यूँ तो हमारे देश में हर दिन की शुरूआत माता-पिता के आशीर्वाद के साथ ही होती है और इसी तरह की परम्परा एवं संस्कृति विश्व में श्रेष्ठ है ; लेकिन पश्चिमी सभ्यता ने हमें कुछ ऐसे दिन भी दिए हैं जब हम अपने अपनों को स्पेशल-फील करा सकते हैं । ऐसा ही एक दिन है “ फादर्स-डे " । ‘ पापा ’ का प्यार और फिक्र अनमोल है.... फिर भी “फादर्स-डे" आपको अपने भीतर झांकने का अवसर देता है, और पापा को उनके हिस्से की खुशी देने का भी....
गूगल ने रविवार (18 जून) यानी “फादर्स-डे” पर डूडल बनाया है । गूगल ने पिता के प्यार को दिखाने के लिए ‘कैक्टस’ का सहारा लिया है। वैसे यह ‘कैक्टस’, पिता के ताकतवर और बहादुर अंदाज को दिखाने के लिए सही भी है । डूडल द्वारा दिखाया गया है कि, कैसे डांट और सख्त रवैया अपनाने वाले पिता के पीछे प्यार और लगाव छिपा होता है । गूगल ने छह तस्वीरों के जरिए पिता और उसके बच्चे का प्यार दिखाने की कोशिश की है । पहले में पिता या डैडी को खड़े हुए दिखाया गया है । फिर दिखाया गया है कि, वह कैसे अपने बच्चे/बच्ची के बाल बनाने की नाकाम कोशिश में लगे रहते हैं । तीसरे में पिता को बच्चे/बच्ची के साथ खेल ता दिखाया गया है । चौथे में दिखाने की कोशिश की गई है कि, कैसे पिता अपने बच्चे/बच्ची को अच्छी शिक्षा देकर आगे बढ़ने, बड़ा होने में मदद करते हैं । अगली फोटो में पिता को अपने बच्चे/बच्ची के साथ मस्ती करते हुए दिखाया गया है । आखिरी फोटो में पिता अपने बच्चे/बच्ची और पूरे परिवार को प्यार कर रहे होते हैं ।
“मदर्स-डे” पर भी गूगल ने ‘कैक्टस’ से ही डूडल बनाया था । दोनों डूडल के जरिए गूगल ने बताना चाहा कि, कैसे माता-पिता कठिन परिस्थितियों में अपने आपको संभालकर बच्चों को प्यार और लगाव के साथ बड़ा करते हैं ।
‘कैक्टस’ एक ऐसा पौधा है जो मुश्किल परिस्थितियों में भी टिका रहता है, सभी आकार में ढल जाता है और सुरक्षा के लिए इसमें नुकीले कांटे होते हैं । ‘कैक्टस’ की इन खूबियों को माँ और पिता के साथ जोड़ा गया है । भारत में रविवार 14 मई को ‘मदर्स-डे’ मनाया गया है । ‘मदर्स-डे’ का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है । भारत में ‘मदर्स-डे’ मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है ।
पिता भले ही माँ की तरह आपकी पहली शिक्षिका न हों, लेकिन जिंदगी के बहुत से जरूरी सबक आपको सिखाया है । भले ही वह आपसे दूर जाने पर माँ की तरह फूट-फूट कर न रोए हों लेकिन दर्द उन्हें भी उतना ही होता है । आपके जन्म से लेकर आपके बड़े होने और फिर सफल इंसान बनने के पीछे माँ की कितनी बड़ी भूमिका होती है इसके बारे में तो सब जानते हैं और सब कहते भी हैं; लेकिन ‘पापा' के योगदानों की कम चर्चा के बावजूद भी आपकी जिंदगी में उनकी भूमिका और योगदान माँ से कम हैं । इसीलिए जब जून के तीसरे रविवार अर्थात 18 जून को पूरी दुनिया उनके योगदानों को याद करते हुए “फादर्स-डे” मना रही है तो आप भी अपने पिता को अपनी जिंदगी में उनके प्यार, अपनेपन और त्याग के लिए शुक्रिया जरूर कहिए, उन्हें बताइए कि वह आपके लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं और आपकी जिंदगी का ये सफर उनके बिना बिलकुल भी आसान नहीं होता है ।
अब आपके मन में “फादर्स-डे” के बारे में कुछ सवाल भी उठ रहे होंगे, मसलन इसे मनाने की शुरुआत कहां से और कब हुई ? क्या इसे पूरी दुनिया में आज ही के दिन मनाया जाता है ? तो जनाब, आइए जानें आपके सारे सवालों के जवाब....
कब मनाया जाता है फादर्स-डे : ऐसा नहीं है कि पूरी दुनिया में “फादर्स-डे” को मनाने का एक ही दिन है । अमेरिका, यूके और भारत, जापान और कोलंबिया जैसे दुनिया के कई देशों में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है । लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जहां इसे अलग समय पर मनाया जाता है -
l इटली में “फादर्स-डे” (Festa del Papà) हर साल 19 मार्च को मनाया जाता है । स्पेन में भी “फादर्स-डे” (Día del Padre) 19 मार्च को मनाते हैं ।
l यूक्रेन में इसे सितंबर के तीसरे रविवार को जबकि इंडोनेशिया में 12 नवंबर को मनाया जाता है ।
यही वजह है कि इस बार का “फादर्स-डे” पर बनाया गया गूगल का डूडल सिर्फ अमेरिका, यूके, भारत, जापान जैसे उन देशों में ही दिखेगा जहां यह जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है ।
क्यों और कैसे हुई “फादर्स-डे” को मनाने की शुरुआत : “फादर्स-डे” मनाए जाने की शुरुआत के पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं । लेकिन इतना तय है कि इसे मनाने की शुरुआत अमेरिका से ही हुई है । पहली कहानी के मुताबिक इसकी शुरुआत का श्रेय वेस्ट वर्जिनिया के फेयरमाइंट की रहने वाली ग्रेस गोल्डन क्लेटन नामक महिला की वजह से हुई ।
दरअसल 1907 में वेस्ट वर्जिनिया स्थित मोनोनगा खदान में हुई दुर्घटना में 362 पुरुष मारे गए थे, जिसकी वजह से 250 महिलाएं विधवा हो गई थीं जबकि 1000 से ज्यादा बच्चे अनाथ हो गए थे । ग्रेस गोल्डेन क्लेटन, जो खुद भी एक अनाथ थी, ने स्थानीय मंत्री को 1908 में पिताओं के सम्मान में चर्च में एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मनाया, ऐसा करने के पीछे क्लेटन का मकसद खदान दुर्घटना में मारे गए पिताओं के साथ-साथ अपने पिता को भी श्रद्धांजलि देना था ।
दूसरी कहानी के मुताबिक इसकी शुरुआत अरकांस की रहने वाली सोनोरा स्मार्ट डॉड ने अपने पिता को सम्मानित करने के लिए की थी । डॉड के पिता ने उनकी मां की बच्चे को जन्म देने के दौरान मौत के बाद छह बच्चों को पाला था । डॉड जब 16 साल की थीं तभी उनके पिता की मौत हो गई थी ।
1905 में शुरू हुए ‘मदर्स-डे’ के दौरान आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्हें लगा कि, पिता की भूमिका के सम्मान में भी ऐसा ही ‘डे’ मनाए जाने की जरूरत है । उन्होंने भी क्लेटन की ही तरह धार्मिक नेताओं को पिता के सम्मान में एक विशेष सेवा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मनाया । 1910 में पहले “फादर्स-डे" के सेलिब्रेशन का आयोजन वॉशिंगटन के स्पोकेन स्थित वाईएमसीए में किया गया था । हालांकि इसे लोकप्रिय होने में कई साल लगे क्योंकि, कई लोगों को डर था कि, इसका प्रयोग सिर्फ कॉर्मशियल-टूल की तरह किया जाएगा । जून 1913 में यूएस कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर जून के तीसरे रविवार को “फादर्स-डे" की तारीख तय की गई और तब से “फादर्स-डे" अमेरिका सहित ज्यादातर देशों में इसी दिन मनाया जाता है । 1966 में सबसे पहले राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने “फादर्स-डे" को मनाने के लिए पहली राष्ट्रपतीय उद्घोषणा की गई; लेकिन इस कानून पर हस्ताक्षर 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने किए ।
गूगल ने भी अपने डूडल के जरिए फादर्स डे को अपने ही अंदाज में सेलिब्रेट किया है । आप भी आज के दिन (18 जून 2017) को देखिए “फादर्स-डे" पर बनाया गया गूगल का डूडल !!
पिता बेटियों के हीरो होते हैं, वहीं बेटों की प्रेरणा भी । लेकिन सिर्फ जेनेरेशन गैप है, जिसकी वजह से बच्चे हमेशा यही कहते हैं कि 'पापा हमारी जेनेरेशन को समझ ही नहीं सकते !' या फिर 'पापा को कौन समझाए!!' कई बार तो घर का मुखिया कहलाने वाला ये व्यक्ति 'एंग्री यंग मैन' सा लगने लगता है । कड़क स्वाभाव, हर चीज में रोक-टोक, फिजूलखर्च पर लैक्चर, अच्छे नंबर न लाने पर किच-किच, दोस्तों पर सलाह..और न जाने क्या-क्या.... पापा की डांट से बचाने वाली माँ हमेशा बच्चों की फेवरेट रहती है और स्ट्रिक्ट पापा धीरे-धीरे बच्चों से अनेक बार दूर होते जाते हैं, खासकर बेटों से... ।
कुछ भी हो लेकिन ये पापा अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं, भले ही कभी कहते नहीं लेकिन उनका दिल ही जानता है कि, उसमें कितना प्यार भरा है । माँ तो आँसू छलकाकर अपना प्यार दुलार दिखा देती है, लेकिन पिता अपनी भावनाएं आसानी से नहीं दिखाते है । पिता की नजरों से दूर जाकर देखना कभी, दुनिया की नजरों से वो अपने आंसू छिपाते दिख जाएंगे ये “पापा” । ये स्ट्रिक्ट पापा भी छिपकर रोते हैं अपने बच्चों के लिए, हाँ थोड़ा डांटते हैं, तो कोई बात नहीं..लेकिन पापा सिर्फ अपने बच्चों के लिए ही सोचते हैं ।
बेटे अक्सर अपने पिता को अपने दिल की बात समझा नहीं पाते, और शायद पिता के भावों को समझ नहीं पाते.... और ये एक सच्चाई है कि, उन्हें इस बात का अहसास तब होता है जब वो खुद पिता बनते हैं । पिता बनकर ही वो पिता को सबसे ज्यादा भली प्रकार से समझ पाते हैं ।
....अब, जब आपने “फादर्स-डे" के बारे में सब जान लिया हो तो चलिए.... इस मौके पर अपने पापा को “गिफ्ट” देकर यथवा “थैंक्यू” अवश्य ही बोलिए, जिनकी वजह से आज आप इस दुनियाँ में है ।।।
.... थैंक्यू, पापा ....
Ref : http://www.ichowk.in/society/know-everything-about-fathers-day/story/1/3639.html & http://www.ichowk.in/society/emotional-short-films-on-fathers-day/story/1/3637.html