इंसान की हमेशा से ही कुछ नया जानने की
इच्छा रही है और अक्सर बहुत बार दुनिया से बाहर भी एलियन के होने की भी बातें काही
जाती है । हर कोई यह जानना चाहता है कि, बाहर कि दुनिया में भी लोग
रहते है; जिनका हमें कुछ पता नहीं है । यदि पृथ्वी के बाहर
जीवन है, तो उसकी खोज कैसे हो ? उसके
साथ संपर्क कैसे हो ? एक उपाय अंतरिक्षयान के द्वारा विभिन्न
ग्रहो की यात्रा का है । लेकिन वर्तमान मे हमारे
अंतरिक्ष यान इतने सक्षम नही है कि अपने सौर मंडल से बाहर जा कर जीवन की खोज कर
सके । दूसरा उपाय संचार माध्यमो का है जैसे- रेडीयो तरंगे ।
पृथ्वी के बाहर यदि कोई बुद्धिमान
सभ्यता निवास करती है और विज्ञान मे मानव सभ्यता से ज्यादा विकसित या मानव सभ्यता
के तुल्य विकसित है तब वह संचार माध्यमो के लिये रेडीयो तरंगो का प्रयोग अवश्य ही करती
होगी । इसी धारणा को लेकर पृथ्वी से बाहर सभ्यता की खोज प्रारम्भ हुई है ।
सौर मंडल के बाहर बुद्धिमान जीवन की खोज मे लगे एक समूह का नाम सर्च फ़ार एक्स्ट्राटेरेस्ट्रीयल इन्टेलीजेन्स (सेटी) है । सेटी (SETI) प्रोजेक्ट वैज्ञानिक विधीयो से दूरस्थ ग्रहो की सभ्यताओ से हो रहे विद्युत चुंबकिय संचार की खोज मे लगा हुआ है । 1971 मे नासा मे सेटी (SETI) खोज पर धन लगाने का एक महात्वाकांक्षी प्रस्ताव दिया । उसे प्रोजेक्ट सायक्लोप्स नाम दिया गया, जिसमे10 अरब डालर की लागत से पन्द्रह सौ रेडीयो दूरबीन लगाये गये । इस बात का कोई आश्चर्य नही है, इस खोज का आज तक कोई भी परिणाम नही निकला है । संयुक्त राज्य अमरीका सरकार ने इस प्रोजेक्ट की शुरुवात मे इसे अनुदान दिया था लेकिन अब यह निजी श्रोतो से प्राप्त धन पर निर्भर है ।
‘गूगल’ ने आज ‘अरेसीबो मेसेज(Arecibo
message)’ का ‘गूगल-डूडल’
बनाया है । आज से ठीक 44 साल पहले अर्थात 16
नवम्बर, आज ही के दिन इंसान ने धरती से बाहर ग्रहों/तारों को
पहला रेडियो मैसेज भेजा था । इंसान की इस उपलब्धि को सम्मान देते हुए गूगल ने ‘गूगल-डूडल’ तैयार किया है । 1974 मे 1679 बाईट के इस संदेश को
पोर्ट रीको स्थित महाकाय अरेसीबो रेडीयो दूरबीन से ग्लोबुलर
क्लस्टर एम-13 की ओर प्रक्षेपित किया गया जो कि 25,100 प्रकाशवर्ष दूरी पर है । यह संदेश एक 23 गुणा 73की सारणी मे था । 3 मिनट के इस रेडियो मेसेज में 1,679
बाइनरी डिजिट्स था, जिन्हें एक ग्रिड यानी 23
कॉलम और 73 पंक्तियों में व्यवस्थित किया जा
सकता था । नंबरों की इस सीरीज का लक्ष्य सितारों का वह समूह था, जोकि पृथ्वी से M-13, 25,000 प्रकाश साल की दूरी पर
स्थित था । अंतरिक्ष इतना विशाल है कि इस संदेश का उत्तर आने मे कम से कम 52,200 वर्ष लगेंगे ।
ये ब्रॉडकास्ट काफी पॉवरफुल था क्योंकि
अरसीबो को 305
मीटर ऊंचे एंटीना में लगाया गया था । गूगल के मुताबिक, चूंकि भेजा गया ‘अरसीबो मैसेज’
अपने तय लक्ष्य तक पहुंचने में करीब 25 हजार साल का समय लेगा
। ऐसे में रिस्पॉन्स मैसेज का इतंजार करना होगा । मैसेज वापस कब आएगा इसके बारे
में कोई नहीं जानता है । इस शक्तिशाली ब्रॉडकास्ट का आज तक कोई रिस्पॉन्स मैसेज (arecibo
message reply) नहीं मिला है ।
यह संदेश फ़्रेंक
ड्रेक ने कार्ल सागान और कुछ अन्य वैज्ञानिको के साथ
लिखा था । इस संदेश मे निम्नलिखित सात भाग थे -
1)
एक (1) से लेकर दस(10) तक के अंक
2)
डी एन ए को बनाने वाले तत्व हायड्रोजन, कार्बन,
नायट्रोजन, आक्सीजन और फास्फोरस के परमाणु
क्रमांक
3)
डी एन ए के न्युक्लेटाईड के शर्करा और क्षारो
के रासायनिक सूत्र
4)
डी एन ए के न्युक्लेटाईडो की संख्या और डी एन
ए की संरचना का चित्रांकन
5)
मानव के शरीर की आकृति का चित्रांकन तथा मानव
जनसंख्या
6)
सौर मंडल का चित्रांकन
7)
अरेसीबो रेडीयो दूरबीन का चित्रांकन तथा आकार
“Wow संदेश”
रहस्यमयी Wow संदेश
: 15 अगस्त 1977 को सेटी मे कार्यरत डा॰ जेरी एहमन ने ओहीयो विश्वविद्यालयके बीग इयर रेडीयो दूरबीन पर एक रहस्यमयी संदेश
प्राप्त किया । इस संदेश ने परग्रही जीवन से संपर्क की आशा मे नवजीवन का संचार कर
दिया था ।
यह संदेश 72 सेकंड तक प्राप्त हुआ लेकिन उसके बाद यह दूबारा प्राप्त नही हुआ । इस
रहस्यमय संदेश मे अंग्रेजी अक्षरो और अंको की एक श्रंखला थी जो कि अनियमित सी थी
और किसी बुद्धिमान सभ्यता द्वारा भेजे गये संदेश के जैसे थी । डा एहमन इस संदेश के
परग्रही सभ्यता के संदेश के अनुमानित गुणो से समानता देख कर हैरान रह गये और
उन्होने कम्प्युटर के प्रिंट आउट पर “Wow!” लिख
दिया जो इस संदेश का नाम बन गया ।
यह संकेत धनु
तारामंडल के समीप के तारा समूह चाई सगीट्टारी के तारे टाऊ सगीट्टारी से आया था। इसके बाद इस संदेश के
श्रोत की खोज के ढेरो प्रयासो के बाद भी यह दूबारा प्राप्त नही हुआ । पर इतना तय
है कि यह संदेश पृथ्वी से उत्पन्न नही था और अंतरिक्ष से ही आया था । लेकिन कुछ विज्ञानी जिन्होने ’Wow’ संदेश देखा था इस
निष्कर्ष से सहमत नही थे । 1977 मे प्राप्त इस रहस्यमयी
संदेश से अमरीकी कांग्रेस इन प्रोजेक्टो के महत्व ‘Wow’ से
भी प्रभावित नही हुई ।
अपडेट : अभी हाल ही में
शोधकर्ताओं की एक टीम ने CPS (Center of Planetary
Science) के साथ मिलकर wow! संकेत के रहस्यों
को हल कर दिया है । शोधकर्ताओं के प्रमुख एंटोनियो पेरिस (Antonio Paris) ने अपने सिद्धांतों का वर्णन वाशिंगटन एकेडमी ऑफ साइंस के जर्नल में
प्रकाशित पेपर में किया है । उनका रिपोर्ट यह बताता है कि यह संकेत एक धूमकेतु से
आया था । wow! संकेत की आवृत्ति 1420 MHz दर्ज की गई थी जो कि साधारण हायड्रोजन गैस की उत्सर्जन आवृत्ति के समान ही
है । इसका प्रत्यक्ष स्पष्टीकरण पिछले साल तब सामने आया जब CPS के शोधकर्ताओं की टीम ने एक सुझाव दिया कि धूमकेतु पर मौजूद हायड्रोजन के
बादल भी इसी तरह के संकेत प्रसारित करते है । Wow! संकेत हमे
दुबारा इसलिए नही मिल सका क्योंकि धूमकेतु तेज गति से गतिशील रहते है । जिस दिन
बिग इयर को यह संकेत मिला था ठीक उस दिन दो धूमकेतु आसमान के उसी हिस्से में मौजूद
थे । यह धूमकेतु 266P/Christensen और 335P/Gibbs को तब खोजा नही गया था । शोधकर्ताओं को अपनी विचार का परीक्षण करने जा
मौका तब मिला जब नवंबर 2016 से फरवरी 2017 तक आकाश में दोनों धूमकेतु सामने आये । इस टीम ने परीक्षण किया और अपनी
शोधपत्र में कहा 266P/Christensen से मिले रेडियो संकेत को
हमने Wow! संकेत से मिलान किया । 40 साल
पहले प्राप्त संकेत से मिलान के लिए हमने अन्य तीन धूमकेतु के रेडियो संकेतो को
मिलाया है । उन्हें सभी धूमकेतु से लगभग इसी तरह के रेडियो संकेत के परिणाम
प्राप्त हुये है । शोधकर्ताओं ने कहा वे निश्चित रूप से यह तो नही कह सकते कि Wow!
संकेत धूमकेतु 266P/Christensen द्वारा ही
उत्तपन्न हुआ था, लेकिन वे सापेक्ष आश्वस्त रूप से कह सकते
है कि यह संकेत धूमकेतु द्वारा ही उत्पन्न किया गया था जो एक प्राकृतिक घटना है ।
‘सेटी’ के
सम्मुख इन इन सभी समस्याओ के बावजूद आशा है कि इस शताब्दि मे हम किसी परग्रही
सभ्यता के संकेत पकड़ने मे सक्षम हो जायेंगे । जब भी यह होगा मानव इतिहास मे एक
मील का पत्त्थर होगा ।
(Ref. : https://vigyanvishwa.in/2011/01/31/seti/, https://www.sbistudy.com/arecibo-message-in-hindi/, https://www.jansatta.com/trending-news/arecibo-message-reply-explained-response-decoded-audio-binary-meaning-in-hindi-us-internet-search-engine-google-celebrates-44th-anniversary-of-interstellar-message-by-making-its-doodle/820053/,)