
हमारे अनेकानेक तीज-त्यौहार इस बात के प्रतीक हैं कि भारत मूलत: सूर्य संस्कृति के उपासकों का देश है तथा बारह महीनों के तीज-त्योहार सूर्य के संवत्सर चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं। दीपावली का आनन्द जैसे ही शान्त होता दिखाई पड़ता है, छठ की छटा खिल उठती है।
छठपूजा अथवा छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं I यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है I लोग अपनी विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी इस पर्व को मनाते हैं।
'छठ’ के इस पावन पर्व पर, श्रद्धालु भगवान सूर्य को धरती पर धन–धान्य की प्रचुरता हेतु धन्यवाद देते हैं I पर्व का आयोजन मुख्यतः गंगा के तट पर होता है और कुछ गाँवों में जहाँ पर गंगा नहीं पहुँच पाती है, वहाँ पर महिलाएँ छोटे तालाबों अथवा पोखरों के किनारे ही धूमधाम से इस पर्व को मनाती हैं।
छठपर्व अत्यन्त रंग–बिरंगा उत्सव है, जिसमें श्रद्धालुओं को नये वस्त्र धारण करना आवश्यक होता है। घर व नदी के तट पर संगीत के सुर भक्ति व लोकभाषा से महक उठते हैं। देश के विभिन्न भागों में भारी संख्या में लोग पावन नदियों के तट पर मीलों लम्बी कतारों में बैठे रहते हैं। पर्व से उत्पन्न यह आपसी मेल–जोल अनूठा ही प्रतीत होता है।
सूर्योपासना के पर्व ‘छठ’ की हार्दिक शुभकामनाएँ !