आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस है । यूनेस्को ने पहली बार सात नवम्बर, 1965 को यह फैसला लिया था कि प्रत्येक वर्ष 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का आयोजन किया जायेगा । उसके बाद पहली बार 1966 में इसका आयोजन किया गया । चूंकि साक्षरता आम आदमी को सशक्त बनाती है, इसलिए इंसान अपनी आर्थिक क्षमता में बढ़ोतरी और सामाजिक विकास सहित पर्यावरण के बारे में सही फैसले ले सकता है ।
साक्षरता व्यक्तिगत सशक्तीकरण का एक माध्यम है और सामाजिक व मानव विकास का मापक है । शिक्षा हासिल करने का मौका साक्षरता पर आधारित है । साथ ही यह गरीबी उन्मूलन (poverty), बाल मृत्यु (child mortality) दर को कम करने, जनसंख्या वृद्धि (population growth) को नियंत्रित करने, लैंगिक समानता (gender equality) की प्राप्ति आदि के लिए भी आवश्यक है । अतः यह दिन सतत शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने और परिवार, समाज और देश के लिए अपनी जिम्मेदारियों को समझने के लिए मनाया जाता है ।
साक्षरता एक प्रकार से जीवनपर्यंत सीखने और समझने पर आधारित कौशल है और यह सतत, समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है । साक्षरता एक सेतु है, जो इंसान को विपदा से निकाल कर अच्छी अवस्था की ओर ले जाती है । निरक्षरता अंधेरे के समान है और साक्षरता प्रकाश के समान है । अच्छा जीवन जीने के लिये लोगों का साक्षर होना जरूरी है और अच्छा जीवन आप तब तक नहीं जी पायेंगे तब तक कि आप एक अच्छे समाज में नहीं रहते और अच्छे समाज के लिए लोगों का शिक्षित होना जरूरी है । जीवन सफलता और बेहतर जीने के लिये खाने की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्णं भाग है ।
"विद्या ददाति विनयम, विनयम ददाति पात्रता"
अर्थात विद्या व्यक्ति को विनय प्रदान करती है और विनय ही आपको योग्य व्यक्ति बनाता है ।
साक्षरता दिवस केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है । हमारे देश में साक्षरता बढाने के लिए समय समय पर विभिन्न प्रयास किये जाते रहे हैं सर्व शिक्षा अभियान, मिड-डे मील योजना, प्रौढ़ शिक्षा योजना, राजीव गाँधी साक्षरता मिशन आदि चलाये जा रहे हैं । इन सब कार्यक्रमों द्वारा सुधार होने लगा है । आज कल ग्रामीण क्षेत्रों से लडकीयॉ बडे शहरों में पढने के लिए जाने लगीं हैं, क्योंकि एक शिक्षित महिला ही पूरे परिवार का शिक्षित और समृद्ध बना सकती है ।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस अपनी 51वीं सालगिरह मना रहा है । तेजी से टेक्नोसेवी होती दुनिया में ‘इंटरनेशनल लिट्रेसी-डे 2017’ की थीम लिट्रेसी इन डिजिटल वर्ल्ड रखा गया है । इस वर्ष यूनेस्को के हेडक्वार्टर में साक्षरता दिवस दो दिन 7 और 8 सितम्बर को सेलिब्रेट किया जा रहा है ।
वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार हर पांच में से एक पुरुष और दो तिहाई महिलाएं अनपढ़ है । जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 82.1% पुरुष और 64.4% महिलाएं ही साक्षर हैं । साक्षरता का यह आंकड़ा पिछले दस वर्षों में बढ़ा तो है, लेकिन इसकी खास बात है कि साक्षरता दर में महिलाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है ।
आइए... अंतर्राष्ट्रीय साक्षारता दिवस पर हम भी कम से कम किसी एक व्यक्ति को शिक्षित बनाने का कदम उठाकर इस साक्षरता दिवस, को सफल बनाएँ ।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर कुछ स्लोगन -
l सुनहरे भारत का सपना, जरुरी हो सबका पढ़ना ।
l आओ बढायें इस समाज का मान, देकर हर व्यक्ति को अक्षर ज्ञान ।
l सुंदर होगा हमारा कल और आज, हर सर जब पहने साक्षरता का ताज ।
l समाज का बढाओ तुम मान, देकर हर बच्चे को अक्षर ज्ञान ।
l आएगी जन-जन में जागरूकता, हासिल होगी जब सर्वसाक्षरता ।