तव्य है लेकिन आतंकवाद को किसी धर्म से जोडऩे की कोशिश करना जहालत की इंतहा है क्योंकि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता । दुर्भाग्य की बात यह है कि आतंकवाद अपने आप में एक राजनीतिक विचारधारा बनती जा रही है । इसे हर हाल में रोकना होगा । जहां तक भारत का सवाल है, उसने आतंकवाद की राजनीति के चलते बहुत नुकसान उठाया है । महात्मा गांधी की हत्या करने वाले भी आतंकवादी थे और पूरी तरह से राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित थे । उनके हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे है । वह हिन्दू था । उस साजिश में वीडी सावरकार भी गिरफ्तार हुए थे । वे हिन्दुत्व के सबसे बड़े अलंबरदार थे । यहां यह समझ लेना जरूरी है कि हिंदू धर्म का सावरकर के हिंदुत्व से कोई लेना देना नहीं है, उनकी किताब हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के मूल ग्रन्थ के रूप में ही जाना जाता है, उसमें धार्मिक कुछ भी नहीं है । इसके बाद भी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्याएं भी आतंकवादी कारणों से हुईं । इंदिरा गांधी के हत्यारे सिख थे, राजीव गांधी की हत्या तमिल हिन्दू आतंकवादियों ने की थी । मतलब यह हुआ कि आतंकवाद को राजनीतिक हथियार बनाने वाले पूरी तरह से राजनीतिक मकसद हासिल करने के लिए काम कर रहे होते हैं, धर्म का इस्तेमाल वे केवल अपने धर्म को मानने वाले अज्ञानी लोगों को फंसाने के लिए करते हैं । धर्म की आड़ में आतंकवादी सीधे सादे लोगों की भावनाओं को उभारता है और उसका इस्तेमाल अपने मकसद को हासिल करने के लिए करता है ।
सवाल यह है कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए क्या किया जाय । जवाब साफ है कि किसी भी आतंकवादी को ऐसे मौके न दिए जाए जिससे कि वह मामूली आदमी की भावनाओं को भडक़ा सके । सरकारों को सख्त होना पड़ेगा और न्यायपूर्ण तरीके से फैसले करना पड़ेगा । 1992-93 के मुम्बई विस्फोट का जिम्मा पाकिस्तानी मुसलमानों को ही देना सही है किन्तु उस घटना में हमारे कुछ नागरिकों का भी हाथ रहा होगा । क्योंकि उस आतंक में इस्तेमाल हुआ सारा विस्फोटक मुम्बई में तस्करी के चैनल से आया था और उसमें कस्टम अधिकारियों का हाथ था । स्वर्गीय मधु लिमये ने पता लगाया था कि इस माल को तस्करी के रास्ते भारत आने देने वाले सभी कस्टम कर्मचारी वाले हिंदू थे । यह लोग पैसे की लालच में काम कर रहे थे ।
ऐसे माहौल में आतंकवाद से मुकाबला कर रहे हमारे देश के गृह मंत्रालय ने ‘आतंकवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मौजूद एक दिन को बड़े पैमाने पर मनाने का फैसला करके, पूर्व में दिया गया सन्देश है कि देश के दुश्मनों से लड़ाई के अवसर पर सभी देशवासी एक हो सकते हैं ।
आतंकवाद पर कुछ महान लोगों के कुछ कथन :: दोस्तों, आतंकवाद से अपना भारत देश तो क्या सभी देश परेशान हैं । आतंकवाद से बेकसूर लोगों की जाने जाती है । आतंकवाद, जो कभी सिर्फ भारत या कुछ अन्य देशों की समस्या हुआ करती थी आज पूरे विश्व की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन गई है । अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश जो खुद को इससे अछूता मानते थे आज टेररिज्म के भयावह रूप को देख रहे हैं । आइये... आज हम इस गम्भीर समस्या पर दुनिया के कुछ प्रभावशाली लोगों के विचार और कुछ कथन लाये हैं –
§ आतंकवाद एक
मनोवैज्ञानिक युद्ध है । आतंकवादी भय, अनिश्चितता, और समाज में विभाजन पैदा करके हमें और हमारे व्यवहार को बदलने की कोशिश
करते हैं । (व्लादिमीर पुतिन)
§ आतंकवाद का
कोई धर्म या राष्ट्रीयता नहीं होता । (पैट्रिक जे कैनेडी)
§ कहीं भी
आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है । (किरण बेदी)
§ कुछ लोगों के
लिए किसी व्यक्ति को अल्लाह की इबादत करते देख लेना ही उसे आतंकवादी मानने के लिए
काफी है । (डेमियन लुईस)
§ भारत में हम
केवल मृत्यु,
बीमारी, आतंकवाद, अपराध
के बारे में पढ़ते हैं । (अटल बिहारी वाजपेयी)
§ आप मित्र बदल
सकते हैं पर पडोसी नहीं । (अटल बिहारी वाजपेयी)
§ लोकतंत्र
शांति के लिए और आतंकवादी शक्तियों को कम करने के लिए आवश्यक है । (मलाला यूसूफ़जई)
§ टेररिज्म
युद्ध का एक सिस्टेमेटिक हथियार बन गया है जो कोई सीमा नहीं जानता और जिसका
कभी-कभार ही कोई चेहरा होता है । (जाक शिराक)
§ आतंकवाद का
उद्देश्य न सिर्फ हिंसक कार्रवाई करना भर नहीं है । यह आतंक के उत्पादन में है ।
यह भड़काने,
विभाजित करने, और घातक अंजाम देते हैं जो वे आगे
आतंक का औचित्य साबित करने के लिए उपयोग करते हैं । (क्जेल्ल माग्ने बांडइविक)
§ आतंकवाद का
कोई धर्म नहीं है,
आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं है और वे किसी भी धर्म के मित्र नहीं
हैं । (मनमोहन सिंह)
§ आतंकवाद और
धोखा शक्तिशालियों के नहीं बल्कि कमजोरों के हथियार हैं । (महात्मा गांधी)
§ आतंकवाद
शांति और सुरक्षा,
समृद्धि और लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है । (ए पी जे अब्दुल
कलाम)
§ हम
आतंकवादियों से लड़कर आतंकवाद को पैदा नही करते । हम उन्हें अनदेखा करके आतंकवाद को
आमंत्रित करते हैं । (जॉर्ज डब्ल्यू बुश)
§ आतंकवाद
क्रोध की अभिव्यक्ति नहीं है । आतंकवाद एक राजनीतिक हथियार है । (डैन ब्राउन)
आतंकवाद सभी सभ्य राष्ट्रों द्वारा ग़ैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए, स्पष्ट या तर्कसंगत नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि लड़ा और मिटाया जाना चाहिए । मासूम लोगों और असहाय बच्चों की हत्या को कुछ भी सही नहीं ठहरा सकता, ना ठहरा पायेगा । (एली वीज़ेल)
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“प्रतिज्ञा”
आंखों से अब अश्कों का सैलाब नहीं चलेगा,
बहुत हो चुका नफरत का तेजाब नहीं चलेगा,
प्यार चलेगा साथ हमारे, मोहब्बत की सौगात चलेगी,
सुनलो अब ऐ अमन के दुश्मन आतंकवाद नहीं चलेगा... नहीं चलेगा......
( Ref: http://www.totalgk.in/2017/05/anti-terrorism-day-in-hindi.html , http://www.deshbandhu.co.in/editorial/21-%E0%A4 % AE% E0% A4% 88% E0% A4% 86% E0% A4% A4% E0% A4% 82% E0% A4% 95% E0% A4% B5% E0% A4% BE% E0% A4% A6% E0% A4% B5% E0% A4% BF% E0% A4% B0% E0% A5% 8B% E0% A4% A7% E0% A5% 80-% E0% A4% A6% E0% A4% BF% E0% A4% B5% E0% A4% B8% E0% A4% E0% A4% E0% A4% A8% E0% A4% BE-% E0% A4% B0% E0% A4% BE% E0% A4% B7% E0% A5% 8D% E0% A4% 9F% E0% A5% 8D% E0% A4% B0% E0% A5% 80% E0% A4% AF- % E0% A4% AB% E0% A5% 88% E0% A4% B8% E0% A4% B2% E0% A4% BE-50380-2 ,)