‘ भारत रत्न ’ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी का
‘जन्म-दिवस’
डॉ. विश्वेश्वरैया जी ने एक साधारण परिवार में जन्म
लिया । उनके जन्म के समय हम लोग अंग्रेजों के गुलाम थे और उनके कठोर नियम एवं प्रताड़ना
से उपेक्षित जीवन जीना पड़ता था । प्रत्येक भारतीय के लिए उस समय प्रगति के सारे दरवाजे
बंद थे, ऐसी विषम पारिस्थितियों में उनका जीवन व्यतीत
हुआ । उनकी बाल्यावस्था अत्यंत संघर्षपूर्ण परिस्थित्यों में बीती । 19 वर्ष की अवस्था
मे उन्होने बी.ए. पास किया तथा बाद मे बम्बई विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की परीक्षा
प्रथम श्रेणी से पास की । वर्ष 1884 में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए और इस
पद पर कार्य करते हुए, उन्होने बम्बई प्रांत
के नालियों से बाहर पानी-निकासी की व्यवस्था का इतना अच्छा प्रबंध किया कि, वे प्रसिद्ध हो गए और कुछ ही दिनों में पदोन्नत
होकर सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के पद पर पदस्थ हो गए । 1894 में उन्होने सम्खर बांध का
निर्माण कराया । 1906 में उन्हें बम्बई सरकार द्वारा जल-व्यवस्था के पर्यवेक्षण के
लिए अदन भेजा गया । दो वर्ष पश्चात उन्होने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया तथा
कुछ समय बाद डॉ. विश्वेश्वरैया जी को निज़ाम हैदराबाद ने बाढ़ की समस्या हल करने के लिए बुलाया
गया । मैसूर के महाराजा ने उन्हे अपने राज्य का इंजीनियर बनाया और कुछ समय पश्चात उन्हे
अपना दीवान बनाया गया । डॉ. विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर में कावेरी नदी पर
बाँध बनाया और मैसूर में अनेक उद्योगों को चालू किया गया, जिसमें भद्रावती का कारख़ाना मुख्य है । आपने
मैसूर राज्य में विश्वविद्यालय की स्थापना किया । विभिन्न समस्याओं के निराकरण हेतु
आपके द्वारा अनेक देशों की यात्रा की गई । डॉ. विश्वेश्वरैया जी टाटा-स्टील के अध्यक्ष भी बने
। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए भारत सरकार द्वारा 1955 में सर्वोच्च पुरस्कार “भारत
रत्न” से सम्मानित किया गया । डॉ. विश्वेश्वरैया जी समय और नियम के बड़े पाबंद थे
और संयमित जीवन के पक्षधर थे । उन्होने लाखों रुपये कमाएँ, जिन्हे उनके द्वारा शिक्षा के विकास मे दान करते
रहे । 15 सितम्बर 1961 को उनका 100वां जन्म दिवस मनाया गया तथा 14 अप्रेल 1962 को उनका
निधन हो गया । उनके द्वारा उदीयमान इंजीनियर के रूप मे निम्न प्रमुख कार्य किए गए –
(1) वर्ष 1984 मे सम्खर बाँध योजना का निर्माण करके सिंध में जल संकट
की समस्या दूर की गई ।
(2) वर्ष 1906 में आदान की जल समस्या का समाधान किया गया ।
(3) हैदराबाद मे मुसी नदी योजना का निर्माण करके बाढ़ की समस्या दूर
किया गया ।
(4) कावेरी नदी पर कृष्ण राज्य सागर बाँध का निर्माण किया गया ।
(5) भद्रावती (आंध्रप्रदेश) में इस्पात कारखाने की योजना बनाया ।
(6) सम्पूर्ण देश में योजनाबद्ध रूपसे उद्योगों की स्थापना का सघन प्रयास
किया गया ।
(7) देश के प्रसिद्ध उद्योगों एवं कारखानों का संचालन और सभापतित्व
किया ।
(8) पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनकी लगनशीलता एवं विचारों की महानता
एवं कार्यों को देखकर, उन्हे ‘मानवता की विशिष्ट संतान’ से सम्बोधित किया ।
हमारा देश उन जैसे कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, लगनशील तथा कुशाग्र बुद्धि के सेवक पाकर धन्य है । हमारी उनकी जन्म-जयंती
के अवसर पर सच्ची श्रद्धांजली यही होगी कि हम उनके बताए गए रास्ते पर चले । डॉ. विश्वेश्वरैया जी की सच्ची राष्ट्रभक्ति की उनकी लगनशीलता और कृतज्ञता के लिए राष्ट्र
सदैव उनके कार्यों से प्रेरणा लेकर उनकी जयंती मनाता रहे । आज के शुभ अवसर पर सभी को
“इंजीनियर्स-दिवस” की हार्दिक शुभ कामनाएँ एवं बधाइयाँ ...
ऐसे
समय में माखनलाल चतुर्वेदी की इस कविता का स्मरण होना स्वाभाविक प्रतीत होता है ---
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पाठ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पाठ जावें वीर अनेक ...