स्टीव इर्विन, इस
नाम को सुनकर पहचानने में भले ही आपको कुछ वक्त लगे लेकिन तस्वीर देखते ही आप
उन्हें पहचान गए होंगे ।
क्रोकोडाइल हंटर के नाम से मशहूर इर्विन अब हमारे बीच नहीं लेकिन मगरमच्छों के साथ
उनकी उठा-पटक और उनके द्वारा दी जाने वाली रोचक जानकारी हम सभी के जहन में कहीं न
कहीं जिंदा है । गूगल ने स्टीव इरविन के जन्मदिन के मौके पर
उनकी याद में डूडल बनाया । स्टीव इरविन को 'क्रोकोडाइल
हंटर' या 'क्रोकोडाइल डंडी'
के नाम से भी जाना जाता था । स्टीव को मगरमच्छ पकड़ने का
एक्सपर्ट माना जाता था, हालांकि वह साँप पकड़ने में भी
माहिर थे । गूगल ने अपने आज के डूडल में स्टीव इरविन को
मगरमच्छ को अपनी बाहों में पकड़े हुए पेश किया है ।
उनके कार्यक्रम डिस्कवरी,
नेशनल जियोग्राफिक और एनिमल प्लैनेट जैसे चैनलों पर दिखाए जाते
थे । 4 सितम्बर, 2006 को स्टिंगरे नाम की एक ज़हरीली मछली के काटने से उनकी मौत हो गई थी ।
ऐसा क्यों हुआ ? इसके
पीछे की वजह क्या थी ? इसके बारे में जानने के लिए हमें
स्टीव की जिंदगी को अच्छे से जानना पड़ेगा ।
तो चलिए जानते हैं मगरमच्छ के दोस्त कहे जाने वाले स्टीव इरविन के बारे में –
इंसानों से ज्यादा
जंगली जीवों संग बीता बचपन : स्टीव के अंदर जंगली
जीवन को जानने की चाह यूँ ही नहीं आई थी । बचपन से
ही वह जानवरों के बीच पले बढ़े थे । 22 फरवरी 1962 को ऑस्ट्रेलिया में पैदा हुए स्टीव इरविन
के पिता वहीं एक वाइल्डलाइफ पार्क चलाया करते थे ।
पिता की तरह ही स्टीव भी जानवरों के प्रति दीवाने थे ।
वह हर समय उनके साथ ही नजर आया करते थे । स्टीव को इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि जिस जानवर के साथ वह बेझिझक खेल रहे हैं वही उनकी जान भी ले सकता है ।
उनके लिए तो जानवर किसी दोस्त से कम नहीं थे ।
कहते हैं कि अपने दोस्तों से ज्यादा समय तो स्टीव ने पिता के वाइल्डलाइफ पार्क के
जानवरों के साथ बिताया था ।
स्टीव ने कभी भी जानवरों का विशेषज्ञ
बनने के लिए कोई पढ़ाई नहीं की । उन्होंने
अपने आप को खुद एक विशेषज्ञ बनाया है । उन्होंने
जानवरों के साथ इतना वक़्त बिताया कि वह उनकी रग रग से वाखिफ हो गए ।
माना जाता है कि सभी जानवरों में मगरमच्छ उनके सबसे पसंदीदा थे ।
अपने पिता से ही उन्होंने मगरमच्छ पकड़ना और उन्हें संभालना सीखा ।
इसके बाद तो उनका वह सफ़र शुरू हुआ जिसने उन्हें विश्व प्रसिद्ध बना दिया ।
हनीमून पत्नी के नहीं, मगरमच्छ
के साथ मनाया : एक बार जैसे ही स्टीव बड़े हुए, तो
उनके पिता ने अपना वाइल्डलाइफ पार्क स्टीव के नाम कर दिया । उन्हें
पूरा यकीन था कि स्टीव इस बिजनेस को पहले से भी बड़ा बना देंगे ।
हुआ भी कुछ ऐसा ही । स्टीव के हाथ में जैसे ही पिता का वाइल्डलाइफ
पार्क आया उन्होंने उसे पहले से भी ज्यादा प्रसिद्ध कर दिया ।
इसके पीछे की वजह थी उनकी मगरमच्छों के बारे में जानकारी ।
माना जाता है कि उस समय स्टीव से बढ़िया शायद ही कोई मगरमच्छ को समझ सकता था ।
वाइल्डलाइफ पार्क के साथ स्टीव ने
ऑस्ट्रेलिया में दूर दूर जाकर उन मगरमच्छों को पकड़ना शुरू किया, जो
लोगों को परेशान करते थे । अपने इस
काम के लिए स्टीव इतने दुर्लभ इलाकों तक गए जहाँ लोग जाने से भी कतराते थे ।
उनके इस काम ने उन्हें खूब प्रसिद्ध कर दिया था ।
उन्होंने मगरमच्छ पकड़ने के कई नए तरीके ईजाद किए जिन्हें आज भी लोग इस्तेमाल करते
हैं ।
कहते हैं कि स्टीव मगरमच्छ के लिए इतने
दीवाने थे कि उन्होंने अपना हनीमून भी उन्ही के साथ बिताया ।
दरअसल स्टीव अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर थे ।
वहां दोनों ने सोचा क्यों न स्टीव और उनके मगरमच्छ प्रेम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई
जाए । उन्होंने आगे ऐसा ही किया ।
वह डॉक्यूमेंट्री में स्टीव मगरमच्छ के साथ ऐसे खेलते नजर आए जैसे कि वह कोई पतलू
जानवर हो ।
एक बार जैसे ही वह डॉक्यूमेंट्री लोगों के सामने आई, तो हर कोई उसे देखकर हैरान हो गया । वह इतनी ज्यादा प्रसिद्ध हो गई कि स्टीव को लोग ‘क्रोकोडाइल हंटर’ के नाम से पुकारने लगे । इसके बाद उन्हें तुरंत ही टीवी पर आकर अपने इस हुनर को दिखाने का मौका मिल गया । उन्होंने ‘दी क्रोकोडाइल हंटर’ नाम से ही अपना टीवी शो शुरू किया । शो में वह लोगों को मगरमच्छ के बारे में बताते व उसे पकड़कर दिखाते । शो इतना बड़ा हिट हुआ कि हर कोई स्टीव का फैन हो गया । इसके बाद तो उन्होंने सफलता की नए ऊँचाईयाँ छूनी शुरू कर दी ।
पेशा ही बन गया उनकी
मौत की वजह
: यह
बात है 2006
की । स्टीव
हमेशा की तरह अपने एडवेंचर की खोज में निकले हुए थे ।
इस बार वह मगरमच्छ तो नहीं मगर मछलियों के साथ अपना समय बिता रहे थे ।
वह ‘ओसियन डेडलिएस्ट’ नाम का अपना नया शो कर रहे
थे । इसमें वह खतरनाक मछलियों से साथ नजर आने वाले
थे । स्टीव और उनके कैमरामैन एक स्टिंगरे मछली के
साथ शूट कर रहे थे ।
स्टिंगरे एक बहुत ही शांत मछली होती है
मगर उसके साथ ही वह बहुत जानलेवा भी होती है ।
वह अपनी पूँछ से वार करके किसी भी इंसान को मौत की नींद सुला सकती है ।
हालांकि स्टीव ने कभी इन खतरों की परवाह नहीं की ।
उन्होंने छिछले पानी में एक स्टिंगरे को पकड़ा और उसके साथ शूट शुरू किया ।
कुछ टेक लेने के बाद स्टीव ने एक फाइनल
टेक लेना चाहा । वह पानी में वापस गए और स्टिंगरे की पीठ पर
जाकर बैठ गए । स्टीव ऐसा पहले भी कर चुके थे ।
कभी भी स्टिंगरे ने उनपर कोई हमला नहीं किया ।
स्टिंगरे बहुत ही शांत मछली मानी जाती है । हालांकि
वह दिन कुछ और ही हुआ । स्टीव के पीठ पर
बैठते ही स्टिंगरे ने उनपर अपनी पैनी पूँछ से हमला करना शुरू कर दिया ।
इससे पहले की स्टीव कुछ समझ पाते स्टिंगरे ने उनपर लगातार वार शुरू कर दिए ।
स्टिंगरे
के वार इतने घातक थे कि उन्होंने स्टीव के दिल और छाती दोनों को ही काफी गहरा
नुक्सान पहुंचा दिया था ।
थोड़ी ही देर में स्टीव के शरीर से खून
भी निकलना शुरू हो गया । स्टीव का क्रू
उन्हें बचाने आया मगर तब तक स्टीव की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी ।
वह दर्द से कराह रहे थे । राहतकर्मियों ने
स्टीव को बचाने की खूब कोशिश की मगर वह कुछ भी नहीं कर पा रहे थे ।
हर गुजरते पल के साथ स्टीव मौत के और भी करीब जाते जा रहे थे ।
स्टीव के दोस्त उन्हें हौंसला दे रहे थे मगर असल में स्टीव के जाने का समय आ चुका
था । कहते हैं कि अपने आखिरी पलों में स्टीव ने
अपने दोस्त की तरफ अपनी नजरें की और कहा ‘मैं मर रहा हूँ’… इन आखिरी शब्दों के साथ ही स्टीव दुनिया से अलविदा कह गए ।
कोई सोच भी नहीं सकता था कि ‘क्रोकोडाइल
हंटर’ स्टीव एक छोटी सी स्टिंगरे के हाथों मारे जा सकते
हैं । स्टीव जलीय जीवों के एक्सपर्ट तो थे मगर वह
उन्हें पूरी तरह नहीं जान पाए । मगरमच्छ
के साथ खेलने वाले स्टीव की मौत एक मछली के कारण हुई यह जानकार दुनियाभर में लोग
हैरान हो गए । साथ ही लोगों के पसंदीदा ‘दी
क्रोकोडाइल हंटर’ उनसे दूर चले गए ।
स्टीव के साथ हुई यह घटना यह भी बताती है कि भले ही हम किसी जीव को कितना भी जान
ले हम उसके बर्ताव को हर बार नहीं समझ सकते ।
कोई जीव कब शांत से खूंखार बन जाए कोई नहीं जानता । शायद अगर यह स्टीव जान लेते, तो आज वह जिंदा होते… ।
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