भारत के महान सांख्यिकीविद और वैज्ञानिक प्रशांत चंद्र महालनोबिस की आज 125वीं जयंति (29 जून) के मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है । सांख्यिकी की फील्ड में अपने योगदान के चलते प्रशांत चंद्र महालनोबिस आज भी याद किए जाते है । महालनोबिस का जन्मदिवस 29 जून सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है । प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे । उन्हें भारत के द्वितीय पंच-वर्षीय योजना के मसौदे को तैयार करने के लिए जाना जाता है । देश की आज़ादी के पश्चात उन्हें नवगठित मंत्रिमंडल का सांख्यिकी सलाहकार बनाया गया। उन्होंने बेरोज़गारी समाप्त करने के सरकार के प्रमुख उद्देश्य को पूरा करने के लिए योजनायें बनायीं ।
महालनोबिस की प्रसिद्धि ‘महालनोबिस दूरी’ के कारण भी है जो उनके द्वारा सुझाया गयी एक सांख्यिकीय माप है । उन्होंने कोलकाता में प्रेमाथा नाथ बनर्जी, निखिल रंजन सेन और आरएन मुखर्जी के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1931 को ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान’ (Indian Statistical Institute) की स्थापना की गई । बड़े पैमाने के ‘सैंपल सर्वे’ के डिजाईन में महालनोबिस का सबसे बड़ा योगदान, उनके द्वारा शुरु किया गया ‘सैंपल सर्वे’ की संकल्पना है । इसके आधार पर आज के युग में बड़ी-बड़ी नीतियां और योजनाएं बनाई जा रही हैं । ‘बायोमेट्रिका’ के तर्ज पर सन 1933 में संस्थान के जर्नल ‘संख्या’ की स्थापना हुई । सन 1938 में संस्थान का प्रशिक्षण प्रभाग स्थापित किया गया । सन 1959 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान को ‘राष्ट्रिय महत्त्व का संस्थान’ घोषित किया गया और इसे ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा दिया गया । कोलकाता के अलावा भारतीय सांख्यिकी संस्थान की शाखाएं दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चेन्नई, गिरिडीह सहित भारत के दस स्थानों में हैं । इसका मुख्यालय कोलकाता में है जहाँ मुख्य रूप से सांख्यिकी की पढ़ाई होती है । देश की आर्थिक योजना और सांख्यिकी विकास के क्षेत्र में प्रशांत चन्द्र महालनोबिस के उल्लेखनीय योगदान के मद्देनजर उनका जन्मदिन, 29 जून हर वर्ष भारत में ‘सांख्यिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । साल 1968 में महालनोबिस को पद्म विभूषण से नवाजा गया था ।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस एक दूरद्रष्टा थे । उन्होंने सांख्यिकी का प्रयोग आम लोगों की भलाई के कार्यों के लिए किया । उन्होंने कभी भी कोई पद आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्हें विज्ञान में ब्यूरोक्रेसी की दखलअंदाजी पसंद नहीं थी । वे भारतीय सांख्यिकी संस्थान को सदैव एक स्वतंत्र संस्था के रूप में देखना चाहते थे । 28 जून, 1972 को उनकी मृत्यु हो गई ।
Published on Jun 28, 2018
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