आज से लगभग 400 वर्ष पहले के वक्त की कल्पना कीजिए, तब किसी ने दुनिया का मुकम्मल नक्शा नहीं बनाया था । उस समय पृथ्वी की भोगोलिक स्थिति को समझा पाना कितना कठिन होता होगा ? ... और यह मुश्किल काम करने वाले थे अब्राहम ऑर्टेलियस ।
जी हाँ, आज के दिन सर्च इंजन ‘गूगल’ ने अपने ‘डूडल’ के जरिए एक ऐसी ही शख्सियत को याद किया है, जिसने करीब 400 साल पहले दुनिया का मॉडर्न मानचित्र बनाया था । जिस समय दुनिया के नक्शे की कल्पना भी नहीं की गई थी, उस वक्त अब्राहम ऑर्टेलियस ने पृथ्वी की भौगोलिक बनावट के आधार पर एक माडर्न मानचित्र बना दिया था ।
सर्च इंजिन ‘गूगल’ ने अब्राहम ऑर्टेलियस को आज अपना ‘डूडल’ समर्पित किया है। अब्राहम को दुनिया की पहली एटलस बनाने के लिए जाना जाता है । 400 साल पहले 20 मई, 1570 को दुनिया की पहली एटलस "थिएटरम ऑर्बिस टेरारम (Theatrum Orbis Terrarum)" अर्थात ‘दुनिया का रंगमंच’ टाइटल के नाम से प्रकाशित किया गया था । एटलस बनाने के लिए अब्राहम ऑर्टेलियस ने कई मानचित्रों को जोड़कर बनाया था । आज ‘गूगल’ ने एक किताब के जरिए एटलस और अब्राहम ऑर्टेलियस को दिखाया है और उन्हें याद किया है । ध्यान रहे कि यह मानचित्र 20 मई 1970 को प्रकाशित किया गया और ‘गूगल’ ने इसके लिए एनिमेटेड ‘डूडल’ बनाया है ।
अब्राहम ऑर्टेलियस का जन्म 4 अप्रैल 1527 को एंटवर्प, बेल्जियम में हुआ था । अब्राहम दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने एटलस की कल्पना की थी । आज के समय में देखी जाने वाले एटसल अब्राहम के दिमाग का नतीजा है । एटलस बनाने के लिए अब्राहम ऑर्टेलियस ने कई मानचित्रों को जोड़कर बनाया था । एक मानचित्र में कई नक्शों को संग्रहित कर यह बनाया गया था । बताया जाता है कि उनके पहले एटलस के पहले संस्करण में 53 नक्शे शामिल थे, जो कि 16वीं शताब्दी में आया था । दुनिया के इन नक्शों की मदद से नई खोज और बातचीत के नए रास्ते खुले । 1622 में आखिरी एडिशन एटलस प्रकाशित किया गया था, जिसमें 167 नक्शे थे ।
बेल्जियम में जन्में थे अब्राहम ऑर्टेलियस अब्राहम ऑर्टेलियस का जन्म 4 अप्रैल 1527 को एंटवर्प, बेल्जियम में हुआ था । अब्राहम दुनिये के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने एटलस की कल्पना की हो । आज के समय में देखी जाने वाले एटसल अब्राहम ऑर्टेलियस के दिमाग का नतीजा है । एटलस को बनाने के लिए उन्होंने कई भौगोलिक मानचित्रों को बनाया था और साल 1622 में एटसल का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ था । उनके पहले एटलस के संस्करण में 53 मैप शामिल किए गए थे । उनके द्वारा बनाया गया आखिर एटसल संस्करण साल 1622 में प्रकाशित किया गया था । दुनिया के इन नक्शों की मदद से नई खोज और बातचीत के नए रास्ते खुले । 1622 में आखिरी एडिशन एटलस पब्लिश किया गया था, जिसमें 167 नक्शे थे ।
एनिमेटेड ‘डूडल’ में ऑर्टेलियस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा पहले “कार्टोग्राफरों में से एक" मूल मानचित्रों के रचनाकारों को लगातार स्रोतों और नामों को जोड़ने के लिए याद करता है । ‘गूगल’ ने उनके बारे में आगे लिखा- उनके द्वारा किए गए कामों ने वास्तव में वैश्विक दृष्टिकोण देने में मदद की । अब्राहम ऑर्टेलियस एटसल बनाने के अलावा अब्राहम ऑर्टेलियस को कई भाषा ओं का ज्ञान होने के लिए जाना जाता है । कहा जाता है कि ऑर्टेलियस डच, ग्रीक, लैटिन, इतालवी, फ्रेंच, स्पेनिश और कुछ जर्मन और अंग्रेजी सहित कई भाषाएं बोल सकते थे । अब्राहम ऑर्टेलियस की मौत पर 28 जून 1598 को हुई ।
(Ref: https://hindi.oneindia.com/news/india/google-doodle-remeber-abraham-ortelius-world-s-first-modern/articlecontent-pf138356-457532.html, https://aajtak.intoday.in/education/story/google-doodle-know-about-abraham-ortelius-tedu-1-1004087.html,)
Long before we were able to map the world and put it online, Abraham Ortelius made a lasting impact by collecting the latest information from scientists, geographers, and cartographers and transforming it into what the world now knows as the modern day atlas.
The atlas, titled Theatrum Orbis Terrarum (Theatre of the World), was first published on this day in 1570 and is significant for a couple reasons. Within these pages, we see the first evidence of someone imagining continental drift - the theory that continents were joined together before drifting apart to their present day positions. Flipping through the pages, you may also notice a sea monster or two in the water - these mythical creatures were a subject of fascination in Ortelius’ generation, and often appeared alongside the ever changing landscapes of the atlas maps.
As every atlas is an aggregation of many maps, Ortelius was also one of the first cartographers to consistently add sources and names to the creators of the original maps, as evidenced by the first map pictured in today’s animated Doodle. Adding his fellow scientists’ names to the atlas wasn’t just a professional courtesy - Ortelius was known for corresponding with prominent scientists and humanists from all over Europe, a practice that yielded much insight into the great thinkers of his time.
Here’s to Abraham Ortelius, whose cartographic innovation helped give all a truly global view.
Celebrating Abraham Ortelius (अब्राहम ऑर्टेलियस का जश्न) - YouTube