: संविधान की प्रस्तावना :
हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं ।
संविधान दिवस आज : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का विशिष्टताओं से भरा हमारे देश भारत का आज संविधान दिवस है । आज ही के दिन, 26 नवंबर, 1949 को भारत गणराज्य का संविधान तैयार हुआ था । आंबेडकरवादी और बौद्ध मतावलंबी पिछले कई दशकों से इस तिथि को संविधान दिवस मनाते रहे हैं । श्री नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली बार 2015 में इसे सरकारी तौर पर मनाने का फैसला किया । वह साल संविधान सभा की निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अम्बेडकर का 125वां जयंती वर्ष था । संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना तथा डॉ भीमराव आंबेडकर के इस योगदान एवं उनके आदर्शों-विचारों का स्मरण करना है । भारतीय संविधान की इन बेशकीमती प्रतियों को बहुत ही करीने से संसद भवन की लाइब्रेरी के एक कोने में बने स्ट्रांग रूम में रखा गया है । इन्हें पढ़ने की इजाजत किसी को नहीं है । संविधान की ये प्रतियां कभी खराब न हो पाये, इसके लिए इसे हीलियम भरे केस में सुरक्षित रखा गया है । हीलियम एक अक्रिय गैस है, जो पन्नों को वातावरण के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करने से रोकता है. यही कारण है कि आज भी हमारे देश की धरोहर हमारे पास सुरक्षित और मूल अवस्था में हैं ।