‘गूगल डूडल’ ये गूगल की एक सेवा है
जिसके द्वारा ये पूरी दुनिया को कुछ ऐसी चीज, लोगों, अविष्कारों के बारे में बताता है, जो उस दिन से
सम्बंधित और महत्वपूर्ण हो । आज 15 नवम्बर 2017 को गूगल ने अपने डूडल में कार्नेलिया सोराबजी को जगह दी है ।
कार्नेलिया सोराबजी जी एक वकील थी । उन्हें भारत में बहुत से काम पहली बार करने के लिए
जाना जाता है । वो भारत की प्रथम महिला अधिवक्ता यानि
की वकील थी । बॉम्बे बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने वाली प्रथम महिला थी ।
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ की की पढ़ाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला थी ।
कार्नेलिया सोराबजी का जन्म 15 नवम्बर 1866 में नासिक में हुआ था । वो प्रथम महिला थी जिन्हे कलकत्ता हाई
कोर्ट में प्रैक्टिस करने की अनुमति मिली थी । इन्होने शिशु-माता की मदद और नर्शिंग के लिए लीग की स्थापना की । उन्हें भारत में महिलाओ को वकील के
रूप में नई पहचान दिलाने और
इसको पाने के लिए किये गए कड़े संघर्ष के लिए जाना जाता है, क्योंकि
उस समय महिलाओं को वकालत करना मना था । उन्हें एक सामजिक
एक्टिविस्ट के रूप में भी जाना जाता है । उन्हें लेख न में भी रूचि थी । इनकी
आत्मकथा का नाम ‘ इंडिया कालिंग ’ है । उनका निधन 87 वर्ष उम्र में 1954 में लंदन में हुआ था ।
कार्नेलिया सोराबजी (1866-1954) को
भारत की पहली महिला बैरिस्टर होने का श्रेय प्राप्त है । वे समाज सुधारक तथा एक लेखिका
भी थीं और उनके द्वारा अनेकों पुस्तकों, लघुकथाओं एवं लेखों की रचना भी की गई, जिनमें निम्नलिखित
मुख्य है ---
o 1901: Love and Life Beyond the Purdah (London:
Fremantle & Co.) [short stories concerning life in the zenana (women's
domestic quarters), as well as other aspects of life in India under colonial
rule]
o 1904: Sun-Babies: studies in the child-life
of India (London: John Murray)
o 1908: Between the
Twilights: Being studies of India women by one of themselves (online) (London:
Harper) [details many of her legal cases while working for the Court of Wards]
o 1916: Indian Tales of the Great Ones Among
Men, Women and Bird-People (Bombay: Blackie) (legends and folk tales)
o 1917: The Purdahnashin (Bombay:
Blackie) (works on women in purdah)
o 1924: Therefore: An Impression of Sorabji
Kharshedji Langrana and His Wife Francina (London: Oxford University
Press, Humphrey Milford, 1924) [a memoir of her parents' lives]
o 1930: Gold Mohur: Time to Remember (London:
Alexander Moring) (a play)
o 1932: Susie Sorabji, Christian-Parsee
Educationist of Western India: A Memoir (London: Oxford University
Press) (a biography of her educationist sister, (Susie Sorabji)
उन्होने दो
आत्मकथाएँ भी लिखीं -Recalled India
Calling (1934) तथा India Recalled (1936)