दीपावली दीपों का पर्व है… उजाले का पर्व है… बुराई पर
अच्छाई की जीत को मनाने का पर्व है… सच ही कहा गया है –
“दीपों की अगणित अवली से, अन्धकार का हुआ नाश ।”
बच्चों ने फुलझड़ियाँ छोडीं, चारों ओर हुआ प्रकाश ॥”
हमारा देश भारत त्योहारों का देश है. यहाँ वर्ष भर कोई-न-कोई त्यौहार
आता रहता है. इन त्यौहारों में भारतीय संस्कृति की झाँकी मिलती है. ये त्यौहार
हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक भी होते हैं ।
यदि ‘दीपावली’ के शाब्दिक
अर्थ को लें तो इसका अर्थ होता है – ‘दीपों की अवली या पंक्ति’. यह पर्व कार्तिक मास की
अमावस्या को मनाया जाता है. लोग इस अमावस्या की काली रात को दीपक जलाकर, पूर्णिमा की रात में बदल देते हैं. यह त्यौहार पांच दिनों तक बड़ी धूमधाम
से मनाया जाता है.
इसी दिन भगवान श्रीराम रावण का
वध करके चौदह वर्षो के बाद अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासियों ने उनके आगमन की खुशी
में अपने घरों पर दीपकों का प्रकाश किया था । जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर
स्वामी तथा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती
ने इस दिन ही निर्वाण प्राप्त किया था । इसी दिन सिखों के छठे गुरू
हरगोविंद भी बंधन मुक्त हुए थे ।
सुख-सम्पदा, खुशहली, धनलक्ष्मी और मेहमानों के लिए घर के दरवाजे के पास रंगोली बनाई जाती है ।
रंगोली का भी एक धार्मिक महत्व है, परिवेश की सुंदरता को
बढ़ाना और चारों ओर आनन्द और खुशी को फैलाना । दिवाली त्यौहार को रंगोली के साथ
व्यापक रूप से मनाया जाता है, क्योंकि इस समय लोग बधाई और मिठाई
का आदान-प्रदान करने के लिए एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं ।
यह त्यौहार हमें स्वच्छता, सम्पन्नता और उल्लास का सन्देश देता है । अत: हमारा कर्तव्य है कि हम इसे
उचित ढंग से मनाएँ और जिन महापुरूषों की याद में यह पर्व मनाया जाता है, उनके आदर्शों पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाएँ । हर घर दीप जले, सर्वत्र हर्ष हो, ख़ुशी हो, उल्लास
हो. यही मंगलकामना है ।
सभी को “ प्रकाश-पर्व ” दीपावली की हार्दिक शुभाकामनाएं
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धन्यवाद.