आपको शायद याद हो, 25 नवम्बर को महिला ओं के
विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
यह दिन गैर-सरकारी संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सरकारों के लिए
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के प्रति जन-जागरूकता फैलाने का अवसर होता है । महिलाओं
के प्रति बढ़ती हिंसा संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए गंभीर चिंता का विषय है । इस दिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के और अधिक प्रयास करने की
आवश्यकता को रेखांकित करने वाले अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । महिलाओं के समूह व संगठन महिलाओं की समाज में चिंताजनक स्थिति और इसके
परिणामस्वरूप, महिलाओं के शारीरिक, मानसिक
तथा मनोवै ज्ञान िक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को सामने लाने के लिए रैली,
सेमिनार, पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, सामूहिक भोज आदि आयोजित करते हैं
।
इतिहास : 25 नवम्बर, 1960, को राजनैतिक कार्यकर्ता डोमिनिकन शासक राफेल ट्रुजिलो (1930-1961) के आदेश पर तीन
बहनों, पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया
अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की 1960 में क्रूरता से हत्या कर दी थी । इन तीनों बहनों ने ट्रुजिलो की तानाशाही का कड़ा विरोध किया था । महिला
अधिकारों के समर्थक व कार्यकर्ता वर्ष 1981 से इस दिन को इन तीनों बहनों की मृत्यु की वार्षिकी के रूप में याद करने के लिए मनाते हैं. 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकमत से यह निर्णय लिया गया कि 25 नवम्बर को महिलाओं के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप
में मनाया जाएगा । वर्ष 2000 में इसे मनाने की शुरुआत हुई थी
।
इंटरैक्टिव - तथ्यों का अन्वेषण और हिंसा के विभिन्न रूप :
1)
अनुमान है कि दुनिया भर
में 35 प्रतिशत महिलाओं ने शारीरिक और / या यौन
अंतरंग साथी हिंसा या यौन हिंसा का अनुभव किसी नॉन-पार्टनर द्वारा अपने जीवन में
किसी बिंदु पर किया है । हालांकि, कुछ राष्ट्रीय अध्ययनों से
पता चलता है कि 70 प्रतिशत महिलाओं ने अपने जीवनकाल में एक
अंतरंग साथी से शारीरिक और / या यौन हिंसा का अनुभव किया है ।
2)
दुनियाभर में,
लगभग 7 करोड़ मिलियन महिलाएं और लड़कियां आज भी
18 वर्ष की उम्र से पूर्व शादी के बंधन में बंधकर जीवन जीती हैं । बाल विवाह
पश्चिम और मध्य अफ्रीका में अधिक आम है, जहां 18 से अधिक आयु 4 में 10 से अधिक
लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र से पहले किया गया था ।
3)
विश्वभर में लगभग 120 मिलियन लड़कियां (10 में से 1
से ज्यादा) ने अपने जीवन में कुछ बिंदु पर मजबूर संभोग या अन्य मजबूर यौन कृत्यों
का अनुभव किया है । अब तक लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा के सबसे आम अपराधियों
वर्तमान या पूर्व पति, सहयोगी या प्रेमी हैं ।
4)
दुनिया भर में पाए गए
सभी मानव तस्करी के पीड़ितों में से 51% वयस्क
महिलाओं का खाता है महिलाओं और लड़कियों के साथ-साथ 71
प्रतिशत हिस्सेदारी होती है, जिसमें हर चार बच्चों में
तस्करी वाले पीड़ितों में से लगभग तीन लड़कियों का प्रतिनिधित्व होता है । यौन
शोषण के उद्देश्य के लिए हर चार तस्करी वाली महिलाओं और लड़कियों में से लगभग तीन
लोग तस्करी कर रहे हैं ।
5)
यूरोपीय संघ की रिपोर्ट
में 10 महिलाओं में से एक ने 15 साल की उम्र से (अनचाहे, आक्रामक यौन स्पष्ट ईमेल
या एसएमएस संदेश, या सामाजिक नेटवर्किंग साइटों पर अपमानजनक,
अनुचित प्रगति प्राप्त करने सहित) से साइबर-उत्पीड़न का अनुभव किया
है । 18 से 29 वर्ष की आयु के बीच युवा
महिलाओं में जोखिम सबसे अधिक है ।
6)
इंटर-संसदीय संघ द्वारा 5 क्षेत्रों
के 39 देशों में किए गए एक अध्ययन में भाग लिया गया, जिसमें अनुसार उनकी शर्तों की पूर्ति करते हुए मनोवैज्ञानिक हिंसा के कुछ रूपों
का अनुभव हुआ । मनोवैज्ञानिक हिंसा की टिप्पणी, इशारों और एक
सेक्सिस्ट या अपमानजनक यौन प्रकृति की छवियों के रूप में परिभाषित की गई थी जो उनके
खिलाफ थी या धमकियां और / या उनसे जुड़ी हुई थी, जिनके अधीन उन्हें
किया जा सकता था ।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक वैश्विक महामारी है 70 प्रतिशत महिलाओं की संख्या अपने जीवनकाल में हिंसा का अनुभव करती है ।
अब
प्रश्न यह उठता है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाने से क्या
महिलाओं के विरुद्ध व्यापक व व्यवस्थित हिंसा समाप्त हो जाएगी ?
कुछ
चिंतन और मनन करने से हमें पता चलता है कि महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न , फब्तियां
कसने, छेड़खानी, वैश्यावृत्ति, गर्भधारण के लिए विवश करना, महिलाओं और लड़कियों को
ख़रीदना और बेचना, युद्ध से उत्पन्न हिंसक व्यवहार और जेलों
में भीषण यातनाओं का क्रम अभी भी महिलाओं के विरुद्ध जारी है और इसमें कमी होने के
बजाए वृद्धि हो रही है । अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और संगठनों की ओर से महिलाओं के
स्थान और उनके अधिकारों को दिलवाने के सम्बंध में पेश किए जाने वाले विभिन्न
प्रस्तावों और सुझावों के बावजूद, समाचार ों और रिपोर्ट में
पूरी दुनिया में तकफ़ीरी आतंकवादियों की ओर महिलाओं की विषम व दयनीय स्थिति के हम
साक्षी हैं । यह विषय केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी चपेट में
यूरोप, अमरीका और मध्यपूर्व का पूरा क्षेत्र है ।
आधुनिकीकरण
और महिलावाद भी महिलाओं के स्थान को बेहतर बनाने में कुछ अधिक सफल नहीं हो सका है
। इन समाजों में महिलाओं और लड़कियों से छेड़खानी और फब्तियां कसने से लेकर उनके
यौन उत्पीड़न की घटनाएं आए दिन घटती रहती हैं । एमेनेस्टी इन्टरनेश्नल की रिपोर्ट
के अनुसार यूरोप में सोलह वर्ष से चौबीस वर्ष की लड़कियां, कैंसर
के जानलेवा रोग और सड़क दुर्घटना में मरने वालों की तुलना में सबसे अधिक बलि
पारिवारिक हिंसा की चढ़ती हैं । महिलाओं के सम्बंध में न्यूयार्क में संयुक्त
राष्ट्र संघ के 57वें वार्षिक कन्वेन्शन में पढ़ी गयी
रिपोर्ट में बताया गया है कि औसतन पंद्रह से 44 वर्षीय
महिलाओं की मौत का कारण, युद्ध, कैंसर
और दुर्घटना नहीं बल्कि अधिकतर महिलाएं हिंसक व्यवहार के कारण अपनी जान से हाथ धो
बैठती हैं ।
आज हमारी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा
सबसे व्यापक, निरंतर और विनाशकारी मानवाधिकारों में से
एक है । लिंग असमानता दुनियाभर में बनी रहती है लैंगिक समानता और महिलाओं और
लड़कियों के सशक्तीकरण को हासिल करने के लिए कानूनी ढांचे सहित, अधिक जोरदार प्रयासों की आवश्यकता होगी ताकि गठित लिंग-आधारित भेदभाव का
सामना किया जा सके जो अक्सर पितृसत्तात्मक व्यवहार और संबंधित सामाजिक मानदंडों से
उत्पन्न होता है ।
निसंदेह
महिलाओं पर अत्याचार से बचने की चर्चा और केवल नारों के माध्यम से ही महिलाओं के
अधिकारों का सम्मान न किया जाए बल्कि व्यवहारिक रूप से उनका सम्मान किया जाए । प्रत्येक
दशा में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा केवल एक दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा
उन्मूलन दिवस का नाम देकर और उनका विदित बचाव तथा उनके अधिकारों का विदित नारा लगा
कर संभव नहीं है । बल्कि दुनिया को महिलाओं की मानवीय प्रतिष्ठा के वास्तविक
सम्मान के लिए भूमि प्रशस्त करना चाहिए ताकि उनके वास्तविक अधिकारों को दिलाने का
काम व्यवहारिक हो सके ।
वर्ष 2017 थीम : 2017
के लिए अभियान का विषय "पीछे कोई नहीं रहना है; महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा का अंत ।"
अपनों के ही सितम से कराह रही आधी
आबादी :
एक बार फिर हम 25 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा
उन्मूलन दिवस मनाने जा रहे हैं, लेकिन इसके सार्थक परिणाम
सामने आने को बाकी हैं । अपनों के ही सितम से आधी आबादी कराह रही है । शिक्षित न
होना, कानून के प्रति जानकारी न होना महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा की वजह बन रही
है । इसलिए जरूरी है कि महिलाएं शिक्षित बनें । कानून की जानकारी करें । अपने
अधिकारों की लड़ाई लड़ें । शिक्षित हो महिलाएं, अधिकारों की
लड़ाई लड़ें । किसी न किसी बात को लेकर उनका उत्पीड़न किया जाता है, जो समाज के लिए उचित नहीं है । पति शराब का नशा करते हैं । महिलाएं विरोध
करती हैं तो उन्हें कोपभाजन होना पड़ता है । कभी पतियों के नशा करने का विरोध करना पड़ा उसे महंगा पड़ जाता
है तो कभी दहेज की खातिर उसका उत्पीड़न होता है । घरेलू हिंसा रोकने के लिए किए जा
रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं । हालात ये हैं कि न्याय मांगने के नाम पर
पीड़िताओं को ऐड़ियां घिसनी पड़ती है । घरेलू हिंसा के मामले आने पर पहले सुलह
कराने की कोशिश होती है । पर बात नहीं बनने पर कार्रवाई की जाती है । इससे निपटने
का अच्छा तरीका है कि महिलाएं जागरूक हों । स्वयं इसके लिए एकजुट होकर लड़ाई लडे़ं
। महिलाओं को घरेलू हिंसा का डटकर मुकाबला करना चाहिए । पीछे नहीं हटना चाहिए । इस दिवस को मनाने का मकसद तभी पूरा हो पाएगा, जब सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि समाज लोग इस दिशा में आगे आएंगे ।
चुप
न बैठें,
अपनी शिकायत दर्ज कराएं, महिलाएं जागरूक बने ।
हिंसा का शिकार होने पर चुपचाप न बैठें । थानों पर जाकर शिकायत दर्ज कराएं । अब तो
कई फोरम भी चल रहे हैं । उनकी मदद भी लें । महिलाएं शिक्षित बने । अपने अधिकारों
के बारे में जाने । ऐसा होने पर स्वयं घरेलू हिंसा के मामलों में कमी आएगी । हिंसा
का शिकार होने पर न्याय पाने के लिए आवाज जरूर उठाएं । चुप बैठकर सहन न करें ।
यद्यपि दुनिया भर में लिंग आधारित हिंसा के बारे में
जागरूकता बढ़ाई जा रही है । महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा सबसे अधिक
प्रचलित मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है । विश्व स्तर पर,
यह अनुमान लगाया गया है कि तीन में से एक महिला अपने जीवनकाल में
शारीरिक या यौन शोषण का अनुभव करती ही है ।
"हर इंसान के लिए महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाप्त करना प्राथमिकता होनी चाहिए, यह न केवल एक महिला का मुद्दा है; यह हम सभी को प्रभावित करता है, "जब तक आधी मानवता की गरिमा और कल्याण खतरे में है, शांति, सुरक्षा और टिकाऊ विकास तक पहुँच नहीं रहेगी ।"
Song Version - International Day for Elimination of Violence against Women - YouTube
The United Nations General Assembly has designated November 25 as the International Day for the Elimination of Violence Against Women (Resolution 54/134). DB Media joins the world in condemning all types violence against women. This song is dedicated to all women who face various types of violence against them.