नफरत का जवाब हमेशा नफरत नहीं हो सकता
है, वक्त-वक्त पर बहुत से लोगों ने इस बात को साबित किया है । आज हम आपको
एक महान रशियन गणितज्ञ की कहानी बता रहे हैं, जिनके पिता
की नफरत की वजह से हत्या कर दी गई और उनके परिवार को तमाम दुश्वारियां झेलनी पड़ी
। ...बावजूद आज वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं । भारतीय कट्टरपंथियों के लिए भी
ये कहानी एक सबक है । साथ ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक एक दिन पूर्व जन्मी
ओल्गा विश्व भर की महिलाओं के लिए भी एक आदर्श हैं । ओल्गा की उपलब्धियों की वजह
से ही गूगल ने आज उनके सम्मान में डूडल बनाकर उन्हें याद किया है । “गूगल डूडल” में
ओल्गा की फोटो के नीचे डिफरेंशियल समीकरण भी दर्शाया गया है । मालूम हो कि गूगल
विशेष मौकों पर डूडल बनाकर इसी तरह से विशेष लोगों को याद करता है । अंतरराष्ट्रीय
महिला दिवस से ठीक एक दिन पूर्व, ओल्गा का जन्मदिवस
उन्हें और खास बनाता है । ओल्गा विश्व भर की महिलाओं के लिए भी एक आदर्श हैं कि
कैसे विषम परिस्थितियों में भी कामयाबी हासिल की जा सकती है ।
ये कहानी है रूस की महान गणितज्ञ ओल्गा लैडिजेनस्काया ओल्गा लैडिजेनस्काया की है । आज उनका 97वां जन्मदिवस है । 12 जनवरी 2004 को लगभग 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था । ओल्गा के पिता भी गणित के शिक्षक थे । घर पर वही ओल्गा को गणित पढ़ाते थे । पिता की वजह से ही ओल्गा की गणित में रुचि बढ़ी । 1937 में सोवियत संघ की एक संस्था ने नफरत की वजह से ही उनके पिता की हत्या कर दी थी । जिस वक्त ओल्गा के पिता की हत्या हुई, वह महज 15 वर्ष की थीं । उस दौरान स्थानीय लोग भी ओल्गा के पिता समेत उनके पूरे परिवार से नफरत करने लगे थे । स्थानीय लोग भी ओल्गा के पिता व परिवार को अपना दुश्मन मानने लगे थे । ओल्गा भी नफरत की इस आग से अछूती नहीं रहीं थीं । पिता की हत्या के बाद ओल्गा को उच्च शिक्षा के लिए लेनिनगार्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना था, लेकिन नफरत की वजह से उन्हें कहीं दाखिला नहीं मिल रहा था । काफी प्रयासों के बाद बड़ी मुश्किल से ओल्गा को मॉस्को यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला और उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की । इसके बाद उन्होंने 1953 में लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी और मॉस्को स्टेट से अलग-अलग डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की । पढ़ाई पूरी करने के बाद ओल्गा ने बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू किया । उन्होंने लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी में भी अध्यापन कार्य किया । इसके बाद वह 1959 में सेंट पीटर्सबर्ग मैथमेटिकल सोसायटी की सदस्य और फिर 1990 में संस्था की अध्यक्ष बनीं ।
1952 में ओल्गा को दूसरा मौका तब मिला जब सोवियत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जोसेफ स्टालिन की मौत हो गई । 1953 में ओल्गा ने डॉक्टोरल थीसीस पेश की और फिर उन्हें डिग्री दी गई । वह सोवियत के मशहूर गणितज्ञ इवान पेट्रोव्सकी की छात्रा थीं । इसके बाद उन्होंने लेनिनग्राड विश्वविद्यालय के स्टेकलोव इंस्टीट्यूट में पढ़ाना शुरू कर दिया । सोवियत यूनियन के टूटने के बाद भी वह रूस में ही रहीं जबकि उस दौरान प्रोफेसर्स को काफी कम तनख्वाह मिलती थी । उन्होंने नेवियर-स्टोक्स इक्वेशंस के लिए फाइनाइट डिफरेंफ मैथड निकाला । जिसके जरिए इन सवालों को आसानी से हल किया जा सके । 2002 में निधन से पहले उन्हें लोमोनसोव गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था ।
ओल्गा को गणित और फ्लुइड डायनमिक्स में महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2002 में लोमोनोसोव से गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया था । उन्हें पर्शियल डिफरेंशल इक्वेशन और फ्लुइड डायनमिक्स के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पूरी दुनिया में याद किया जाता है । उनके इन इक्वेशंस (समीकरणों) की मदद से समुद्र विज्ञान, वायुगतिकी, हृदय विज्ञान और मौसम पूर्वानुमान में मदद मिलती है । इसके अलावा ओल्गा, नेवियर-स्टोक्स समीकरण को फाइनाइट डिफरेंस मेथड से सॉल्व और प्रूव करने वाली पहली गणितज्ञ हैं । आज गूगल डूडल बनाकर रूस की गणितज्ञ ओल्गा लैडिजेनस्काया का 97वें जन्मदिन मना रहा है । लैडिजेनस्काया को उनके पार्शियल डिफरेंस इक्वेशंस और फ्लुइड डायनामिक्स के काम के लिए जाना जाता है । गूगल ने उनके जन्मदिन पर न केवल डूडल बनाया है बल्कि यूट्यूब पर उनकी जिंदगी और उपलब्धियों को लेकर एक वीडियो भी बनाई है । गूगल ने अपने डूडल को अंडाकार आकार का बनाया है जो संभावित उनके लीनियर और क्वासिलीनियर एलिप्टिक इक्वेशंस के प्रति श्रद्धांजलि को दिखाता है ।