महान हस्तियों को उनके जन्मदिन पर सम्मानित करने की कड़ी में आज दिनांक 29.12.2017 के दिन गूगल ने एक ऐसे शख्स का डूडल बनाया है, जिसने अपने फील्ड में अपने हुनर का लोहा मनवाया है । जी हाँ, यह सम्मान कन्नड़ कवि और लेख क कुप्पाली वेंकटप्पा पुत्तपा को दिया है और गूगल ने उनके 113वें जन्मदिन के मौके पर ‘डूडल’ बनाया है । इस डूडल में उन्हें खूबसूरत पहाड़ियों के बीच कुछ लिखते हुए दिखाया गया है । कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा ' कुवेम्पू ' के नाम से लिखा करते थे ।
कुप्पाली
का जन्म आज ही के दिन 1904 में मैसूर के कोप्पा तालुक में हुआ था । कुप्पाली अपने जमाने के मशहूर
लेखक थे और उनका कन्नड़ भाषा साहित्य में काफी योगदान रहा है । उन्होंने कन्नड़ भाषा में कविता , कहानियां, उपन्यास और आलोचना का सृजन किया । वे पहले कन्नड लेखक थे जिन्हें ज्ञान पीठ
पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।
कुप्पाली के लेखन ने जातिवाद और अर्थहीन धार्मिक परंपराओं के प्रति अपना असंतोष दर्शाया गया है । उनकी कविताएं उनके आसपास की प्रकृति के चमत्कारों को दिखाती थीं । इसलिए गूगल ने उन्हें खूबसूरत वादियों में बैठा दिखाया है । सार्वभौमिक मानववाद पर लिखी उनकी रचनाएं उन्हें आधुनिक भारतीय साहित्य में एक अलग पायदान पर खड़ा करती है । कुवेम्पू को रामायण को नए सिरे से व्याख्यायित करने के लिए खास तौर से जाना जाता है । उन्होंने अपनी किताब ‘श्री रामायण दर्शनम’ में रामायण को आधुनिक नजरिये से पेश किया, जिसे काफी पसंद भी किया गया था । यह एक आधुनिक रामायण थी जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था । उन्होंने कर्नाटक राज्य गीत जय भारत... की रचना की थी । सरकार ने उनके योगदान के लिए साल 1988 में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया । कन्नड़ भाषा में शोध के लिए उन्होंने मैसूर विश्ववद्यालय में एक संगठन की शुरुआत की थी जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया । यही नहीं, एक्टर-डायरेक्टर गिरीश कर्नाड उन पर फिल्म भी बना चुके हैं । गिरीश कर्नाड ने 1999 में ‘कनरू हेग्गाडिथी’ फिल्म बनाई थी जो कुवेम्पू के नॉवेल ‘कनरू सुबम्मा हेग्गाडिथी’ पर आधारित थी । फिल्म की कहानी आजादी से पहले के एक परिवार की थी । इस फिल्म ने 2000 में कन्नड़ की बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था । दिलचस्प बात यह है कि फिल्म रिलीज होने के बाद लोगों की इस उपन्यास में दिलचस्पी बढ़ गई थी और इसकी 2000 प्रतियां रिप्रिंट की गई थीं । निर्देशक गिरीश कर्नाड ने उनकी किताब 'कनरू सुबम्मा हेग्गाडिथी' पर 'कनरू हेग्गाडिथी' फिल्म बनाई थई जिसे कन्नड़ भाषा की बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था । 11 नवंबर, 1994 में 89 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया ।