‘गूगल’ ने आज फिर डूडल
बनाया है । भारत की पहली रिकॉर्डिंग सुपरस्टार गौहर जान की 145वीं सालगिरह के मौके पर खास ‘गूगल’ डूडल बनाकर उन्हें
श्रद्धांजलि दी गई है । गौहर जान भारत की उन महान हस्तियों में से एक थीं, जिन्होंने
न सिर्फ भारतीय संगीत को नई बुलंदियों पर पहुंचाया, बल्कि
दुनियाभर में देश का सिर भी गर्व से ऊंचा किया । गौहर पहली वह सिंगर थीं, जिन्होंने अपने गाए गानों की रिकॉर्डिंग करवाई थी और इसीलिए उन्हें भारत
की पहली रिकॉर्डिंग सुपरस्टार के नाम से जाना जाता है ।
26 जून 1873 को जन्मीं
गौहर जान की आज 145वीं सालगिरह है । गौहर का जन्म एक
क्रिश्चियन परिवार में हुआ था । गौहर जान का असली नाम एंजेलिना योवर्ड था । उनका जन्म आज़मगढ़ में हुआ था । उनके पिता
इंजिनियर थे तो माँ विक्टोरिया संगीत और डांस में प्रशिक्षित थीं और यहीं से गौहर
जान यानी एंजेलिना को डांस और संगीत का चस्का लगा । उनके पिता का नाम विलियम
योवर्ड और माँ का नाम विक्टोरिया था । यूपी के आजमगढ़ में जन्मीं गौहर के दादा
ब्रिटिशर थे तो उनकी दादी हिंदू थीं ।
एंजेलिना से बनीं गौहर जान : गौहर की माँ विक्टोरिया जन्म से भारतीय थीं और एक प्रशिक्षित डांसर और
सिंगर थीं । दुर्भाग्य से उनके माता-पिता की शादी चल नहीं पाई और 1879 में, जब एंजलिना सिर्फ 8 साल
की थीं उनका तलाक हो गया । अपने पति से तलाक होने के बाद विक्टोरिया अपनी 8
साल की बच्ची एंजलिना को लेकर बनारस चली गई थीं, जहां उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और नाम रखा…’खुर्शीद’ । इसके बाद विक्टोरिया ने कलकत्ता में रहने वाले मलक जान नाम के शख्स से
शादी कर ली और इस्लाम धर्म कबूल कर लिया। यही से एंजेलिना गौहर जान बन गईं । माँ
के साथ साथ गौहर का भी धर्म बदला गया और वो एंजेलिना से ‘गौहर’ बन गईं । एंजेलिना से गौहर बनने वालीं इस कलाकार का अधिकतर काम कृष्ण
भक्ति पर है ।
भारत की पहली रिकॉर्डिंग : उन्होंने
रामपुर के उस्ताद वजीर खान और कलकत्ता के प्यारे साहिब से गायन की तालीम हासिल की।
जल्द ही वो ध्रुपद,
खयाल, ठुमरी और बंगाली कीर्तन में पारंगत हो
गईं । गौहर भारत में उन शुरुआती लोगों में से एक हैं जिन्होंने 78 आरपीएम पर म्यूजिक रिकॉर्ड किया था और जिसे बाद में ग्रामोफोन कम्पनी ऑफ
इंडिया ने रिलीज किया था । गौहर ने अपनी पहली परफॉर्मेंस 1887 में दरभंगा के रॉयल कोर्ट में दी थी । गौहर ने डांस और संगीत की शिक्षा
बनारस से ली थी । 1902 में ग्रामोफोन कम्पनी के भारत में
पहले एजेंट फ्रेड्रिक विलियम ने गौहर को पहली भारतीय आर्टिस्ट के तौर पर चुना था
जो म्यूजिक को रिकॉर्ड करे । 11 नवंबर 1902 को कोलकाता के होटल के एक कमरे को गौहर जान के लिए स्टूडियो में बदला गया
था । ये भारत में पहली रिकॉर्डिंग थी । आपको जानकर हैरानी होगी की गौहर जान 20
भाषाओं में ठुमरी गाई थीं । वह दक्षिण एशिया की पहली ऐसी सिंगर थीं,
जिनके गाने ग्रामोफोन कम्पनी ने रिकॉर्ड किए और गाने के लिए उन्हें
करीब 3000 रुपये दिए गए । 1902 से 1920
के बीच 'द ग्रामोफोन कम्पनी ऑफ इंडिया'
ने गौहर के हिन्दुस्तानी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, तमिल, अरबी, फारसी, पश्तो, अंग्रेजी और फ्रेंच गीतों के छह सौ डिस्क निकाले थे । उनका दबदबा ऐसा था
कि रियासतों और संगीत सभाओं में उन्हें बुलाना प्रतिष्ठा की बात हुआ करता थी । उन्होंने
करीब 600 गीत रिकॉर्ड किए थे । यही नहीं, गौहर जान दक्षिण एशिया की पहली गायिका थीं जिनके गाने ग्रामाफोन कम्पनी ने
रिकॉर्ड किए ।
13 की उम्र में शोषण : भारतीय शास्त्रीय संगीत को शिखर पर पहुंचाने
वाली गौहर असल जिंदगी में शोषण का शिकार रही थीं । गौहर का 13 साल
की उम्र में यौन-शोषण हुआ था । इस सदमे से उबरते हुए गौहर संगीत की दुनिया में
अपना सिक्का जमाने में कामयाब हुईं । गौहर की कहानी 1900 के
शुरुआती दशक में महिलाओं के शोषण, धोखाधड़ी और संघर्ष की
कहानी है । गौहर की कहानी को विक्रम संपथ ने सालों की रिसर्च के बाद किताब में 'माई नेम इज गौहर जान' के जरिए सबके सामने रखा । गौहर
जान को जब कोई नवाब अपने यहां महफिल सजाने के लिए बुलावा भेजते तो उन्हें लाने के
लिए पूरा का पूरा काफिला भेज दिया करते थे क्योंकि वो बड़े तामझाम के साथ सफर करती
थीं । गौहर अपनी हर रिकॉर्डिंग के लिए नए कपड़े और जेवर
पहनकर आती थीं । वो अपने गायन और रिकॉर्डिंग उद्योग के
शुरुआती दिनों में ही करोड़पति बन गईं । गौहर जान अपने टैलेंट के कारण काफी मशहूर
हो गईं थीं और खूब शानो-शौकत से रहती थीं ।
माचिस पर छपती थी फोटो : गौहर ने
कोलकाता में पहली परफॉर्मेंस 1896 में थी जिसके बाद उन्हें ‘पहली डांसिग गर्ल’ का टाइटल मिला था । गौहर अपने समय
की बहुत फेमस आर्टिस्ट थीं, उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उस
समय उनकी फोटो माचिस और पोस्ट कार्ड पर भी छपती थी । 19वीं
शताब्दी में गौहर जान सबसे महंगी सिंगर थी । ऐसा कहा जाता है कि वो सोने की एक सौ
एक गिन्नियां लेने के बाद ही किसी महफिल में जाती थीं और वहां गाती थी । शुरुआती
दिनों में गौहर बेहद अमीर महिला थीं । उनके पहनावे और जेवरात उस वक्त की रानियों
तक को मात देते थे। अपनी कमाई का काफी हिस्सा उन्होंने कलकत्ता में निवेश किया
जहां उनकी कई कोठियां थीं ।
उस
जमाने में तवायफ कहलाने वालीं गायिकाओं पर पैसे तो खूब लुटाया जाता था लेकिन कोई
उनसे शादी नहीं करना चाहता था । शायद यही वजह थी कि गौहर ने बार-बार प्यार में
धोखा खाया । प्रौढ़ावस्था में गौहर अपनी उम्र से आधे एक पठान से शादी तो कर ली
लेकिन वो चली नहीं । मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंच गया जिसमें गौहर को अपनी जायदाद
बेचनी पड़ी । कहा जाता है कि आखिरी दिनों में वो बेहद अकेली हो गई थीं और उनके
रिश्तेदारों तक ने उनकी सुधबुध नहीं ली थी और गुमनामी की हालत में 17 जनवरी
1930 को उनकी मौत हुई ।